कतर संकट के चलते सऊदी अरब ने अपने यहां से कतरी नागरिकों को निकल जाने का आदेश दिया है। इन कतरी मालिकों के लिए काम करने वाले भारत जैसे कई दक्षिण एशियाई देशों के लोग बिना वैध दस्तावेज के सऊदी में ही अटक गये हैं।
भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान और नेपाल जैसे कई दक्षिण एशियाई देशों के लोग सऊदी अरब में कतरी मालिकों के लिए घरेलू नौकर और खेती किसानी का काम कर रहे थे। ये प्रवासी श्रमिक अब अवैध रूप से सऊदी में रहने वाले समझे जा सकते हैं क्योंकि उनके कतरी मालिकों को खुद ही सऊदी अरब से बाहर निकल जाने के आदेश मिले हैं।
मानवाधिकार समूहों ने पहले से ही बहुत कमजोर स्थिति में रहने वाले इन कामगारों के भविष्य को लेकर चिंता जतायी है। कतर की नेशनल ह्यूमन राइट्स कमिटी के प्रमुख ने बताया है कि इन कामगारों को रहने की जगह और पैसों की बहुत तंगी झेलनी पड़ रही है। कमिटी के चेयरमैन अली बिन स्माइख अल-मारी ने कहा, "बहुत सारे प्रवासी कामगारों पर इस फैसले का असर पड़ा है।" प्रभावित होने वाले लोगों में ज्यादातर किसान हैं, जो कतर और सऊदी के बीच पशुधन को लाने-ले जाने का काम करते थे।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए अल-मारी ने कहा, "आम तौर पर ये कामगार कतरी लोगों के साथ यात्रा करते हैं। कई कतरी नागरिक लोगो को खेतों में काम करने के लिए रखते हैं और कुछ को अपने घरेलू नौकर, ड्राइवर बना कर अपने साथ लेकर यात्रा करते हैं।" कमिटी प्रमुख ने बताया कि ऐसे कई कामगारों को खुद कतर की यात्रा करने की अनुमति नहीं है और अब वे अवैध रूप से सऊदी अरब में रहने को मजबूर हैं। अल-मारी ने बताया, "उनके पास रहने की जगह नहीं है और पैसे भी नहीं।"
करीब एक महीने से जारी कतर संकट का फिलहाल कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है। सऊदी अरब, यूएई, मिस्र और बहरीन जैसे खाड़ी के देशों ने एक साथ आकर कतर से अपने सभी संबंध तोड़ने का फैसला किया। कतर पर आतंकी गुटों को समर्थन देने जैसे कई आरोप लगाये गये, जिनसे कतर ने साफ इनकार किया है। सऊदी अरब के साथ कतर का एकलौता सड़क मार्ग भी बंद कर दिया गया है, जहां से कतर खाने की चीजों का आयात करता था। कतर से रिश्ते बहाल करने के लिए सऊदी ने जो शर्तें रखी हैं, उन्हें कतर गैरवाजिब बताता है।
कतर में एक खास तरह की स्पॉन्सरशिप का चलन है, जिसमें कर्मचारी अपने मालिकों से साथ एक कॉन्ट्रैक्ट में बंधे होते हैं। अब तक पता नहीं चल सका है कि कतर के मालिकों ने अपने लिए काम करने वाले प्रवासी मजदूरों को बिना सही कागजात दिये सऊदी में ही क्यों छोड़ दिया। कतर संकट के कारण इंसानों को ही नहीं बल्कि करीब 12,000 ऊंट और भेड़ों को भी पैदल रास्ते से सऊदी अरब से कतर की ओर लौटा दिया गया है।