Fitch: पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) पर देश के साथ धोखाधड़ी के आरोप दर्ज हो गए हैं और रेटिंग (rating) एजेंसी फिच(Fitch)ने अमेरिका की रेटिंग घटा दी है। एक ही दिन में दो ऐसी खबरें आई हैं जिनसे अमेरिका की साख पर सवालिया निशान लगे हैं। दोनों ही घटनाएं अमेरिका की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए झटका हैं, जो खुद को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र मानता है।
एक तरफ तो अमेरिकी न्याय विभाग ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में मिली हार को पलटने की साजिश रचने के लिए आपराधिक मुकदमा दर्ज किया है, दूसरी तरफ रेटिंग एजेंसी फिच ने यह कहते हुए देश की क्रेडिट रेटिंग घटा दी है कि पिछले 20 साल में प्रशासन में लगातार गिरावट आई है। दोनों ही घटनाएं अमेरिका की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए झटका हैं, जो खुद को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र मानता है।
डोनाल्ड ट्रंप पर आरोप दर्ज
2016 से 2020 तक अमेरिका के राष्ट्रपति रहे डोनाल्ड ट्रंप पर चुनाव के नतीजों को पलटने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है। उन पर 4 आरोपों में मुकदमा दर्ज हुआ है जिनमें देश के साथ धोखाधड़ी, गवाहों के साथ जोर-जबर्दस्ती और जनाधिकारों के खिलाफ साजिश रचने के मामले शामिल हैं।
यह मामला 6 जनवरी 2021 की घटनाओं से जुड़ा है, जब ट्रंप समर्थकों ने कैपिटोल हिल पर धावा बोल दिया था और नए राष्ट्रपति के रूप में जो बाइडेन के नाम के अनुमोदन की औपचारिक प्रक्रिया को रोकने का प्रयास किया था। 77 वर्षीय राष्ट्रपति ट्रंप एक बार फिर राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने के लिए रिपब्लिकन पार्टी से उम्मीदवारी के दावेदार हैं। उन्होंने इन आरोपों को 'हास्यास्पद' बताते हुए खुद को निर्दोष कहा है।
अमेरिका की रेटिंग घटी
जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति पर देश के साथ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज हुआ है, उसी दिन रेटिंग एजेंसी फिच ने देश की क्रेडिट रेटिंग ट्रिपल ए से घटाकर डबल ए प्लस कर दी है। ऐसा करते वक्त उसने कहा है कि पिछले 2 दशक में सरकार के प्रशासन में लगातार गिरावट देखी जा रही है।
फिच ने देश की वित्तीय हालत और कर्ज के बोझ पर चिंता जताई है, हालांकि अमेरिका की वित्तमंत्री जैनेट येलेन ने रेटिंग घटाने के इस फैसले को मनमानीभरा बताया है और साथ ही सफाई भी दी है कि फिच का यह निर्णय 2018 से 2020 के 'पुराने आंकड़ों' पर आधारित है।
क्रेडिट रेटिंग का इस्तेमाल निवेशक किसी भी सरकार को कर्ज देने के लिए अपने जोखिम के मूल्यांकन के लिए करते हैं। अपनी अर्थव्यवस्था के विशाल आकार और स्थिरता के चलते अमेरिका को आमतौर पर बेहद सुरक्षित माना जाता है। लेकिन पिछले कुछ साल से अमेरिका में राजनीतिक अस्थिरता का दौर रहा है। 2020 के चुनावों के बाद बड़ी संख्या में लोगों ने जो बाइडेन की जीत को स्वीकार करने से ही इंकार कर दिया था।
अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर सवाल
इसी साल जून में अमेरिका डिफॉल्टर होने के कगार पर पहुंच गया था और सरकार को कर्ज सीमा बढ़ानी पड़ी थी। इसके लिए अमेरिकी राष्ट्रपति को खासी मशक्कत करनी पड़ी थी। अमेरिकी सरकार इस साल जनवरी में ही कर्ज लेने की अपनी मौजूदा सीमा 31.4 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गई थी, लेकिन वित्त विभाग ने सरकारी गतिविधियों के वित्तपोषण को जारी रखने की अनुमति देने के लिए असाधारण उपाय अपनाए।
डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी के सांसदों के बीच कर्ज की सीमा बढ़ाने को लेकर भयंकर गतिरोध रहा और आखरी पलों में ही कर्ज की सीमा बढ़ाई जा सकी थी। फिच ने एक बयान जारी कर कहा कि रेटिंग घटना अगले 3 सालों में होने वाले मौद्रिक गिरावट, बहुत तेजी से बढ़ते कर्ज और सरकारी तंत्र में उथल-पुथल का संकेत है।
निष्पक्ष रूप से काम करने वाली रेटिंग एजेंसी फिच के मुताबिक पिछले करीब 2 दशकों में देश के सरकारी तंत्र में अस्थिरता देखी गई है। एक बयान में एजेंसी ने कहा कि फिच का मानना है कि जून में दोनों दलों की सहमति से कर्ज सीमा को 2025 तक बढ़ाए जाने के बावजूद पिछले 20 साल में प्रशासन का स्तर लगातार गिरता रहा है। इसमें मौद्रिक और कर्ज संबंधी स्थितियां भी शामिल हैं।
अजीब फैसला
येलेन ने कहा कि वह फिच के इस फैसले से असहमत हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी प्रतिभूतियां आज भी दुनिया की सबसे सुरक्षित संपत्तियों में से एक हैं। अमेरिकी अर्थव्यवस्था आधारभूत रूप से मजबूत है। कई विशेषज्ञ फिच के इस फैसले से हैरान हैं। देश के पूर्व वित्तमंत्री लैरी समर्स ने कहा कि फिच का फैसला अजीब और मूर्खतापूर्ण है, क्योंकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था अनुमान से ज्यादा मजबूत नजर आ रही है।
वित्तीय सेवा आलियांज के मुख्य आर्थिक सलाहकार मोहम्मद अल-एरियन ने इसे एक असामान्य कदम बताया। उन्होंने कहा कि इस फैसले का अमेरिकी बाजारों और अर्थव्यवस्था पर कोई लंबा असर नहीं होगा और इसे खारिज किया जाएगा। फिच का अनुमान है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था कुछ समय के लिए मंदी में जा सकती है। एक अन्य क्रेडिट रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर्स ने भी हाल ही में अमेरिका की रेटिंग ट्रिपल ए से घटाकर डबल ए प्लस कर दी थी।