बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद छोड़ने पर मजबूर करने वाले छात्र नेता अब अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने देश में जल्द चुनाव करवाने की मांग को ठुकरा दिया है।
अपने प्रदर्शनों से बांग्लादेश की तस्वीर बदल देने वाले छात्र अब खुद राजनीतिक अखाड़े में उतरने के बारे में सोच रहे हैं। उन्होंने जल्द चुनाव कराने की देश की दोनों मुख्य राजनीतिक पार्टियों की मांग को खारिज कर दिया है और अब खुद अपनी पार्टी बनाने की योजना बना रहे हैं।
इन छात्रों में से चार नेताओं ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि जिन सुधारों को शुरू किया गया उन्हें मजबूती देने के लिए वो खुद अपनी पार्टी बनाना चाह रहे हैं। महफूज आलम ने बताया कि छात्र नेता अवामी लीग और बीएनपी के वर्चस्व का अंत करने के लिए अपनी पार्टी शुरू करने पर चर्चा कर रहे हैं।
धर्मनिरपेक्षवाद और अभिव्यक्ति की आजादी होगा आधार
26 साल के आलम एक समिति का नेतृत्व कर रहे हैं जिसे सरकार और अध्यापकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं जैसे सामाजिक समूहों के साथ बातचीत करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
उन्होंने बताया कि छात्र नेता कोई फैसला लेने से पहले आम मतदाताओं से व्यापक रूप से विमर्श करना चाह रहे हैं और करीब एक महीने में फैसला ले लिया जाएगा। ढाका विश्वविद्यालय के आर्ट्स फैकल्टी के दरवाजे पर हुई बातचीत में उन्होंने बताया, 'लोग इन दोनों राजनीतिक पार्टियों से वाकई थक चुके हैं। उन्हें हम पर भरोसा है।'
एक और छात्र नेता तहमीद चौधरी ने कहा कि उनके राजनीतिक पार्टी बनाने की "काफी संभावना" है। उन्होंने जोड़ा कि छात्र अभी अपने कार्यक्रम की रूपरेखा बना रहे हैं, लेकिन यह तय है कि उनके अभियान की जड़ें धर्मनिरपेक्षवाद और अभिव्यक्ति की आजादी में होंगी।
वैश्विक धर्मों में स्नातक की पढ़ाई करने वाले 24 साल के चौधरी ने कहा, 'दोनों पार्टियों की बाइनरी को तोड़ने के लिए एक नई पार्टी बनाने के अलावा हमारे पास और कोई योजना नहीं है।'
नई सरकार बनने की संभावना
अंतरिम सरकार में दूरसंचार मंत्री 26 साल के नाहिद इस्लाम ने कहा, 'आंदोलन की भावना थी एक नया बांग्लादेश बनाने की, जहां कोई फासीवादी या तानाशाह वापस ना आ सके। यह सुनिश्चित करने के लिए हमें संरचनात्मक सुधारों की जरूरत है और इसमें थोड़ा समय तो जरूर लगेगा।'
इस्लाम ने कहा कि सरकार अक्टूबर तक चुनाव करवाने की अवामी लीग और बीएनपी की मांग पर विचार नहीं कर रही है। रॉयटर्स ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के एक प्रवक्ता से भी उनकी तरफ से एक टिप्पणी का अनुरोध किया था, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया। यूनुस पहले कह चुके हैं कि उन्हें कोई निर्वाचित पद लेने में रूचि नहीं है।
यूनुस के विदेश मंत्री की तरह काम कर रहे राजनयिक तौहीद हुसैन ने बताया कि छात्रों ने अपनी राजनीतिक योजनाएं अधिकारियों से साझा नहीं की हैं। लेकिन उन्होंने जोड़ा, 'राजनीतिक परिदृश्य बदलेगा क्योंकि हमने मूल रूप से युवा पीढ़ी को राजनीति से बाहर कर दिया था।'
यूनुस का देश में एक नैतिक प्रभाव है लेकिन कुछ जानकारों को इस बात पर संदेह है कि उनका प्रशासन क्या हासिल कर सकता है।
संविधान विशेषज्ञ शाहदीन मालिक कहते हैं, 'हम पूरी तरह से अपरिचित पानी में हैं, कानूनी रूप से और राजनीतिक रूप से भी। इस अंतरिम सरकार की शक्तियां परिभाषित नहीं की गई हैं क्योंकि इसका कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है।'
रॉयटर्स ने 30 से ज्यादा लोगों से बात कर यह समझने की कोशिश की है कि प्रदर्शनों के बाद किस तरह के स्थिति बन रही है और नई सरकार बनने की क्या संभावनाएं हैं। इन लोगों में महत्वपूर्ण छात्र नेता, हसीना के बेटे सजीब वाजेद, विपक्ष के नेता और सेना के अधिकारी भी शामिल हैं।
वाजेद ने अमेरिका से रॉयटर्स को बताया, 'राजनीतिक पार्टियां कहीं नहीं जा रही हैं। आप हमें मिटा नहीं सकते। आज नहीं तो कल, अवामी लीग या बीएनपी सत्ता में वापस आएगी। हमारे और हमारे समर्थकों की मदद के बिना आप बांग्लादेश में स्थिरता नहीं ला पाएंगे।'