मुंबई। रिजर्व बैंक ने बुधवार को पांच तिमाही बाद चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर में सुधार होने और आगे महंगाई बढ़ने के जोखिम को देखते हुए ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया। इससे सस्ते ऋण की उम्मीद लगाए लोगों को अभी इसके लिए इंतजार करना पड़ेगा।
मौद्रिक नीति समिति की दो दिवसीय बैठक के बाद जारी चालू वित्त वर्ष की पांचवी द्विमासिक मौद्रिक नीति में रिजर्व बैंक ने कहा कि वृहद अर्थव्यवस्था को लेकर बन रही स्थिति का आँकलन करने के बाद समिति ने नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं करने के साथ ही चालू वित्त वर्ष में आर्थिक विकास के अनुमान को भी 6.7 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है। समिति ने चालू वित्त वर्ष में महंगाई को चार फीसदी के आसपास बनाये रखने का अपना लक्ष्य भी यथावत रखा है।
समिति के इस निर्णय से रेपो दर छह प्रतिशत, रिवर्स रेपो दर 5.75 प्रतिशत, मार्जिनल स्टैंडिंग फसिलिटी दर 6.25 प्रतिशत, बैंक दर 6.25 प्रतिशत, नकद आरक्षित अनुपात चार प्रतिशत और वैधानिक तरलता अनुपात 19.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित है। समिति ने मौद्रिक नीति पर निरपेक्ष रूख बनाये रखने का भी निर्णय लिया है।
समिति ने बहुमत के आधार पर यह निर्णय लिया है। समिति के अध्यक्ष एवं रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल के साथ ही सदस्य डॉ. चेतन घाटे, डॉ, माइकल दूबब्रत पात्रा, डॉ. विरल पी आचार्य और डॉ. पमी दुआ ने जहां नीतिगत दरों को यथावत बनाए रखने के पक्ष में मतदान किया वहीं डॉ. रविन्द्र एच ढोलकिया ने एक चौथाई फीसदी की कटौती के पक्ष में मतदान किया।
समिति के बयान में कहा गया है कि अक्टूबर में हुई उसकी बैठक के बाद से वैश्विक स्तर पर आर्थिक गतिविधियों में तेजी आई है। विकसित अर्थव्यवस्थाएं सुधर रही हैं।
विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही के लिए जारी ताजा अध्ययन में संकेत दिया गया है कि निर्यात ऑर्डर में कमी आने से वैश्विक व्यापार में तेजी नहीं आ रही है। कच्चे तेल की कीमत नवंबर के प्रारंभ में ढाई साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है तथा डॉलर के मजबूत होने से कीमती धातुओं पर दबाव बना है। (वार्ता)