अमेरिकी वैज्ञानिकों मे द्रव्य से भरी ऐसी नकली कोख बनाने में सफलता पायी है, जिससे समय से पहले पैदा होने वाले बच्चों को बाकी समय के लिए मां के गर्भ जैसे माहौल में रहने का मौका मिलेगा।
एक बैग जो भीतर से द्रव्य से भरे नकली गर्भ जैसा माहौल देता हो। यह एक तरह का एक्स्ट्रा-यूटराइन सपोर्ट डिवाइस है, जिससे कई प्रीमेच्योर पैदा होने वाले बच्चों की देखभाल के क्षेत्र में क्रांति आ सकती है और उनके जीवित रहने की संभावना बढ़ायी जा सकती है।
वैज्ञानिकों ने प्री-क्लिनिकल स्टडी भेड़ों के ऊपर की। उनके बच्चों के लिए वे कृत्रिम गर्भ का माहौल और प्लेसेंटा का सपोर्ट देने में कामयाब रहे, जिससे नवजातों के फेफड़े और अन्य अंग ठीक से विकसित हो सके।
केवल अमेरिका में ही हर साल करीब 30,000 बच्चे समय के काफी जल्दी पैदा होते हैं। अक्सर 23वे से 26वें हफ्त के बीच जन्मे इन बच्चों में एक फुल टर्म यानि करीब 36 हफ्तों के मुकाबले काफी चीजें अल्पविकसित होती हैं। इस समय बच्चों का वजन केवल 500 ग्राम के आसपास होता है और फेफड़े हवा में सांस लेने लायक नहीं होते और उनके जीवित बचने की संभावना काफी कम होती है। ऐसे करीब 70 फीसदी बच्चे जीवित नहीं बचते और जो बच भी जाते हैं उनमें कई बार जीवन भर सेहत से जुड़ी परेशानियां लगी रहती हैं।
फिलाडेल्फिया के बच्चों के अस्पताल में बनायी गयी इस डिवाइस में बच्चे को एक द्रव्य से भरे चैंबर में कुछ हफ्तों के लिए वैसे ही लटका के रखने की व्यवस्था है, जैसा वो मां के गर्भ में होता। अगर ऐसे बच्चों को कम से कम 28 हफ्ते तक ठीक से जिन्दा रखा जा सके, तो उसके बाद उनके जीवित रहने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
वैज्ञानिकों के लगता है कि ऐसी डिवाइस को लाइसेंस मिलने और अस्पतालों में उपलब्ध होने में शायद सालों लग जाएंगे। अभी ऐसे बच्चों को वेंटिलेटर में रखा जाता है। टीम को इसे विकसित करने में तीन साल लगे। इसमें छह भेड़ के बच्चों को सकुशल रखा गया। इंसान के बच्चों और इन जानवरों के बच्चों के फेफड़ों के विकास की प्रक्रिया में काफी समानता है। यह रिसर्च नेचर कम्युनिकेशन में प्रकाशित हुआ है।