Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

कोयले से चलने वाले 14 बिजली संयंत्रों को मिली बंद करने की चेतावनी

हमें फॉलो करें कोयले से चलने वाले 14 बिजली संयंत्रों को मिली बंद करने की चेतावनी
, गुरुवार, 6 फ़रवरी 2020 (15:51 IST)
पर्यावरण मानकों को लागू करने की समयसीमा का बार-बार उल्लंघन करने के बाद केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कोयले से चलने वाले 14 बिजली के संयंत्रों को बंद करने की चेतावनी दी है।
 
प्रदूषण के केंद्रीय नियामक ने इन संयंत्रों से यह भी कहा है कि पर्यावरण मानकों का उल्लंघन करने के लिए उन पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। इनमें से 9 संयंत्र राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के इर्द-गिर्द स्थित हैं और 5 दक्षिणी राज्यों में हैं।
 
ये संयंत्र भारत में कोयले से बनने वाली ऊर्जा की कुल क्षमता के 7 प्रतिशत से भी ज्यादा का योगदान करते हैं। इन्हें 31 जनवरी को नोटिस भेजे गए थे और इन्हें जवाब देने के लिए 15 दिनों का समय दिया गया है। 
 
अगर इन संयंत्रों को बंद कर दिया गया तो भारत के पहले से गिरते थर्मल कोयले के आयात पर और असर पड़ेगा। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अगस्त से अक्टूबर के बीच में भारत का थर्मल कोयला आयात लगातार 3 महीनों तक गिरा। चीन के बाद भारत दुनिया का सबसे बड़ा थर्मल कोयले का आयातक है। इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका के कोयला खनिकों के लिए भारत एक बड़ा बाजार है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) का यह कदम ऐसे समय पर आया है, जब भारत के कई शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में गिने जा रहे हैं। पंजाब में वेदांता लिमिटेड द्वारा संचालित तलवंडी साबो बिजली संयंत्र के महाप्रबंधक को लिखी गई एक चिट्ठी में सीपीसीबी के अध्यक्ष ने कई उल्लंघनों का जिक्र किया।
 
सीपीसीबी अध्यक्ष एसपी परिहार ने लिखा है कि तलवंडी साबो पॉवर लिमिटेड को निर्देश दिया जाता है कि वह कारण बताए कि क्यों न नियमों का उल्लंघन करने की वजह से संयंत्र की 1 से लेकर 3 तक यूनिटों को बंद कर दिया जाए और क्यों न पर्यावरण संबंधी जुर्माना भी लगाया जाए।
 
वेदांता ने कहा कि वह चिट्ठी का जवाब सभी संबंधित जानकारी के साथ देगी और वह पर्यावरण संबंधी आवश्यकताओं का पालन करने के प्रति प्रतिबद्ध है। भारतीय बिजली कंपनियों के सामने पहले उत्सर्जन मानकों को लागू करने की समयसीमा दिसंबर 2017 तक थी, बाद में बिजली उद्योग द्वारा की गई विस्तृत लॉबिंग के बाद उन्हें और समय भी दे दिया गया था।
webdunia
नई दिल्ली के इर्द-गिर्द कोयले से चलने वाले संयंत्रों के लिए केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने और समय मांगा है। दिल्ली के इर्द-गिर्द 11 संयंत्रों को 2019 खत्म होने से पहले इन मानकों को हासिल कर लेना था। लेकिन इनमें से सिर्फ 1 इस समय इन मानकों को पूरा कर रहा है। केंद्रीय बिजली प्राधिकरण के अनुसार कानून के तहत इन सभी संयंत्रों को फेफड़ों को बीमार करने वाले सल्फर डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन को कम करने के लिए उपकरण लगाने जरूरी हैं।
 
अपने-अपने यूनिटों में ये उपकरण लगाने के लिए 4 संयंत्रों ने ठेका दे दिया है लेकिन 6 संयंत्रों ने नहीं दिया है। भारत में कोयले से चलने वाले जितने संयंत्र हैं, उनमें से आधे संयंत्र इन उपकरणों को लगाने की अंतिम तिथि तक ये काम नहीं कर पाएंगे। 
 
सीके/एके (रायटर्स)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

तीसरे स्टेट ऑफ द यूनियन भाषण में बोले ट्रंप, अमेरिका का भविष्य 'उज्ज्वल'