प्रतीकात्मक चित्र
पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के बाद जब जीव आया तो उसकी चाल कैसी थी? वैज्ञानिकों ने 30 करोड़ साल पुराने जीवाश्म कंकाल और संरक्षित प्राचीन कदमों के निशान के जरिए प्रागैतिहासिक काल में जीव की चाल का पता लगाने की कोशिश की है।
बर्लिन की हुम्बोल्ट यूनिवर्सिटी में क्रमिक विकास जीवविज्ञानी जॉन न्याकातुरा ने 2.9 करोड़ साल पुराने एक जीवाश्म के अध्ययन में कई साल बिताए। यह जीवाश्म मध्य जर्मनी की ब्रोमेकर की खदान से सन 2000 में मिला था। चार पैरों वाला यह शाकाहारी जीव डायनोसॉर से पहले धरती पर रहा था। वैज्ञानिक इसे लेकर बड़े रोमांचित रहते हैं और मानते हैं कि यह धरती पर रहने वाला बिल्कुल शुरुआती जीव था जो आगे चल कर आधुनिक स्तनधारियों, चिड़ियों और सरीसृपों में विकसित हुआ। वैज्ञानिकों का मानना है कि पहला उभयचर धरती पर 35 करोड़ साल पहले पैदा हुआ।
इस जीवाश्म का नाम ओराबेट्स पाब्स्टी रखा गया है। न्याकातुरा कहते हैं, "यह बहुत खुबसूरती से संरक्षित और अच्छे से व्यक्त कंकाल है।" इसके अलावा वैज्ञानिकों ने पहले से ही जीवाश्म में बदल चुके कुछ कदमों के निशानों को संरक्षित किया है। ये निशान 3 फीट लंबे किसी जीव के हैं। न्याकातुरा ने रोबोटिक्स के विशेषज्ञ कामिलो मेलो के साथ लुसान के स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एक मॉडल तैयार किया। इसके जरिए न्याकातुरा यह दिखाना चाहते थे कि करोड़ों साल पहले के शुरुआती जीव धरती पर कैसे चलते थे। इस रिसर्च के नतीजे साइंस जर्नल नेचर में छपे हैं।
रिसर्चरों ने प्रागैतिहासिक जीव के असल आकार का मॉडल तैयार किया है। इसके बाद उसे कई तरीकों से चलाया गया ताकि पुराने कदमों के निशान से उसे मिलाया जा सके। न्याकातुरा ने बताया, "हमने हरेक हड्डी को बहुत सावाधानी से तैयार किया।" रिसर्चरों ने थोड़े और बड़े रोबोट संस्करण के साथ बार बार अभ्यास किया। इस रोबोट को वे ओरोबोट कहते हैं। रोबोट मोटरों से बना है जिन्हें थ्रीडी पिंटर से बने प्लास्टिक और स्टील के हिस्सों से जोड़ा गया है। कामिलो मेलो ने बताया कि यह मॉडल, "असल दुनिया के गति विज्ञान के साथ गुरुत्वाकर्षण और घर्षण का परीक्षण करने में हमारी मदद करता है।" रिसर्चरों ने इन मॉडलों की असली जीवों से भी तुलना की। जिनमें सालामांडर और इगुआना जैसे सरीसृप भी शामिल थे।
रोबोटिक्स, कंप्युटर मॉडलिंग और सीटी स्कैन जैसी तकनीकों ने जीवाश्म विज्ञान में बहुत बदलाव किया है। वैज्ञानिकों के लिए अब अतीत के जीवन की संरचना तैयार करना आसान हो गया है। रोबोट मॉडल के आधार पर वैज्ञानिकों का कहना है कि इस प्राचीन जीव की चाल पुराने अनुमान से उलट काफी बेहतर थी। मेलो ने कहा, "वह शरीर को काफी उठा कर चलता था और अपने पेट या पूंछ को धरती पर घसीटता नहीं था।"
वैज्ञानिकों की इस खोज को काफी सराहना मिल रही है। कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि टाइम मशीन के बगैर ही न्याकातुरा और मेलो ने प्रागैतिहासिक जीवों के जीवन में झांकने में कामयाबी हासिल की है।