टेस्ट क्रिकेट में भारत का सबसे विश्वसनीय खिलाड़ी राहुल द्रविड़ का आज 49वां जन्मदिन है। राहुल द्रविड़ की शख्सियत के बारे में सभी जानते हैं, उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में योगदान दिया है शायद ही किसी बल्लेबाज ने दिया हो।
सौरव गांगुली के साथ अपने टेस्ट करियर की शुरुआत करने वाले राहुल द्रविड़ नर्वस नाइनटीस में आउट हो गए थे और पहले टेस्ट में शतक बनाने से चूक गए थे। हालांकि इसके बाद उन्होंने अपना पहला टेस्ट शतक जॉहन्सबर्ग में बनाया जहां दूसरा टेस्ट हुआ था।
दक्षिण अफ्रीका से राहुल द्रविड़ का पुराना नाता है। साल 2006 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारत ने वनडे सीरीज में दोयम दर्जे का प्रदर्शन किया था। लेकिन टेस्ट में एक अलग ही टीम उतरी। दक्षिण अफ्रीका की धरती पर भारत को पहला टेस्ट जिताने वाला कप्तान राहुल द्रविड़ ही था।
वह टेस्ट कई मायनों में यादगार था। ग्रैग चैपल के विवाद के बाद सौरव गांगुली को टेस्ट टीम में शामिल किया था ताकि थोड़ा अनुभव टीम में आ सके। गांगुली ने अपनी वापसी भी शानदार अंदाज से की और जिस पिच पर बल्लेबाज दहाई का आंकड़ा छूने में संघर्ष कर रहे थे वहां पर 50 रन जड़ दिए।
इसके बाद आया भारतीय तेज गेंदबाजों का तूफान। श्रीसंत और जहीन खान ने दक्षिण अफ्रीका को उसकी ही कड़वी घुट्टी का स्वाद चखाया और पूरी टीम को 90 रन भी नहीं बनाने दिए।
भारत के पास यह मैच जीतने का एतिहासिक अवसर था और दूसरी पारी में ना गेंदबाजों ने और ना ही बल्लेबाजों ने टीम को निराश किया। राहुल द्रविड़ की अगुवाई ने दक्षिण अफ्रीका को 123 रनों से हरा दिया था।
अब कोच की भूमिका में है श्रीमान भरोसेमंद
दक्षिण अफ्रीका के सामने पहले राहुल द्रविड़ एक कप्तान और उससे भी पहले एक भरोसेमंद बल्लेबाज के तौर पर जाने जाते थे। उनकी तकनीक के कारण यह कहा जाता था कि राहुल द्रविड़ का विदेश के टेस्ट में बड़ा स्कोर बनाना बहुत जरूरी है नहीं तो टीम इंडिया मुश्किल में पड़ जाएगी।
इस कारण टेस्ट क्रिकेट में उनका कद सचिन तेंदुलकर से भी बड़ा था। हालांकि अब वह कोच की भूमिका में है और जैसे 15 साल पहले अपनी टीम को दक्षिण अफ्रीका में पहली टेस्ट जीत दिलाई थी अब वह बतौर कोच टीम इंडिया को पहली टेस्ट सीरीज जीत जिताने में लगे हुए हैं।
ऐसा रहा है करियर
राहुल द्रविड़ ने 164 टेस्ट में 36 शतक की मदद से 13288 रन जबकि 344 वनडे में 12 शतक की मदद से 10889 रन बनाए। एकमात्र टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाले द्रविड़ बेहतरीन स्लिप क्षेत्ररक्षक भी थे। उन्होंने 2012 में खत्म हुए अपने टेस्ट करियर के दौरान विश्व रिकार्ड 210 कैच लपके। उनकी कोचिंग में भारतीय अंडर 19 टीम ने साल 2018 का विश्वकप भी जीता था।
कोचिंग का है जुदा अंदाज
राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) के निदेशक रहे राहुल द्रविड़ ने भारत की अंडर—19 और 'ए' स्तर की टीमों के साथ बतौर कोच कार्यकाल में सुनिश्चित किया कि दौरे पर गये प्रत्येक खिलाड़ी को मैच खेलने का मौका मिले जबकि उनके जमाने में ऐसा नहीं होता था।
भारत की युवा प्रतिभाओं को तराशने का श्रेय द्रविड़ को जाता है। यही कारण है कि भारत एक ही समय पर दो टीमों को अलग अलग दौरे पर भेज सकता है। जिसकी शुरुआत अगस्त 2021 में हुई थी। भारत की सीनियर टीम इंग्लैंड में थी तो राहुल द्रविड़ को श्रीलंका दौरे के लिए कोच नियुक्त किया गया था जिसमें बहुत से जूनियर खिलाड़ियों को मौका दिया गया था।