कांग्रेस ने फेसबुक पर बीजेपी से सांठगांठ का आरोप लगाते हुए उसे 'फेकबुक' करार दिया है। कांग्रेस ने बीजेपी के प्रति फेसबुक द्वारा दिखाए जा रहे कथित पक्षपात की जेपीसी से जांच कराने की मांग की है।
कांग्रेस ने फेसबुक पर भारत के चुनावों को 'प्रभावित' करने और लोकतंत्र को 'कमजोर' करने का आरोप लगाते हुए इसकी संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग की है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सोशल मीडिया साइट फेसबुक ने भारत में खुद को 'फेकबुक' में तब्दील कर लिया है। कांग्रेस ने अपने आरोप को दोहराया कि बीजेपी के सहानुभूति रखने वालों ने फेसबुक में 'घुसपैठ' की है। उसका आरोप है कि सोशल मीडिया दिग्गज बीजेपी की 'सहयोगी' की तरह काम कर रही है।
खुलासे से भड़की कांग्रेस
दरअसल कांग्रेस का हमला ऐसे वक्त में आया है जब फेसबुक के कुछ लीक हुए दस्तावेजों से पता चला है कि यह वेबसाइट भारत में नफरती संदेश, झूठी सूचनाएं और भड़काऊ सामग्री को रोकने में भेदभाव बरतती रही है। खासकर मुसलमानों के खिलाफ प्रकाशित सामग्री को लेकर कंपनी ने भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया है।
समाचार एजेंसी एसोसिएटेडे प्रेस के हाथ लगे कुछ दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि भारत में आपत्तिजनक सामग्री को रोकने में फेसबुक को संघर्ष करना पड़ा है। सोशल मीडिया दिग्गज के शोधकर्ताओं ने बताया कि इसके मंच पर 'भड़काऊ और भ्रामक मुस्लिम विरोधी सामग्री' से भरे समूह और पेज हैं।
हाल ही में कंपनी की पूर्व कर्मचारी फ्रांसिस हॉगेन ने कुछ लीक दस्तावेज के जरिए फेसबुक पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि फेसबुक की व्हिसलब्लोअर फ्रांसिस हॉगेन ने खुलासा किया किया कि फेसबुक की टीम में हिन्दी और बांग्ला के जानकार है ही नहीं, जो इन भाषाओं में पोस्ट में जा रही भड़काऊ बयान या विभाजनकारी सामग्री को फिल्टर कर निकाल सकें। इसलिए इन भाषाओं में ऐसी सामग्रियों पर कोई फैसला नहीं हो पाता है।
कांग्रेस का सरकार से सवाल
कांग्रेस ने सवाल किया कि भारत सरकार सोशल मीडिया सुरक्षा अनुपालन का हवाला देते हुए ट्विटर के खिलाफ बहुत सक्रिय थी लेकिन अब वह चुप क्यों है। कांग्रेस ने पिछले साल मीडिया रिपोर्टों के मद्देनजर जेपीसी जांच की मांग की थी कि भारत में फेसबुक की तत्कालीन शीर्ष सार्वजनिक नीति अधिकारी अंखी दास ने व्यावसायिक कारणों का हवाला देते हुए, कम से कम चार व्यक्तियों और समूहों से जुड़े 'अभद्र भाषा नियम' लागू नहीं किए थे। 2016 के बाद से ही फेसबुक अमेरिका में फर्जी खबरों को प्रोत्साहित करने में कथित भूमिका के लिए संदेह के दायरे में रही है।
खेड़ा का कहना है कि भारत में केवल 9 प्रतिशत यूजर्स अंग्रेजी में हैं और फिर भी कंपनी के पास क्षेत्रीय भाषाओं की पोस्ट को फिल्टर करने की व्यवस्था नहीं है। कांग्रेस के आरोपों पर फिलहाल फेसबुक ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। केंद्र सरकार और सत्ताधारी दल बीजेपी ने भी इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है।