दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद में बीसीसीआई के प्रभाव को बड़ा झटका लगा जब आईसीसी की बोर्ड बैठक में वह बुधवार को अलग-थलग पड़ गया, जहां बहुमत में संचालन और राजस्व ढांचे में बदलाव के पक्ष में मतदान किया गया।
दुबई में आईसीसी बोर्ड बैठक के पहले दिन संचालन ढांचे में बदलाव के अलावा नए राजस्व मॉडल को भी मतदान के लिए रखा गया। बीसीसीआई ‘संचालन और संवैधानिक बदलावों’ पर मतदान 1-9 से हार गया, जबकि बड़े टकराव का कारण रहे राजस्व मॉडल पर भारत के पक्ष में सिर्फ दो जबकि विपक्ष में आठ मत पड़े। बीसीसीआई के पक्ष में सिर्फ श्रीलंका ने मतदान किया।
दुबई में मौजूद बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आज कहा, हां, मतदान खत्म हो गया है। यह राजस्व मॉडल के पक्ष में 8-2 और संवैधानिक बदलावों के पक्ष में 9-1 से रहा। उन्होंने कहा, बीसीसीआई ने दोनों के खिलाफ मत दिया क्योंकि सैद्धांतिक तौर पर हम कहते रहे हैं कि ये सभी बदलाव हमें पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं। फिलहाल हम यही कह सकते हैं कि हमारे लिए सभी विकल्प खुले हैं।
उन्होंने कहा, हमें विशेष आम बैठक में सदस्यों को स्थिति की जानकारी देनी होगी। पता चला है कि बीसीसीआई के अतिरिक्त 10 करोड़ डॉलर की राजस्व पेशकश सिरे से खारिज करने के बाद एक बार फिर उसे 29 करोड़ डॉलर का शुरुआती विकल्प दिया गया जो उसे पिछले साल तक मिल रहे 57 करोड़ डॉलर से 28 करोड़ डॉलर कम है।
बीसीसीआई के नाराज वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मनोहर के प्रमुख होने के कारण बीसीसीआई के प्रतिरोध की उम्मीद थी लेकिन वे हैरान हैं कि जिंबाब्वे और बांग्लादेश ने उनके पक्ष में मतदान नहीं किया जबकि बीसीसीआई इन दो मतों को अपने पक्ष में तय मान रहा था।
यह प्रशासकों की समिति (सीओए) के लिए भी शर्मसार करने जैसी स्थिति है क्योंकि वह कई सदस्य देशों के साथ संपर्क में थे और उन्हें भरोसा था कि चीजें भारत के पक्ष में होंगी। यह भारी-भरकम हार संकेत देती है कि सीओए नजमुल हसन पापोन, डेविड पीवर, हारून लोर्गट के मन को पढ़ने में नाकाम रहे जो बदलावों पर चर्चा के लिए भारत आए थे।
बीसीसीआई के नाराज अधिकारी ने कहा, जिम्बाब्वे को एक करोड़ 90 लाख डॉलर का वादा किया गया है। किस आधार पर मनोहर ने यह वादा किया, लेकिन हैरानीभरा है कि बांग्लादेश ने भी विरोध किया। आज की बैठक में मनोहर ने यहां तक कहा कि 29 करोड़ डॉलर ले लो या भूल जाओ।
अधिकारी ने दावा किया, एसीजीएम में सिर्फ दो प्रस्ताव पारित किए गए थे। हमारे प्रतिनिधियों को दो फैसले का अधिकार था। फैसले को टालने का प्रस्ताव देना जिसे खारिज कर दिया गया। और अगला विकल्प मतदान के दौरान इसके खिलाफ मत देना था। उन्होंने कहा, हमारा लक्ष्य भारत के हितों की रक्षा था। खेल के सर्वश्रेष्ठ हित के लिए बैठक के दौरान हमारा रवैया बेहद मैत्रीपूर्ण था लेकिन मनोहर का रुख स्तब्ध करने वाला था।
यह पूछने पर कि क्या अब भारत चैंपियंस ट्रॉफी से हट जाएगा, अधिकारी ने कहा, सभी विकल्प खुले हैं। उन्होंने असल में सदस्यों के प्रतिनिधित्व करार का अपमान किया है जिस पर पहले हस्ताक्षर किए गए थे। उन्होंने कहा, फिलहाल संयुक्त सचिव वापस लौटेंगे और आमसभा की विशेष आपात बैठक बुलाई जाएगी। इसके बाद वह आमसभा को इसके बारे में जानकारी देंगे और उचित फैसला किया जाएगा। अधिकारी ने कहा कि बीसीसीआई इसे झटका नहीं मानता क्योंकि यह एक व्यक्ति (मनोहर) का दुराग्रह है।
उन्होंने सवाल उठाया, आईसीसी ने अब तक हमें नहीं बताया है कि सिंगापुर जैसे देश को किस आधार पर अधिक फायदा मिले। असल में इसका क्या आधार है। क्या वे बता सकते हैं कि वे आईसीसी के संचालन खर्चों में कैसे कटौती करेंगे जो 16 करोड़ डॉलर है। (भाषा)