कैसे बचाएं 40 करोड़ श्रमिकों को और गहरी गरीबी में जाने से?

Webdunia
शुक्रवार, 10 अप्रैल 2020 (09:49 IST)
रिपोर्ट चारु कार्तिकेय
 
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने कहा है कि कोविड-19 की वजह से इस साल 19 करोड़ से भी ज्यादा फुल टाइम नौकरियां चली जाएंगी। असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लगभग 40 करोड़ श्रमिकों के गहरी गरीबी में धंस जाने का खतरा है।
 
जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं, वैसे-वैसे सारी दुनिया में कोविड-19 महामारी के दीर्घकालिक असर को लेकर चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। महामारी कब खत्म होगी और कितनी जानें बचाई जा सकेंगी, ये सब जाहिर सवाल तो हैं ही। लेकिन महामारी जब चली जाएगी, तब अपने पीछे दुनिया का कैसा स्वरूप छोड़ जाएगी इस तस्वीर की कल्पना करने की भी लगातार कोशिश हो रही है।
ALSO READ: covid-19 : मंदी में चली जाएगी विश्व अर्थव्यवस्था, भारत-चीन हो सकते हैं अपवाद
इसी क्रम में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने भी एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें दावा किया गया है कि महामारी की वजह से इस साल की दूसरी तिमाही में 19 करोड़ से भी ज्यादा फुल टाइम नौकरियां चली जाएंगी।
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे ज्यादा खतरा पूरी दुनिया में असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले 2 अरब लोगों को है। इनमें से भारत, नाइजीरिया और ब्राजील में असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है। भारत में लगभग 90 प्रतिशत कामगार असंगठित क्षेत्र में ही काम करते हैं।
 
आईएलओ का कहना है कि कोविड-19 की वजह से ऐसे लगभग 40 करोड़ श्रमिकों के और गहरी गरीबी में धंस जाने का खतरा है। रिपोर्ट में भारत में लागू तालाबंदी के असर का भी जिक्र है। आईएलओ ने कहा है कि तालाबंदी का इन श्रमिकों पर बड़ा असर पड़ा है और इन्हें मजबूर होकर ग्रामीण इलाकों में वापस जाना पड़ा है।
बढ़ रही बेरोजगारी
 
भारत में अभी तक इस विषय में कोई सरकारी आंकड़ा सामने नहीं आया है, लेकिन निजी संस्था सीएमआईई के अनुसार बेरोजगारी दर बढ़कर 23.4 प्रतिशत हो गई है। भारत के पूर्व चीफ स्टैटिस्टिशियन प्रोनब सेन का अनुमान है कि इस दौरान कम से कम 5 करोड़ लोगों का रोजगार छिन गया होगा। केंद्र सरकार में आर्थिक मामलों के सचिव रह चुके सुभाष चंद्र गर्ग का कहना है कि यह आंकड़ा 10 करोड़ तक हो सकता है। असली तस्वीर शायद कुछ समय बाद ही सामने आएगी, लेकिन संकेत स्पष्ट है।
ALSO READ: असम में Corona से पहली मौत, अब तक 28 मामले सामने आए
अर्थशास्त्री आमिर उल्ला खान ने डॉयचे वेले से बातचीत में कहा कि भारत में 49 करोड़ से ज्यादा श्रमिकों का असंगठित क्षेत्र में होने का अनुमान है इसलिए आईएलओ का आंकड़ा मोटे तौर पर ठीक ही है। रोजगार का छिनना ही गरीबी का सबब बन जाता है। श्रमिक शहरों में जाकर, कमरतोड़ मेहनत कर जो कमाता है, उससे अपना पेट भी भरता है और अपने परिवार के सदस्यों का पेट भरने के लिए उन्हें भी पैसे भेजता है। तालाबंदी में नौकरी छिन जाने से यह क्रम रुक गया है।
 
लाखों श्रमिकों को सरकारें, गैरसरकारी संगठन और निजी कंपनियां रोज खाना तो खिला रही हैं, लेकिन इससे सिर्फ इनकी भूख का इलाज हो रहा है, गरीबी का नहीं। तालाबंदी कब खत्म होगी, आर्थिक गतिविधि कब पहले जैसी चाल पर लौट पाएगी और कब काम मिलेगा? यह भी अभी कहा नहीं जा सकता। इसलिए इन श्रमिकों के लिए आने वाले कई महीने अनिश्चितता से भरे हुए होंगे।
 
उपाय क्या है?
 
श्रमिकों को आर्थिक मदद की जरूरत है, इस बात से सरकार को भी इंकार नहीं है। इसलिए सरकार उन्हें मुफ्त खाद्यान्न, मुफ्त गैस के सिलेंडर, विधवाओं, बुजुर्गों और विकलांगों को 1,000 रुपए और जन-धन खातों वाली 20 करोड़ महिलाओं को 3 महीने तक 500 रुपए प्रतिमाह दे रही है।
 
लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ये पर्याप्त नहीं है। ग्रामीण इलाकों में समस्या नकद की होती है और इस मोर्चे पर सरकार की मदद बहुत छोटी है। कुछ कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की है और अदालत से अनुरोध किया है कि वो सरकारों को गरीबों को सीधी आर्थिक मदद देने के लिए कहे। लेकिन अदालत ने अभी तक इस याचिका पर अपना फैसला नहीं सुनाया है।
 
आमिर उल्ला खान कहते हैं कि उनका मानना है कि जब तक आर्थिक गतिविधि पूरी तरह शुरू नहीं हो जाती, तब तक सरकार को हर गरीब परिवार को 5,000 रुपए हर महीने देने चाहिए। वो कहते हैं कि ऐसे गरीब और जरूरतमंद परिवारों की संख्या करीब 20 करोड़ है तो इन्हें 5,000 रुपए देने में सरकार को करीब 1 लाख करोड़ रुपए खर्च करने पड़ेंगे, जो कि सरकार के लिए कोई बड़ी राशि नहीं है।
 
आमिर यह भी कहते हैं कि सरकार को इस वक्त फिस्कल डेफिसिट के बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए, क्योंकि पहली प्राथमिकता है आर्थिक रूप से कमजोर करोड़ों लोगों को गरीबी में और गहरा धंसने से बचाना।
 
सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका पर अगली सुनवाई 13 अप्रैल को है। देखना होगा कि अदालत उस दिन क्या कहती है और सरकार में इस बारे में आगे चलकर क्या सोच बनती है?

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरूर पढ़ें

साइबर फ्रॉड से रहें सावधान! कहीं digital arrest के न हों जाएं शिकार

भारत: समय पर जनगणना क्यों जरूरी है

भारत तेजी से बन रहा है हथियार निर्यातक

अफ्रीका को क्यों लुभाना चाहता है चीन

रूस-यूक्रेन युद्ध से भारतीय शहर में क्यों बढ़ी आत्महत्याएं

सभी देखें

समाचार

कौन है आतंकी अर्श डल्ला, जिसे कनाडा पुलिस ने किया गिरफ्तार

कांग्रेस नेता मतीन अहमद AAP में हुए शामिल

LIVE: CM विजयन पर प्रियंका गांधी वाड्रा का निशाना, कहा उन्होंने वायनाड के लिए क्या किया

अगला लेख
More