नई दिल्ली। संकटग्रस्त आईटी कंपनी इन्फोसिस में नंदन नीलेकणि की चेयरमैन के रूप में वापसी ऐसी उम्र में हुई है जबकि लोग नौकरी छोड़कर अपनी सेवानिवृत्ति का आनंद उठाते है। 62 वर्षीय नीलेकणि को संकट में फंसी कंपनी की स्थिति सुधारने के लिए वापस लाया गया है।
विशिष्ट पहचान संख्या आधार को लाने का श्रेय भी नीलेकणि को ही जाता है। नीलेकणि ने कहा कि मैंने जहां से शुरुआत की थी, वहीं फिर वापस लौटा हूं। नीलेकणि तीन दशक पहले शुरू हुई इस कंपनी के सह संस्थापकों में हैं।
नीलेकणि अपनी बात कहने के लिए ट्विटर का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने ट्वीट किया, इंफोसिस में 26 साल की उम्र में आया था। दोबारा 62 की उम्र में आया हूं। जीवन जहां से शुरू किया था, वहीं लौटा हूं। नीलेकणि तथा छ: अन्य इंजीनियरों ने 1981 में इंफोसिस की स्थापना की थी। इस कंपनी की स्थापना 250 डॉलर की शुरुआती पूंजी के साथ की गई थी। आज कंपनी का राजस्व 10 अरब डॉलर हो चुका है। कंपनी के कर्मचारियों की संख्या 2 लाख से अधिक है।
नीलेकणि 2002 से 2007 तक इन्फोसिस के सीईओ रहे। उन्हें जुलाई 2009 में भारत विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) का चेयरमैन नियुक्त किया गया, जो कैबिनेट स्तर का पद है। वह 16वीं लोकसभा के लिए कांग्रेस के टिकट पर दक्षिण बेंगलूर संसदीय क्षेत्र से चुनाव भी लड़े थे लेकिन हार का मुख देखना पड़ा था।
हालांकि नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले साल नोटबंदी के बाद नीलेकणि को अर्थव्यवस्था को कम नकदी रहित बनाने की व्यवस्था की देखरेख की जिम्मेदारी भी सौंपी थी। इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने नीलेकणि की इन्फोसिस में वापसी पर बधाई दी है। टेक महिंद्रा के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी सी पी गुरनानी ने भी ट्वीट कर नीलेकणि को शुभकामनाएं दी हैं।