नई दिल्ली। देश के बेरोजगारों के लिए सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने देश को वर्ष 2025 तक इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण एवं निर्यात का वैश्विक केंद्र बनाने, 400 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद और इस क्षेत्र में 1 करोड़ लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लक्ष्य वाली राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक नीति 2019 को मंजूरी दे दी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इसको मंजूरी प्रदान की गई। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यह जानकारी देते हुए कहा कि इस नीति का उद्देश्य वर्ष 2025 तक 400 अरब डॉलर के राजस्व के साथ भारत को इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग (ईडीएसएम) के लिए वैश्विक केंद्र बनाना है। इसके साथ ही इस क्षेत्र में एक करोड़ लोगों को रोजगार देने का भी लक्ष्य रखा गया है। इसमें देश में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए चिप सेट सहित प्रमुख उपकरणों के निर्माण की क्षमता को बढ़ावा दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि अब विनिर्माण कंपनियां चीन से दूसरे देशों का रुख कर रही हैं और यह भारत के लिए अच्छा अवसर है। इसको ध्यान में रखते हुए भारत को इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के निर्यात का प्रमुख केंद्र भी बनाना है। इसके तहत प्रमुख उपकरणों के निर्माण के लिए प्रोत्साहन एवं सहायता भी दी जाएगी। डिस्प्ले फैब्रिकेशन, सेमीकंडकटर जैसे उपकरणों के लिए मेगा परियोजनाओं के वास्ते विशेष प्रोत्साहन पैकेज भी होगा।
प्रसाद ने कहा कि नए संयंत्रों और वर्तमान संयंत्रों के विस्तार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रोत्साहन स्कीम भी बनाये जाएंगे। इलेक्ट्रॉनिक के सभी उप क्षेत्रों जैसे 5 जी, आईओटी/ सेंसर, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, मशीन लर्निंग, वर्चुअल रियाल्टी, ड्रॉन, रोबोटिक्स, फोटोनिक्स और नैनो प्रोद्योगिकी आधारित उपकरणों के शोध एवं विकास को बढ़ावा दिया जाएगा।
इसमें सार्वभौम पेटेंट फंड का भी गठन किया जाएगा, जो ईडीएसएम क्षेत्र के लिए होगा। इसके साथ ही साइबर सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए विश्वसनीय इलेक्ट्रॉनिक वैल्यू चैन को बढ़ावा दिया जाएगा। इस नीति के तहत क्रेडिट गांरटी स्कीम और ब्याज में छूट देने का भी प्रावधान होगा।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 तक देश में करीब 190 अरब डॉलर मूल्य के 100 करोड़ मोबाइल फोन बनाने हैं, जिसमें 110 अरब डॉलर के 60 करोड़ मोबाइल फोन निर्यात करने का लक्ष्य रखा गया है।