भारत ने पैर रखने की जगह दी तो इंग्लैंड ने जीत का दरवाजा खोल लिया
3.5 दिन भारत के तो 1.5 दिन इंग्लैंड का, एजबेस्टन में हाथ से फिसली जीत
साढ़े तीन दिन तक टेस्ट मैच में हावी रहने के बाद भी इंग्लैंड के खिलाफ टीम इंडिया ने टेस्ट गंवा दिया तो कप्तान पर सवाल उठना लाजमी है। बुमराह तो मानसिक रूप से तैयार भी नहीं थे और रोहित के कोरोनाग्रस्त होने के कारण उन्हें मैच की कप्तानी का जिम्मा उठाना पड़ा। यह ऐसा टेस्ट था जिसे बुमराह ड्रॉ भी करा लेते तो सीरिज भारत कब्जे में होती, लेकिन बुमराह से यह काम नहीं हो सका।
इंग्लैंड को 378 रन का लक्ष्य टेस्ट मैच जीतने के लिए दिया गया। यह ऐसा काम था जो इंग्लैंड से आज तक नहीं हुआ। मैच पूरी तरह भारत के कब्जे में था। जरूरी था कि बेसिक्स पर टिका रहा जाए और इंग्लैंड के दस विकेट निकाले जाए।
इंग्लैंड की दूसरी और मैच की चौथी पारी शुरू हुई तो एलेक्स ली और जैक क्रॉली इनिंग की शुरुआत करने पहुंचे। ये औसत किस्म के प्लेयर हैं, लेकिन दोनों ने मिल कर 107 रन जोड़ भारतीयों के हौंसले पस्त कर दिए। भारत के मुख्य गेंदबाज बुमराह ने मात्र 4 ओवर ही फेंके और इन नौसिखियों को जमने और रन बनाने का पूरा मौका दे दिया।
हाथ से निकलता मैच फिर भारत की पकड़ में आता दिखा जब बिना विकेट खोए 107 रन से इंग्लैंड का स्कोर 3 विकेट पर 109 रन हो गया था। इंग्लैंड खेमे में घबराहट फैल गई थी। हद तो ये हो गई थी कि अनुभवी जो रूट ने इस घबराहट में एलेक्स को रनआउट करा दिया।
यही पर मौका था इंग्लैंड को दबोचने का, लेकिन बुमराह ने फिर गलतियां की। खुद कम गेंदबाजी की और मोहम्मद सिराज और रवीन्द्र जडेजा को आगे कर दिया। इससे अपने करियर के बेहतरीन दौर से गुजर रहे जो रूट और जॉनी बेरिस्टो को सांस लेने का मौका मिल गया।
बुमराह ने फील्डिंग फैला कर इन दोनों का काम आसान कर दिया। बुमराह भूल गए कि वे मैच तभी जीत सकते हैं जब इंग्लैंड के 10 विकेट निकाले जाए। जरूरी था कि आक्रामक फील्ड सजाते, लेकिन वे रक्षात्मक रवैये पर उतर आए इससे जो और जॉनी को रन बनाने में आसानी हुई।
विहारी ने बैरिस्टो का कैच स्लिप में तब छोड़ा जब वे 14 रनों पर थे। इसके बाद बैरिस्टो ने मौका नहीं दिया। बुमराह ने शुभमन गिल और श्रेयस अय्यर जैसे स्लिप के बेहतरीन फील्डर होने के बावजूद विहारी को स्लिप में क्यों खड़ा किया समझ से परे है।
इंग्लैंड टीम इस समय ऐसे गजब के फॉर्म में है कि उसे जगह दी तो वह मैच जीत कर ही मानती है। साढ़े तीन दिन तक भारतीयों ने इंग्लैंड को पैर रखने का मौका नहीं दिया था। बुमराह ने जरा सी चूक की और इंग्लैंड को पैर रखने की जगह दी और उन्होंने जीत का दरवाजा खोल लिया।