नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के नवनियुक्त चेयरमैन ग्रेग बार्कले ने सोमवार को स्वीकार किया कि विश्व टेस्ट चैंपियनशिप वो लक्ष्य हासिल नहीं कर पाई जिसके लिए इसे बनाया गया था और कोविड-19 के कारण हुए व्यवधान ने इसकी कमियों को उजागर ही किया।
महामारी के कारण विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) का कार्यक्रम अस्त-व्यस्त हो गया और आईसीसी ने प्रतिशत के हिसाब से अंक देने का फैसला किया, क्योंकि 2021 में लॉर्ड्स में फाइनल से पहले सभी निर्धारित श्रृंखलाएं इतने कम समय में पूरी नहीं की जा सकतीं।
टेस्ट चैंपियनशिप ने क्या उद्देश्य के हिसाब से प्रारूप में बदलाव किया है तो उन्होंने वर्चुअल मीडिया कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि संक्षिप्त में कहूं तो मुझे ऐसा नहीं लगता। कोविड-19 ने शायद चैंपियनशिप की कमियों को उजागर ही किया है।
न्यूजीलैंड के बार्कले को लगता है कि मौजूदा क्रिकेट कैलेंडर में काफी समस्याएं विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के कारण हुईं जिसे प्रारूप को लोकप्रिय बनाने के लिए लाया गया और उनके अनुसार ऐसा नहीं हुआ। हमारे पास जो मुद्दे थे, मुझे लगता है कि इनमें से कुछ टेस्ट चैंपियनशिप को लाने के प्रयास के कारण हुए जिसका उद्देश्य टेस्ट क्रिकेट में लोगों की दिलचस्पी वापस लाने का था।
उन्होंने कहा कि आदर्शवादी नजरिए से देखा जाए तो यह काफी अच्छी थी लेकिन व्यावहारिक रूप से मैं भी इससे सहमत नहीं हूं, मैं भी सुनिश्चित नहीं हूं कि इसने वो सब हासिल किया जिसके लिए इसे बनाया गया था। बल्कि बार्कले ने संकेत दिया कि शुरुआती डब्ल्यूटीसी अंतिम हो सकती है, क्योंकि छोटे सदस्य टेस्ट क्रिकेट चैंपियनशिप नहीं करा सकते। उन्होंने कहा कि मेरा व्यक्तिगत विचार है कि कोविड-19 में हम इसमें जो कुछ कर सकते हैं, वो अंकों को बांटकर कर सकते हैं और बस इतना ही।
उन्होंने कहा कि लेकिन एक बार ऐसा करने हमें फिर से बातचीत करनी चाहिए, क्योंकि मैं निश्चिंत नहीं हूं कि इसने (डब्ल्यूटीसी) ने अपना उद्देश्य हासिल किया जिसके लिए इसे 4-5 साल पहले विचार के बाद बनाया गया था। मुझे लगता है कि हमें इसे कैलेंडर के हिसाब से देखना चाहिए और क्रिकेटरों को ऐसी स्थिति में नहीं पहुंचाना चाहिए जिसमें यह स्थिति को खराब ही कर दे। (भाषा)