जब 20 जून को अपना एक साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद टीम इंडिया के चीफ कोच अनिल कुंबले ने अचानक लंदन से अपना इस्तीफा बीसीसीआई को भेजा था, तब बीसीसीआई के कार्यवाहक अध्यक्ष सीके खन्ना ने खम ठोंककर कहा था कि भारत को श्रीलंका दौरे के पहले नया कोच मिल जाएगा लेकिन 10 जुलाई को ऐन मौके पर कोच की घोषणा का फैसला टाल दिया गया...साफ है कि टीम इंडिया का कोच वही बनेगा, जो कप्तान कोहली चाहेंगे।
यह दीगर बात है कि बीसीसीआई की कोच चुनने वाली तीन सदस्यीय क्रिकेट सलाहकार समिति (सौरव गांगुली, सचिन तेंदुलरकर, वीवीवीएस लक्ष्मण) ने 10 आवेदकों में से 5 आवेदकों के साक्षात्कार लिए। साक्षात्कार के बाद सौरव गांगुली ने देर शाम यह ऐलान कर डाला कि समिति को कुछ खास लोगों से बात करनी होगी, विशेषकर कप्तान विराट कोहली से और इसके बाद ही टीम इंडिया के नए कोच की घोषणा की जाएगी।
गांगुली की दोहरी बात क्रिकेट में दखल रखने वालों को हजम नहीं हो रही है। एक तरफ वो कहते हैं कि कोच पद के चयन में विराट कोहली दखल नहीं दे रहे हैं और दूसरी तरफ कहते हैं कि समिति को कप्तान कोहली से बात करनी होगी। जब समिति को विराट की ही अंतिम राय लेनी है तो यह साक्षात्कार का दिखावा क्यों?
मीडिया में कई दिनों से सुगबुगाहट है कि विराट के कहने पर ही रवि शास्त्री ने कोच पद का आवेदन किया है और कोच पद की रेस में शास्त्री ही सबसे आगे हैं। विराट को शास्त्री इसलिए पसंद है क्योंकि वे खिलाड़ियों को पूरी आजादी देते हैं, उनसे दोस्ताना व्यवहार करते हैं और ज्यादा टोंका-टाकी नहीं करते।
दूसरी तरफ अनिल कुंबले के लिए टीम में अनुशासन सबसे अहम रहा। यही कारण है कि उनकी कोहली से पटरी नहीं बैठी और दोनों ने 6 माह तक आपस में बात तक नहीं की थी। बहरहाल, बीसीसीआई की समिति भले ही दिखावे के लिए सबकुछ कर ले लेकिन यह तय है कि विराट कोहली जिसको चाहेंगे, वही कोच पद की कुर्सी पर विराजमान होगा।