नई दिल्ली:भारतीय क्रिकेट टीम ने साल 2021 की शुरुआत ऑस्ट्रेलिया में जीत के साथ की और साल का अंत दक्षिण अफ्रीका में सेंचुरियन टेस्ट में 113 रन की जीत के साथ किया, लेकिन इन यादगार पलों के दौरान विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फ़ाइनल की हार, टी 20 विश्व कप के ग्रुप चरण में बाहर हो जाना और विराट कोहली का कप्तानी विवाद कुछ ऐसे पल रहे जो क्रिकेट प्रेमियों को चुभोते रहे।
पिछले वर्ष की तरह 2021 भी एक मुश्किल साल था। कोरोना अब भी जीवन का एक हिस्सा बना हुआ है। इसके बावजूद इस साल ने भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को कई यादगार लम्हें भेंट में दिए। मानवता ने पिछले सौ साल में कोविड महामारी जैसा संकट नहीं देखा था पर इस चुनौती में भारतीय क्रिकेट टीम प्रेरणास्रोत बनी। टीम ने दर्शाया कि परिस्थितियां कितनी भी विपरीत हो, जीत उसी की होती है जो आख़िरी गेंद तक हार नहीं मानते।
इसे समय का फेर कहें या संयोग, वर्तमान क्रिकेट के सबसे बड़े नायक विराट कोहली के लिए यह अजीब सा साल था। लगातार दूसरे साल वह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में कोई शतक नहीं जड़ सके।
ऑस्ट्रेलिया में भारतीय टीम ने अजिंक्या रहाणे के नेतृत्व में सीरीज़ 2-1 से अपने नाम की । उसके बाद भारत ने इंग्लैंड को उसके घर में परास्त किया और विदेशी धरती पर भी उसी टीम पर हावी रहा। लेकिन इस बीच विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फ़ाइनल में न्यूज़ीलैंड से उसके हाथ निराशा लगी। तेज गेंदबाजी के लिए अनुकूल वातावरण में पांच गेंदबाज़ों में दो स्पिनर खिलाना भारत को भारी पड़ा और इस फ़ैसले का ख़ामियाज़ा आने वाले हफ़्तों में अश्विन को चुकाना पड़ा।
उस सीरीज़ के ख़त्म होने तक कुछ ऐसे फ़ैसले लिए गए जिनका असर अभी तक दिखाई देता है।विराट ने टी20 विश्व कप के बाद इस प्रारूप से कप्तानी पद से हटने का निर्णय लिया। साथ ही उन्होंने 2021 के आईपीएल के बाद आरसीबी की कप्तानी से भी हटने का फ़ैसला सुनाया। इसमें बड़ी आश्चर्य की कोई बात नहीं थी क्योंकि कप्तानी किसी भी खिलाड़ी की मानसिक ऊर्जा को भरपूर तरीक़े से निकाल लेती है और कोहली लगभग सात वर्ष से विभिन्न प्रारूपों में यह ज़िम्मेदारी निभा ही रहे थे।
पर जब उन्होंने बाद में क्रिकेट बोर्ड अध्यक्ष सौरव गांगुली की कथित बातों का खंडन किया तो इतना ज़रूर साफ़ हुआ कि कप्तान और बोर्ड इस साल के आख़िरी कुछ महीनों के फ़ैसलों पर एकमत नहीं थे। शायद यह स्थिति केवल स्पष्ट संचार के अभाव की उपज थी लेकिन विश्व क्रिकेट के सबसे शक्तिशाली बोर्ड की छवि को इससे क्षति ज़रूर पहुंची।
पुरुष क्रिकेट में भारत का साल मिला-जुला रहा। विदेशी धरती पर टेस्ट क्रिकेट में सफलता जहां मौजूदा गेंदबाज़ी क्रम में पैनापन दर्शाती है वहीं इसी साल कई बार बल्लेबाज़ी क्रम का ढह जाना बताता है कि इस टीम में निरंतरता का अभाव है। बैटिंग में मज़बूती की कमी इस साल सफ़ेद गेंद क्रिकेट में नज़र आई हालांकि कहा जा सकता है कि टी20 विश्व कप में एक साधारण प्रदर्शन के पीछे और भी कारण थे - कप्तान और कोच रवि शास्त्री के लिए यह एक आख़िरी टूर्नामेंट होना और ऊपर से मुख्य मैचों में विराट का टॉस हारना।
भारतीय टीम टूर्नामेंट के ग्रुप चरण से आगे नहीं बढ़ पायी थी। उसे पाकिस्तान और न्यूजीलैंड से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद उसने अफगानिस्तान, स्कॉटलैंड और नामीबिया को हराया था।इसमें से सबसे चुभने वाली हार रही पाकिस्तान से जिसने पहली बार भारत को टी-20 विश्वकप में हराया वह भी 10 विकेट से।
इस साल भारत ने 3 टी-20 सीरीज खेली। इंग्लैंड के खिलाफ 3-2 से जीत मिली। वहीं श्रीलंका ने 2-1 से भारत को हराया और टी-20 विश्वकप के 5 मैचों में से पहले 2 मैच हारकर टीम टूर्नामेंट से बाहर हो गई हालांकि अगले 3 मैच भारत ने जीते।
महिला क्रिकेट के लिए साल और भी यादगार था। मार्च 2020 में टी20 विश्व कप फ़ाइनल खेलने के बाद अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में उनकी वापसी उतनी सुखद नहीं थी लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि महिला क्रिकेट में दक्षिण अफ़्रीका अब एक मज़बूत टीम बन चुकी है। 2014 के बाद भारत ने पहली बार टेस्ट क्रिकेट खेला और इंग्लैंड में मेज़बान टीम से डटकर मुक़ाबला करते हुए मैच ड्रॉ किया।
इस आत्मविश्वास को दोहराते हुए भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया को अपने घर में पिंक बॉल टेस्ट में काफ़ी मुश्किल में डाला और मेज़बान टीम फ़ॉलो-ऑन करने से बाल-बाल बची। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया दोनों में मल्टी-फ़ॉर्मैट सीरीज़ भारत नहीं जीत पाया लेकिन मुक़ाबले कड़े थे और इक्के-दुक्के फ़ैसले उनके ख़िलाफ़ नहीं जाते तो शायद भारतीय खिलाड़ी जीत का परचम लहराते।
इस साल एक ज़िक्र चेन्नई सुपर किंग्स का भी बनता है। 2020 में प्ले-ऑफ़ के लिए पहली बार क्वालिफ़ाई न कर पाने से सबक लेते हुए महेंद्र सिंह धोनी ने इस वर्ष टीम को एक और आईपीएल ख़िताब दिलाया। अगले साल लीग में दो नई टीमें होंगी और कई खिलाड़ी नए रूप में दिखेंगे लेकिन इस पड़ाव का अंत सीएसके के लिए एक और जीत के अलावा शायद ठीक भी नहीं लगता।
वनडे मैचों पर भारतीय क्रिकेट टीम का ध्यान सबसे कम रहा। इस साल कुल 6 वनडे भारतीय टीम ने खेले जो अब तक के इतिहास में किसी वर्ष में सबसे कम वनडे हैं।
हालांकि भारत इंग्लैंड और श्रीलंका दोनों से ही 3 मैचों की वनडे सीरीज 2-1 से जीतने में सफल रहा। इंग्लैंड को भारत ने घरेलू जमीन पर विराट कोहली की अगुवाई में हराया। जबकि श्रीलंका के विरुद्ध सीरीज में शिखर धवन को कप्तानी सौंपी गई थी।