नई दिल्ली। भारत के स्टार हरफनमौला हार्दिक पांड्या कमर की चोट के कारण फिलहाल टेस्ट क्रिकेट का जोखिम नहीं लेना चाहते और ऐसा इसलिए भी है क्योंकि उन्हें सीमित ओवरों के प्रारूप में अपनी उपयोगिता पता है। पांड्या ने सितंबर 2018 से टेस्ट नहीं खेला है। वह अब तक सिर्फ 11 टेस्ट खेले हैं लेकिन सीमित ओवरों में आक्रामक हरफनमौला के रूप में अपनी जगह पक्की कर चुके हैं। वह पिछले साल कमर के आपरेशन के बाद रिकवरी की ओर हैं।
उन्होंने ‘क्रिकबज’ से कहा, ‘मैं खुद को बैकअप तेज गेंदबाज के रूप में देखता हूं। कमर की सर्जरी के बाद फिलहाल टेस्ट क्रिकेट खेलना चुनौतीपूर्ण होगा।’ उन्होंने कहा, ‘यदि मैं सिर्फ टेस्ट क्रिकेटर होता तो खेल लेता लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि सीमित ओवरों के प्रारूप में मुझे अपनी उपयोगिता पता है।’ पांड्या को 2018 में चोट लगी थी जब उन्हें पाकिस्तान के खिलाफ एशिया कप मैच के दौरान मैदान से स्ट्रेचर से ले जाया गया।
उन्होंने कहा, ‘मुझे लगा कि मेरा करियर खत्म हो गया क्योंकि मैने कभी किसी को यूं स्ट्रेचर पर जाते हुए नहीं देखा। मेरा दर्द कम ही नहीं हो रहा था लेकिन मेरा शरीर तुरंत रिकवरी मोड में चला गया। एशिया कप वैसे भी आराम मिलने से पहले मेरा आखिरी टूर्नामेंट था जिसमें यह चोट लग गई।’ पिछले साल एक टीवी शो पर महिला विरोधी बयानबाजी के कारण विवादों से घिरे पांड्या ने कहा कि उन्होंने अपना सबक सीख लिया है।
उन्होंने कहा, 'मैं उस घटना के बाद समझदार हो गया हूं। मैने जिंदगी में गलतियां की लेकिन उन्हें स्वीकार भी किया। यदि ऐसा नहीं होता तो मैं एक और टीवी शो कर रहा होता।’ पांड्या ने कहा, ‘अब मैं उसे सोचकर परेशान नहीं होता क्योंकि हमने एक परिवार के रूप में उसे स्वीकार कर लिया। मुझे सबसे ज्यादा दुख इस बात का है कि मेरी गलती की सजा मेरे परिवार ने भुगती। यह स्वीकार्य नहीं है।’
उन्होंने स्वीकार किया कि करियर में एक दौर ऐसा भी था जब दूसरों की बातों का उन पर बहुत असर होता था और वह विचलित हो जाते थे। उन्होंने कहा, ‘मेरी आईपीएल टीम मुंबई इंडियस के कोच रिकी पोंटिंग ने एक बच्चे की तरह मुझे संभाला। मैने उनसे काफी कुछ सीखा है।’ (भाषा)