कोरोना की महामारी के दूसरे चरम से लड़ने में नाकामी और वैक्सीन लगाने में जरूरी तेजी के अभाव ने जर्मनी की हालत पस्त कर दी है। अमेरिका, ब्रिटेन और इसराइल की तुलना में जर्मनी पिछड़ गया है। कोरोना महामारी के पहले दौर में बेहतर इंतजाम से मिसाल बना जर्मनी न तो दूसरे दौर का सही तरीके से सामना कर सका न ही वैक्सीन की उचित व्यवस्था। वैक्सीन सेंटर तो बन गए लेकिन वैक्सीन की डोज नहीं मिल रही है। इस हालत से निबटने के लिए जिस वैक्सीन को मंजूरी देने की तैयारी है उसके कारगर होने को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।
जर्मन बिजनेस अखबार 'हांडेल्सब्लाट' ने संघीय सरकार के सूत्रों के हवाले से खबर दी थी कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन 65 साल से अधिक उम्र के लोगों में महज 8 फीसदी कारगर है। टेब्लॉयड बिल्ड ने भी यही खबर छापी है और कहा है कि जर्मनी में इस वैक्सीन को उम्रदराज लोगों को देने की अनुमति शायद नहीं मिलेगी। हालांकि एस्ट्राजेनेका के प्रवक्ता ने इन खबरों से साफ इंकार किया है और दावे को बिलकुल गलत बताया है।
जर्मन स्वास्थ्य मंत्री येंस श्पान ने एस्ट्राजेनेका कोरोनावायरस वैक्सीन के उम्रदराज लोगों पर बेअसर रहने की खबरों पर प्रतिक्रिया देने से इंकार किया है। स्वास्थ्य मंत्री ने मंगलवार को कहा कि मेरे ख्याल से ये हेडलाइनें कुछ अटकलों पर आधारित हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद अगले हफ्ते यह फैसला लिया जाएगा कि किस आयु वर्ग के लोगों को वैक्सीन पहले दिया जाए। इस वैक्सीन को यूरोपीय संघ में शुक्रवार को मंजूरी मिलने के आसार हैं।
यूरोपीय संघ ने यह सोचा था कि यह वैक्सीन यूरोप में मौजूद है और मंजूरी मिलते ही इस्तेमाल शुरू हो जाएगा। फिलहाल जर्मनी समेत यूरोपीय संघ के देशों में बायोन्टेक फाइजर और मॉडर्ना के वैक्सीन इस्तेमाल हो रहे हैं, हालांकि सप्लाई कम होने के कारण फिलहाल वैक्सीन बहुत कम ही लोगों को दी जा सकी है।
यूरोप में वैक्सीन की कमी
वैक्सीन की कमी को देखते हुए यूरोपीय संघ यूरोप से कोविड-19 के वैक्सीन के निर्यात को रोकने के प्रस्तावों पर विचार कर रहा है। यूरोपीय संघ ने वैक्सीन निर्यात का रजिस्टर बनाने का प्रस्ताव दिया है। जर्मन स्वास्थ्य मंत्री का भी कहना है कि यूरोप को उसका उचित हिस्सा मिलना चाहिए। जर्मन टीवी चैनल जेडडीएफ से बातचीत में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि मैं उत्पादन की दिक्कतों को समझ सकता हूं लेकिन तब इसका असर हर किसी पर एक जैसा होना चाहिए। मैं पहले यूरोप की बात नहीं कर रहा बल्कि यूरोप को उसका उचित हिस्सा देने की बात कह रहा हूं। उनका कहना है कि वैक्सीन के निर्यात को सीमित करना एक सही कदम होगा।
एस्ट्राजेनेका ने बीते शुक्रवार यूरोपीय संघ से कहा कि वह वैक्सीनों की सप्लाई के लक्ष्य को मार्च के आखिर तक पूरा नहीं कर सकता। इससे पहले बायोन्टेक फाइजर भी जनवरी में सप्लाई और कम रहने की बात कह चुका है। 27 दिसंबर को जर्मनी में वैक्सीन देने की शुरुआत की गई थी लेकिन लगभग 1 महीना बीत जाने के बाद भी यह प्रक्रिया जोर नहीं पकड़ सकी है। हजारों जर्मन बुजुर्ग वैक्सीन को लेकर दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। ऑनलाइन पर एरर मैसेज और हॉटलाइन जाम पड़े हैं तकनीकी दिक्कतों ने वैक्सीन देने की रफ्तार पर बुरा असर डाला है।
जर्मनी में भी टीके की समस्या
खासतौर जर्मनी के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया में तो दिक्कतें बहुत ज्यादा हैं। करीब 1.8 करोड़ की आबादी वाले नॉर्थ राइन वेस्टफालिया में कई यूरोपीय देशों से ज्यादा लोग रहते हैं। बीते महीने यहां नर्सिंग होम में रहने वालों और कर्मचारियों को वैक्सीन की डोज देने की शुरुआत हुई। हालांकि घरों में रहने वाले 80 साल से ज्यादा उम्र के लोग अपॉइंटमेंट का ही इंतजार कर रहे हैं। इनमें से बहुतों का इंतजार अभी और लंबा रहने की संभावना है।
तकनीकी दिक्कतों ने राज्य के मुख्यमंत्री आर्मिन लाशेट के लिए भारी शर्मिंदगी पैदा की है। लाशेट हाल ही में जर्मनी की सत्ताधारी पार्टी सीडीयू के प्रमुख चुने गए हैं और आने वाले चुनाव में चांसलर एंजेला मर्केल की जगह ले सकते हैं। राज्य में अभी महज 1.6 फीसदी लोगों को ही वैक्सीन का पहला डोज दिया जा सका है। वैक्सीन का संचालन कर रहे क्षेत्रीय डॉक्टरों की वेबसाइट पर सोमवार को संदेश था कि अत्यधिक मांग के कारण फिलहाल वैक्सीन के लिए अपॉइंटमेंट बुक करना संभव नहीं है। हम ऑनलाइन बुकिंग को दोबारा बहाल करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
राज्यों और केंद्र सरकार में तनाव
कमोबेश यही हाल दूसरे राज्यों का भी है। कुल मिलाकर जर्मनी में 24 जनवरी तक 15,54,355 लोगों को वैक्सीन का पहला डोज दिया गया है, जो कुल आबादी का महज 1.9 फीसदी है। इनमें से 2,28,763 लोगों को वैक्सीन की दूसरी खुराक दी जा चुकी है। पूरे देश में करीब 60 हजार लोगों को वैक्सीन हर दिन दिया जा रहा है। बेल्जियम और नीदरलैंड्स से लगने वाली सीमा पर मौजूद पश्चिमी जर्मनी के राज्यों के अस्पतालों के कर्मचारी पहले ही शिकायत कर चुके हैं कि नर्सिंग होम से बची वैक्सीन की खुराकें उन्हें नहीं दी गईं। जर्मनी की संघीय सरकार ने वैक्सीन के वितरण में हो रहीं परेशानियों से खुद को यह कहकर अलग कर लिया है कि जमीनी स्तर पर सुविधाओं का प्रबंध राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है।
इन सबके बीच जर्मनी में कोरोना के नए मामलों में थोड़ी-सी कमी आई है। बीते 7 दिनों में यहां संक्रमित होने वाले लोगों की औसत संख्या प्रतिदिन औसतन 13,611 है। हालांकि 25 जनवरी को बीते 24 घंटों में 6,887 लोग कोरोना से संक्रमित हुए। जर्मन स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि कोरोनावायरस से संक्रमण की संख्या कम हुई है और अगर यह सिलसिला जारी रहा तो पाबंदियों के बारे में कोई फैसला लिया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि एक बात तो साफ है कि स्कूल और नर्सरी बंद होने वाली आखिरी चीजें होंगी और पाबंदियों में छूट मिलने के बाद सबसे पहले उन्हें ही खोला जाएगा।