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आपके पास पैसा है तो मैं पूरी रात आपकी...

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, बुधवार, 4 मई 2016 (17:49 IST)
दिल्ली में अफगान सेक्स रैकेट
वह अपना नाम दिलजान बताती है। सुनहरे बाल और हरी आंखें। अपने गोल चेहरे पर मुस्कान लाती हुई कहती है, 'अगर आपके पास पैसा है, तो मैं पूरी रात आपकी हो सकती हूं।' वह किसी पश्चिमी देश की नहीं, अफगान है।
वह अपना नाम दिलजान बताती है। सुनहरे बाल और हरी आंखें। अपने गोल चेहरे पर मुस्कान लाती हुई कहती है, 'अगर आपके पास पैसा है, तो मैं पूरी रात आपकी हो सकती हूं।' वह किसी पश्चिमी देश की नहीं, अफगान है।
 
दिलजान एक रात के 20,000 से 90,000 रुपए लेती है। हालांकि भारत में अब भी रूस और यूक्रेन की सेक्स वर्करों का बोलबाला है, लेकिन दिलजान जैसी अफगान बालाओं ने उन्हें हाशिए पर धकेल दिया है।
 
घर पर वह एक सीधी सादी इस्लामपरस्त औरत थी, जो हिजाब पहनती थी और हर सुबह उठ कर फज्र की नमाज पढ़ती थी। इसके बाद मां के साथ रसोई में खाना तैयार करती थी। इसके बाद 2001 का युद्ध आ गया। उसके परिवार को कंधार से काबुल भागना पड़ा। वहां किराए के एक मकान में उसे रहना पड़ा।
 
बुरा सपना उस दिन शुरू हुआ, जब एक शख्स ने दिलजान का बलात्कार किया। उस वक्त वह बाजार से लौट रही थी। उसने धमकी भी दी कि अगर किसी को यह बात बताई गई, तो उसे जान से मार दिया जाएगा। उसी महीने एक दूसरे शख्स ने भी बलात्कार किया, उसने भी ऐसी ही धमकी दी।
 
2011 में एक महिला उसके पास आई और उससे कहा कि दिल्ली के एक बड़े होटल में उसे वेटर का काम मिल सकता है। वह उछल पड़ी। उस औरत ने दिलजान के लिए पासपोर्ट और वीजा का इंतजाम किया और एक विमान पर चढ़ा दिया। दिल्ली में बताया गया कि नौकरी अब नहीं है। इसके बाद वह सेक्स के कारोबार में आ गई, 'छह दूसरी अफगान औरतें पहले से ही इस काम में लगी थीं।'
 
भारत की द वीक पत्रिका की खोजी रिपोर्ट में सीमा के दोनों तरफ लोगों से बात की गई और पता चला कि ऐसे दर्जनों मामले हैं। अफगानिस्तान सेक्स कारोबार के लिए स्रोत और गंतव्य बनता जा रहा है। किसी को नहीं पता कि कितनी अफगान औरतें इस दलदल में धकेली गई हैं। ड्रग कारोबार की तरह यह धंधा भी लुका छिपा के किया जाता है। दिलजान जैसी औरतों को कई बार उनके दलाल धोखा देते हैं और मानव तस्करों के हवाले कर देते हैं। दूसरों को अगवा कर लिया जाता है, बलात्कार होता है और सेक्स कारोबार में धकेल दिया जाता है। अमेरिका ने अफगानिस्तान को मानव तस्करी के मामले में 'टीयर 2' में रखा है।
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कई साल के युद्ध ने लाखों अफगान को बेघर किया और इसके बाद ही मानव तस्करी भी बढ़ी। पुरानी गरीबी और महिलाओं की बदतर हालात ने महिलाओं को और मुश्किल में डाल दिया। दूसरा मामला अफगानिस्तान के भूगोल का है। वह छह पड़ोसियों से घिरा है, जिनमें ईरान, पाकिस्तान और ताजिकिस्तान भी हैं। इनमें से कई सीमाओं की निगरानी लगभग असंभव है क्योंकि वहां पहाड़ों और पठारों का जाल सा बिछा है।
 
अफगान महिला ट्रेनिंग और विकास संस्थान की निदेशक पलवाशा साबूरी का कहना है कि हर साल सैकड़ों महिलाओं की तस्करी हो रही है। इसके बाद भी सरकार इस पर कोई कदम नहीं उठा रही है। उनका दावा है कि पिछले दो साल में उनकी संस्था ने 319 औरतों और बच्चों को बचाया है। साबूरी का कहना है, 'इनमें से ज्यादातर के साथ बुरी तरह यौन उत्पीड़न हुआ।' अफगान सरकार ऐसी औरतों के लिए शिविर चलाती है और फिलहाल आठ जगहों पर बलात्कार और तस्करी की शिकार 727 औरतों का पुनर्वास चल रहा है।
 
साल 2007 में ऐसा पहला शिविर बनाया गया, जहां सुरक्षा, छत, ट्रेनिंग और सेहत की जानकारी दी जाती है। कई शिविरों को स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय गैरसरकारी संगठन चला रहे हैं। जिन पीड़ितों को इन शिविरों में जगह नहीं मिल पाती है, उन्हें कई बार जेल में जाना पड़ता है। अफगन सरकार के महिला विभाग की निदेशक जकिया बरयालती का कहना है, 'हमारे पास पीड़ितों की पूरी सेना है।'
 
एक शिविर में मैं मारजाह से मिली, जो लोगार प्रांत की एक युवा महिला है। महीनों के इलाज के बाद अब वह किसी तरह बोलने के काबिल हो पाई है। उसने बताया कि वह जब नौ साल की थी, तब उसका बलात्कार किया गया और बाद में सेक्स कारोबार में धकेल दिया गया। भरी आंखों और भर्राए गले से मरजाह की टीस निकली, 'मैं अपने गांव नहीं लौटना चाहती। मेरा परिवार मुझे मार डालेगा। मेरी वजह से उन्हें ऐसी शर्म उठानी पड़ी।' काबुल के दूसरे शिविर में परवीन जान ने बताया कि वह किस तरह बमों के हमलों से बची, लेकिन सेक्स कारोबार से नहीं बच पाई।
 
2001 में अमेरिकी बमों ने उस जैसे कई लोगों के घर तबाह कर दिए। जब जान की जान पर बन आई, तो वह पास के शहर जलालाबाद भाग गई, जहां हालात थोड़े बेहतर थे। उसके बाद उसकी मां ने बताया कि उसकी शादी के लिए एक लड़का मिल रहा है। उसे लगा कि शादी तय की गई है लेकिन बाद में पता चला कि उसे तो 20,000 अफगानी में बेच दिया गया है। अगले तीन साल में वह दस बार और बिकी। 2011 में एक दलाल उसे तुरकन सीमा के रास्ते पाकिस्तान ले आया। यहां उसे अधनंगी हालत में नाचना पड़ता था, अमीर लोगों को खुश करना पड़ता ता और बदले में कुछ हजार पाकिस्तानी रुपये मिल जाते थे। पिछले साल जब उसका पाकिस्तानी मालिक कहीं गया हुआ था, वह भाग कर जलालाबाद चली गई। अब उसकी ऐसी हालत है कि बात भी नहीं कर सकती।
 
शिविर में उसकी दोस्त बनी जैबेश का कहना है, 'वह बर्बाद हो गई है। जब मैं उससे मिली और उसकी कहानी सुनी तो मैं अपना दुख दर्द भूल गई।' जैबेश के मां बाप ने जब उसे सेक्स कारोबार से बचाने की कोशिश की तो उसके बहनोई ने उन्हें मार दिया। उसने जैबेश को भी धमकी दी थी कि अगर भागने की कोशिश की तो उसे भी मार दिया जाएगा।

तालिबान के 2001 में पतन के बाद अफगानिस्तान का संविधान लिखा गया, जिसमें पुरुषों और औरतों को बराबरी का दर्जा दिया गया है। और 2009 में पास कानून के तहत जबरन शादी भी अपराध घोषित किया गया है, फिर भी वहां औरतों की हालत खराब है। जिस तरह अफगानिस्तान में हर जगह विदेशी सैनिक दिखते हैं, वैसे ही सड़कों से औरतें गायब दिखती हैं। अफगानिस्तान के मानवाधिकार आयोग में हर दिन शिकायतें आती हैं। इसकी चेयरमैन डॉक्टर सीमा समर कहती हैं, 'कबीलाई और सामाजिक वजहों से औरतों की तस्करी की रिपोर्ट नहीं की जा रही है।'
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सीमा ने खुद युवा औरत के रूप में तालिबान का क्रूर चेहरा देखा है, जब 1996 के बाद उसने काबुल पर कब्जा किया था। उन्होंने कई लोगों को मरते देखा है, 'आप आज जो बर्बरता देख रहे हैं, वह इसलिए कि उस वक्त लोगों ने युद्ध में जो कुछ देखा, उसके बाद वे बिलकुल बदल गए हैं।' पिछले साल मानवाधिकार आयोग ने जो सर्वे किया, उससे पता चला कि जिन औरतों ने युद्ध में अपने मां बाप को गंवा दिया उनके साथ ऐसा ज्यादा हुआ। दूसरी औरतें या तो बहुत गरीबी की वजह से या फिर जबरन शादी की वजह से इस संकट में फंस गईं।
 
सीमा बताती हैं, 'अफगानिस्तान दुनिया के सबसे गरीब देशों में शामिल है। युवाओं के लिए यहां शायद ही कोई काम है। भविष्य के बारे में भी किसी को पता नहीं है। ये सारी चीजें अफगानिस्तान को मानव तस्करी का गढ़ बनाती हैं।'
 
तस्करी के स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय रास्ते हैं। ज्यादातर रास्ते संयुक्त अरब अमीरात जैसे अरब देशों, पाकिस्तान और ईरान से गुजरते हैं। भारत तो नई जगह है। मानव तस्कर झूठ बोल कर धोखा देते हैं, वे शादी, पढ़ाई और अच्छी जिंदगी का झांसा देते हैं। एक बार कोई लड़की दिल्ली पहुंचती है, तो एजेंट फिर फर्जी इश्तिहार देकर ग्राहकों को जमा करते हैं। ये इश्तिहार मालिश और एस्कॉर्ट सर्विस के नाम पर दिए जाते हैं। कुछ अखबारों में रोज पूरे पूरे पेज पर ऐसे विज्ञापन छपते हैं। वे 24घंटे सर्विस देने का वादा करते हैं, घर पर या होटल में। विज्ञापनों में तो यहां तक लिखा होता है कि 'हॉट अफगान लड़कियां, जो आपकी संतुष्टि के लिए कुछ भी करने को तैयार रहती हैं।' 
 
दिल्ली पुलिस कमिश्नर (अपराध) एसबीएस त्यागी का कहना है कि भारत में विदेशी सेक्स वर्करों का प्रभाव बढ़ रहा है, 'हमने कई ऐसी लड़कियों को गिरफ्तार किया है।' उन्होंने माना कि अफगान लड़कियां बाजार में नई हैं, 'हमने वेश्यावृत्ति विरोधी कानून लागू किया है, हम विज्ञापनों की जांच करते हैं लेकिन हाई सोसाइटी में काम करने वाली सेक्स वर्करों पर निगरानी रखना बहुत मुश्किल है, जो निजी तौर पर काम करती हैं।'
 
आपराधिक जांच करने वाली काबुल पुलिस के प्रमुख जनरल मुहम्मद जाहिर ने बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी है कि अफगान औरतें भारत में पहुंच रही हैं, 'उन्हें धोखा दिया जा रहा है और उनके साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है। हमें इस बारे में नहीं पता कि उन्हें भारत कैसे ले जाया जा रहा है लेकिन हम भारत में पुलिस से बात कर रहे हैं।'
 
भारत और अफगानिस्तान के रिश्ते हाल के दिनों में बहुत अच्छे हुए हैं। काबुल के साथ रोजाना कई विमान सेवाएं चल रही हैं, जबकि कंधार से दिल्ली की सीधी उड़ान भी शुरू हुई है। भारत अब अफगान नागरिकों को आसानी से वीजा भी दे देता है। पिछले साल काबुल में भारतीय दूतावास ने 58,000 वीजा जारी किया। हालांकि इनमें से ज्यादातर मरीजों के लिए थे, लेकिन कई युवा औरतों को भी वीजा दिए गए, जो रोजगार खोजने भारत गईं। जकिया ने बताया कि भारतीय फिल्मों और टीवी सीरियल अफगानिस्तान में बहुत लोकप्रिय हैं, 'जब अफगान लड़कियां ये फिल्म देखती हैं, तो वे ऐसा ही बनने की कोशिश करती हैं।'
 
मंत्रालय में जकिया जब मुझसे बात कर रही थीं, तो तालिबान प्रभावित इलाके मैदान वरदाक प्रांत की एक बुजुर्ग महिला खदीजा पहुंची, वह एक लापता लड़की जिया गुल का पता लगाने आई हैं। जकिया के कर्मचारियों ने काबुल, कंधार और मजारे शरीफ के शिविरों में फोन किया। बदकिस्मती से कोई खबर नहीं मिली।
 
खदीजा को कहा गया कि हो सकता है कि जिया ईरान, पाकिस्तान या भारत भाग गई हो। खदीजा ने कहा, 'वह एक आजाद फरिश्ता थी।' उसने एक लंबी, खूबसूरत, सुनहरे बालों वाली लड़की की तस्वीर दिखाई। दो दिन पहले ही वह लापता हुई है। वह खदीजा के घर एक नई पोशाक दिखाने आई थी। जिया के परिवार वाले अब आरोप लगा रहे हैं कि खदीजा ने उसे बेच दिया। परेशान होते हुए वह कहती है, 'उसके भाइयों ने धमकी दी है कि अगर मैं उसे वापस नहीं ला पाई तो वे मुझे मार डालेंगे।'
 
 

काबुल के अधिकारी कभी इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं कि काबुल में सेक्स कारोबार बढ़ रहा है। 2005 में उस वक्त के आपराधिक जांच पुलिस प्रमुख जनरल अली शाह पकटीवाल को सुराग मिला कि शहर के कुछ चाइनीज रेस्त्रां के दरवाजे दरअसल सेक्स के अड्डे तक पहुंचाते हैं। पकटीवाल कहते हैं, 'मुझे ताज्जुब हुआ कि ये अड्डे शहर के बीच में चल रहे थे। यहां आम तौर पर विदेशी सुरक्षाकर्मियों, गैरसरकारी संगठन के सदस्यों और जासूसों का जमावड़ा लगता था।'
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उन्होंने बताया कि 96 चीनी औरतों को गिरफ्तार किया गया और बाद में उन्हें चीन भेज दिया गया। आरोप है कि अमेरिकी सुरक्षा एजेंसी आरए इंटरनेशनल लाइट हाउस नाम से सेक्स का अड्डा चला रही थी। इस केस के वक्त यह एजेंसी काबुल में अमेरिकी दूतावास को सुरक्षा प्रदान कर रही थी। बाद में जब जेम्स गॉर्डन नाम के सैनिक ने पर्दाफाश करने की मुहिम चलाई, तो यहां छापा मारा गया। यह मामला इतना संवेदनशील था कि इसकी जानकारी कभी सार्वजनिक नहीं की गई।

अफगानिस्तान में ज्यादा परेशानी स्थानीय सेक्स वर्करों की है। समाज में दिखाया जाता है कि जैसे वहां सेक्स वर्कर होते ही नहीं और इस वजह से इन्हें छिप कर रहना पड़ता है। यहां इसे लेकर किस कदर वर्जना है, अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक दलाल के बारे में पता चला कि वह 39 नंबर की गाड़ी चलाता है। इसके बाद अफगानिस्तान में कोई भी अपनी गाड़ी का नंबर 39 नहीं रखना चाहता था। यह नंबर दलालों के लिए रिजर्व हो गया। यहां तक कि लोग अपने मोबाइल फोन के नंबर में भी 39 रखने से परहेज करने लगे।
 
अफगानिस्तान में शादी के बाहर सेक्स गैरकानूनी है, जिसके तहत सेक्स वर्करों और उनके ग्राहकों को कड़ी सजा मिलती है। सजा के तौर पर दोषियों को पत्थर मार कर खत्म भी किए जाने का प्रावधान है।
 
अफगानिस्तान की अवार्ड विजेता फोटोग्राफर फरजाना वाहिदी ने पहली बार इस कारोबार को अपने कैमरे में कैद किया। 2008 में जब वह एक महिला पर स्टोरी कर रही थीं, तो उन्हें काबुल में चलने वाले एक सेक्स कारोबार का पता चला। वह बताती हैं कि वह जगह बाहर से एक आम घर की तरह लग रहा था, 'अंदर जाने पर मैंने देखा कि वहां सिर्फ औरते हैं। वे सेक्स वर्करों की तरह काम कर रही थीं। वे बाहर जाने की जगह सेलफोन पर अपने ग्राहकों से संपर्क कर रही थीं।'
 
उनके मुताबिक इस जगह सबसे ज्यादा उम्र की युवती 15 साल की एक अनाथ थी, जिसने काबुल में रॉकेट हमले में अपने मां बाप को खो दिया था। उनका दावा है कि 11 साल की एक और लड़की वहां मौजूद थी, जिसके साथ बचपन में यौन उत्पीड़न हुआ और बाद में वह सेक्स वर्कर बन गई। सबसे दुखद कहानी हेरात की एक युवती की है, जिसने दलालों के चंगुल से बचने के लिए खुद को आग लगा ली। फरजाना कहती हैं, 'वह बहुत दर्द में थी। उसका शरीर जैसे जल रहा था।' उसकी तस्वीर देखते हुए फरजाना रो पड़ी, 'वह बहुत खूबसूरत थी।' ऐसा करने वाली वह अकेली लड़की नहीं। अफगानिस्तान में कई लड़कियां हर साल खुदकुशी कर लेती हैं।
 
अफगानिस्तान की प्रमुख नेता शुक्रिया बरकजई का कहना है, 'यह सिर्फ महिलाओं का मुद्दा नहीं है। यह एक आर्थिक समस्या है, प्रवास की समस्या है और हमारे भविष्य की समस्या है।' अफगानिस्तान में हामिद करजई की सरकार ने तालिबान के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाया है और इससे शुक्रिया जैसी औरतों की चिंता बढ़ रही है, 'तालिबान किसी समस्या का हल नहीं है। सरकार को हर नागरिक की सुरक्षा का सम्मान करना है।'
इधर, दक्षिणी दिल्ली के एक पॉश कैफे में धीमे म्यूजिक के बीच दिलजान का फोन बज उठता है। सिगरेट के कश लगाती हुई वह कहती है, 'मैं आ रही हूं।' नीचे कार पहुंच चुकी है। वह उतरने लगती है, मैंने आखिरी सवाल पूछा, 'क्या कभी यह काम छोड़ना चाहती हो।' दिलजान मुस्कुरा पड़ी, 'अरे, ये मेरा कारोबार थोड़े ही है, ये तो खुदा की मर्जी है।'
 
(पीड़ितों के नाम बदल दिए गए हैं।)
रिपोर्टः सैयद नजाकत, द वीक
अनुवादः अनवर जे अशरफ
संपादनः महेश झा
 
(कश्मीरी मूल के सैयद नजाकत भारत की प्रतिष्ठित द वीक पत्रिका में विशेष संवाददाता हैं और 17 देशों से रिपोर्टिंग कर चुके हैं। उन्होंने सऊदी अरब में अल कायदा शिविर से भी रिपोर्टिंग की है। नजाकत को कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। वह फिलहाल मनीला यूनिवर्सिटी में फेलो हैं।)

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