विशेषज्ञों का कहना है कि एक सुस्त वैक्सीन अभियान, वायरस वैरियंट और सामूहिक समारोहों ने भारत में कोरोना का तूफान पैदा कर दिया है। भारत में कोरोना के रोज नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। 24 घंटे में 3.79 लाख नए मामले सामने आए।
अस्पतालों में ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मचा हुआ है, लोग एम्बुलेंस के लिए इंतजार करते रह जाते हैं लेकिन वह कभी आती ही नहीं और श्मशान घाटों पर लोगों को अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं मिल रही है। कोरोना वायरस की पहली लहर को तुलनात्मक रूप से नियंत्रित करने के बाद अब देश दैनिक संक्रमणों के वैश्विक रिकॉर्ड को तोड़ रहा है। वहीं बीते 24 घंटों में 3.79 लाख से अधिक नए मामले सामने आए। इतनी बड़ी संख्या में पहली बार इतने मामले दर्ज किए गए हैं।
इन्हें मिलाकर अब तक संक्रमित हुए लोगों की कुल संख्या 1।83 करोड़ के पार चली गई है। वहीं कोरोनावायरस के कारण मरने वालों की संख्या 2.04 लाख के पार पहुंच गई है। देश में नई लहर के बारे में उजाला सिग्नस अस्पताल के संस्थापक और निदेशक डॉ. शुचिन बजाज कहते हैं कि यह दहकती हुई आग की तरह है। यह जिसको भी छू रही है उसे जला डाल रही है।
वैरियंट संक्रमण को गति दे सकता है
इस अभूतपूर्व कोरोना विस्फोट के लिए कई कारण एक साथ जिम्मेदार बताए जा रहे हैं। दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादकों में से एक होने के बावजूद, भारत के पास अपनी योग्य जनसंख्या को टीका लगाने के लिए पर्याप्त स्टॉक नहीं है। सरकार की सुस्त वैक्सीन रोलआउट के लिए आलोचना की गई, क्योंकि नया वैरियंट बहुत अधिक तेजी से फैल रहा है। पहले ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और यूके में पाए जाने वाले कोरोना के रूप के अलावा, देश ने अपना खुद का अलग म्युटेशन पाया है। डब्ल्यूएचओ के प्रवक्ता तारिक जसारेवीव के मुताबिक कि ऐसा लगता है कि इस संस्करण में मानव कोशिकाओं को अधिक आसानी से संलग्न करने की क्षमता है। जाहिर है कि इससे अधिक लोग संक्रमित होंगे और अधिक लोग अस्पताल में भर्ती होंगे।
लेकिन भारत में कई लोगों में भी आत्मसंतुष्टि बढ़नी शुरू हो गई थी, खासकर जब देश में कई महीनों तक संक्रमण की संख्या कम रही। रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट सोसायटीज के अंतरराष्ट्रीय संघ के लिए दक्षिण एशिया प्रमुख उदाया रेगमी के मुताबिक कि हमने भारत में जो कुछ देखा है, वह स्पष्ट रूप से कई लोगों द्वारा अपनी सतर्कता को छोड़ देने का परिणाम है।
वे आगे कहते हैं कि एक बिंदु पर कोरोनावायरस की पहली लहर लगभग नियंत्रण में थी, और लोगों ने धीरे-धीरे बुनियादी महत्वपूर्ण जीवन रक्षक उपायों का पालन करना बंद कर दिया, जैसे कि चेहरे पर मास्क लगाना। जानकारों का कहना है कि संक्रमण बढ़ने के पीछे कई कारकों का योगदान हो सकता है। उदाहरण के लिए उत्सव या अन्य आयोजन जिनमें कई लोगों की भागीदारी के चलते संक्रमण के मामले बढ़े। राजनीतिक और धार्मिक नेताओं की ओर से महामारी को कम करके बताना भी अहम भूमिका निभाता है।
कोरोना के बढ़ते मामले के बावजूद सरकार ने कुंभ मेले के आयोजन को अनुमति दी जिसमें लाखों लोग शामिल हुए। राज्यों के चुनावों में भी बड़ी-बड़ी रैलियों का आयोजन हुआ और इन रैलियों में हजारों लोग शामिल हुए।
इस बीच, जमीनी स्तर पर सामुदायिक केंद्र और कई गैर लाभकारी संगठन फेस मास्क बांटने और गलत सूचना पर अंकुश लगाने के लिए काम कर रहे हैं। रेगमी कहते हैं कि हम वैक्सीन, मास्क पहनने और सामाजिक दूरी को लेकर बड़े पैमाने पर हिचकिचाहट से निपट रहे हैं।