क्या कहता है सॉफ्ट सिग्नल का नियम जिस पर हुआ चौथे टी-20 में जमकर बवाल

Webdunia
शुक्रवार, 19 मार्च 2021 (15:39 IST)
कल दो निर्णय अगर भारत के पक्ष में गए होते तो शायद चौथा टी-20 मैच आखिरी ओवर तक जाता ही नहीं। खासकर सूर्यकुमार यादव का आउट होना कई भारतीय फैंस को अखर गया। 
 
ईशान किशन भी अपने मुंबई इंडियन्स के साथी ईशान किशन की तरह ही अर्धशतक लगाने में सफल रहे।यही नहीं उन्होंने पहले टी-20 में अर्धशतक लगाने वाले ईशान किशन की तरह ही 28 गेंदो में 50 रन पूरे किए। 
 
कल 31वीं गेंद पर सूर्यकुमार यादव ने हवाई शॉट खेला और मलान ने कैच पकड़ने का दावा किया। मैदानी अंपायर ने सॉफ्ट सिगनल आउट दिया और इस फैसले में तीसरे अंपायर से मदद मांगी। मलान ने बड़ी चालाकी से दोनों हथेलियां नकल के आकार में कर रखी थी। इस कारण यह प्रतीत हो रहा था कि गेंद भले ही जमीन को छू रही है लेकिन वह उंगलियों के बीच फंसी हुई है। कोई ठोस सबूत ना होने के कारण तीसरे अंपायर ने मैदानी अंपायर का फैसला नहीं बदला और सूर्यकुमार को पवैलियन जाना पड़ा।
 
आखिरी ओवर में भी सुंदर ने थर्ड मैन पर हवाई शॉट खेला और गेंद रशीद ने कैच कर ली। इस फैसले में भी तीसरे अंपायर की मदद मांगी गई और मैदानी अंपायर का सॉफ्ट सिगनल आउट ही रहा। रीप्ले में यह दिख रहा था कि रशीद का पिछला पैर रस्सी से हल्का सा टकराया है। लेकिन फिर सबूतों के अभाव में मैदानी अंपायर का फैसला ही माना गया। 
 
इस वाक्ये की पूर्व भारतीय बल्लेबाज वीसीएस लक्ष्मण, वसीम जाफर और आकाश चोपड़ा ने कड़ी आलोचना की। 
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How can this be out. When you are not sure whether the ball was taken cleanly after watching so many replays using top class technology and still go by the soft signal given by the on-field umpire. I think this rule needs to be revisited and changed. #INDvsENG pic.twitter.com/b5XMdH8qEz

— VVS Laxman (@VVSLaxman281) March 18, 2021 > <

Violets are blue, so is Sky
Dear @icc 'soft signal' why?
#IndvEng #suryakumar #NotOut pic.twitter.com/cCDYXjpMVt

< — Wasim Jaffer (@WasimJaffer14) March 18, 2021 > <

Time to take a Hard Call on the Soft Signal. The moment it’s outside the circle, it should be outside the purview of the on-field umpire. It’s unfair to blame the umpires...on-field and the third umpire. It’s the rule that needs changing. #IndvEng

< — Aakash Chopra (@cricketaakash) March 18, 2021 >
 
क्या होता है सॉफ्ट सिग्नल का नियम?
 
दरअसल कोई भी शंका के समय मैदानी अंपायर अपना फैसला सुनाकर इसमें तीसरे अंपायर की मदद मागता है। लेकिन उससे पहले मैदानी अंपायर को खुद बताना पड़ता है कि उसका क्या फैसला है। अगर तीसरे अंपायर को कोई पुख्ता सबूत मिलता है तो ही मैदानी अंपायर के फैसले को पलटा जाता है अन्यथा नहीं। 
 
इसे रिव्यू में अंपायर्स कॉल की तरह भी समझ सकते हैं। जब किसी निर्णय से कप्तान असहमत होता है तो वह रिव्यू लेता है। अगर बॉल ट्रेकिंग का कोई भी कारक पीले रंग से अंपायर्स कॉल बताता है तो मैदानी अंपायर का नतीजा ही माना जाता है। 
 
क्या है कमी ?
 
यह 90 के दशक का एक पुराना नियम हो चुका है। अगर मैदानी अंपायर बाउंड्री पर लिए गए कैच को ढंग से देखकर निर्णय सुना सकता है तो तीसरे अंपायर की जरुरत क्यों है। और अगर तीसरे अंपायर की मदद लेनी ही है तो फिर मैदानी अंपायर को सॉफ्ट सिग्नल देने के लिए बाध्य क्यों होना पड़ता है। सीधे तीसरे अंपायर से ही मदद ली जा सकती है। पहले के जमाने में यह नियम फिर भी ठीक था अब क्रिकेट स्टेडियम का हर हिस्सा कैमरे से कवर होता है। ऐसे में फैंस और पूर्व क्रिकेटर आईसीसी पर इस नियम को बदलने के लिए दबाव बना रहे हैं। (वेबदुनिया डेस्क)

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