100 रुपए में ब्रिटेन, फ्रांस और इटली में खरीदिए अपना घर

Webdunia
गुरुवार, 1 अगस्त 2019 (11:33 IST)
घर खरीदने की बात आते ही बातें लाखों और करोड़ों में होती हैं। लेकिन ब्रिटेन, फ्रांस और इटली में 100 रुपये से भी कम में अपना घर खरीदा जा सकता है। वहां सिर्फ एक पाउंड या एक यूरो खर्च कर अपना घर खरीदा जा सकता है।
 
स्नातक की पढ़ाई कर रही विक्टोरिया ब्रेनन जानती थीं कि वो एक जोखिम ले रही हैं। उन्होंने लिवरपूल के पास एक कप कॉफी से कम कीमत में एक घर खरीदा था। ये जुए जैसा था, लेकिन उनकी चाल सही रही। एक असंभव सा दिखने वाला काम सही हुआ और उन्हें घर मिल गया। वो अपने जीर्ण-शीर्ण हालत में दिख रहे दो बैडरूम वाले घर के बारे में कहती हैं कि इतनी कम कीमत में इसे खरीद पाना बहुत सुखद है। वो 31 साल की हैं और 2016 में उन्होंने इस घर को खरीदा था। उनका कहना है कि इसे ठीक करने में थोड़ी मेहनत लगेगी लेकिन वो मेहनत करने के लिए तैयार हैं।
 
एक पाउंड में घर देने की यह योजना लिवरपूल सिटी काउंसिल द्वारा चलाई जा रही है। इस स्कीम का उद्देश्य यूरोप और ब्रिटेन में आई घरों की कमी को दूर करना है। अब इसके ऊपर एक टीवी डॉक्यूमेंट्री भी बन रही है। उजाड़ होते जा रहे गांवों को बचाने के लिए उन्हें सिर्फ टोकन राशि पर बेच देना एक आखिरी रणनीति के तौर पर सामने आया है। इस स्कीम में स्थानीय निकाय खाली पड़े घरों को कम कीमत पर बेच देते हैं, बस इनकी मरम्मत का खर्चा खरीदने वाले को उठाना पड़ता है। लेकिन इसमें एक परेशानी भी है।
 
इतने सस्ते में पड़ने वाली ये संपत्तियां लिवरपूल के उन इलाकों में हैं जहां पर कोई ना कोई समस्या है। जैसे अपराध, असामाजिक तत्वों की मौजूदगी, आर्थिक रूप से पिछड़े और कम बसावट। ब्रेनन कहती हैं कि उनके यहां चोरी हो चुकी है, घर के बाहर पटाखे चलते रहते हैं, उनकी कार का शीशा भी फोड़ा जा चुका है। यहां तक कि उनका घर गिराए जाने के लिए भी चिह्नित हो चुका था। हालांकि इसी स्कीम को देखकर उत्तरी फ्रांस के शहर रूबै में भी इसी तरह एक यूरो में घर खरीदने की स्कीम चल रही है। यह शहर भी औद्योगिक रूप से उजड़ चुका है। इसलिए इसे फिर से बसाने की कोशिश हो रही है।
 
इटली के दक्षिणी शहरों में भी एक यूरो में घर बेचने की स्कीम चल रही है। मई के महीने में अर्जेंटीना से चीन तक अलग-अलग देशों के निवासियों ने साम्बूका कस्बे में इस तरह घर खरीदे। संपत्ति विशेषज्ञ हेनरी प्रायर कहते हैं कि चाहे लिवरपूल हो या इटली इस तरह एक यूरो या एक पाउंड में घर बिकने की कई सारी स्कीम चल रही है। ये उजड़ चुके शहरों को फिर से बसाने का एक अच्छा तरीका हो सकता है। काउंसिल के अनुसार लिवरपूल में इस स्कीम के जरिए अब तक 75 घर बेचे जा चुके हैं। 33 घरों पर अभी काम चल रहा है और 13 घरों को लेकर मोलभाव हो रहा है। अब तक 2,500 लोगों ने इस स्कीम के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है। ज्यादा आवेदन आने की वजह से फिलहाल स्कीम में नए आवेदन रोक दिए गए हैं।
 
इबी अलासेली अपने पति, मां और दो बच्चों के साथ रहती हैं। उन्होंने भी लिवरपूल की स्कीम में घर लिया है, उन्हें जून, 2018 में अपने घर की चाबी मिल गई थी। लेकिन घर के जीर्णोद्धार में बहुत ज्यादा समय लग रहा है। इस वजह से वो इस साल के आखिर में वहां शिफ्ट हो सकेंगी। वो कहती हैं कि ये इतना आसान नहीं है जितना दिखता है। इस घर की दीवारें टूटी हुईं थी, प्लास्टर उखड़ा हुआ था। यह एकदम मलबा हो रहा था। यहां सब अस्त व्यस्त था। ना इलेक्ट्रिक सर्किट का पता था और ना ही गैस मीटर का। सब फिर से किया जा रहा है।
 
लिवरपूल के मेयर जो एंडरसन कहते हैं, "इस स्कीम को केंद्र सरकार द्वारा इन घरों को तोड़े जाने से इंकार किए जाने के बाद शुरू किया। सरकार इनकी जगह दूसरे घर नहीं बनाना चाहती थीं। लेकिन इस स्कीम से अब नया समाज बन रहा है। आखिर लोग अपना खून पसीना लगाकर अपना घर बनाते हैं। इसलिए वो थोड़ी मेहनत कर एक अच्छा घर पा सकते हैं।"
 
हालांकि सब लोग इस स्कीम से खुश नहीं हैं। हाउसिंग चैरिटी संस्था शेल्टर के सीईओ पोली नेट कहते हैं कि ऐसी स्कीम में काउंसिल को ये याद रखना चाहिए कि लोगों की सारी मूलभूत जरूरतें पूरी हो पा रही हों। ऐसा ना हो कि ज्यादा घरों को बेचने के चक्कर में लोगों को कोई सुविधाएं ही ना दी जाएं। वो कहते हैं कि इंग्लैंड को सोशल हाउसिंग का एक नया ढांचा तैयार करना होगा। इसके लिए अगले 20 साल में करीब 31 लाख नए सोशल हाउस बनाने होंगे। इससे शहरों और कस्बों के बीच का अंतर कम हो सकेगा।
 
1980 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर द्वारा बनाए गए नियम कानूनों के बाद सस्ते घरों का बनना कम हो गया। इससे निर्माण कार्यों में भी कमी आई। किराए भी बढ़ने लगे और सस्ते घर तो लगभग खत्म ही हो गए। इस सबके चलते रिहायशी मकानों की कमी आ गई। पिछले साल ब्रिटेन की सरकार ने कहा कि वो 2 अरब पाउंड का निवेश कर घरों के ना होने की समस्या को खत्म करेगी। इस स्कीम पर बन रही डॉक्यूमेंट्री के प्रॉड्यूसर क्लेरी मास्टर्स भी इस स्कीम को ठीक मानते हैं। उनका मानना है कि इस स्कीम से घरों की समस्या का कुछ तो निदान होगा ही।
 
आरएस/एमजे (रॉयटर्स)

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरूर पढ़ें

साइबर फ्रॉड से रहें सावधान! कहीं digital arrest के न हों जाएं शिकार

भारत: समय पर जनगणना क्यों जरूरी है

भारत तेजी से बन रहा है हथियार निर्यातक

अफ्रीका को क्यों लुभाना चाहता है चीन

रूस-यूक्रेन युद्ध से भारतीय शहर में क्यों बढ़ी आत्महत्याएं

सभी देखें

समाचार

Jammu Kashmir में बड़ा हादसा, खाई में गिरी BSF जवानों की बस, 9 घायल, 3 ने गंवाई जान

BSF को मिजोरम में बड़ी सफलता, 40 करोड़ रुपए की नशीली गोलियां जब्त

No Car Day : इंदौर 22 सितंबर को मनाएगा नो कार डे, प्रशासन ने नागरिकों से की यह अपील

अगला लेख
More