मुंबई। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद देश के विनिर्माण क्षेत्र में 101 महीने की सबसे तेज गिरावट देखी गई और जुलाई में इसका निक्केई पर्चेजिंग मैनेजर्स सूचकांक (पीएमआई) घटकर 47.9 रह गया। इससे पहले जून में सूचकांक 50.7 रहा था। सूचकांक का 50 से ऊपर रहना विनिर्माण गतिविधियों में तेजी और इससे नीचे रहना गिरावट दर्शाता है।
निक्केई द्वारा आज यहां जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि यह वैश्विक आर्थिक संकट के दौरान फरवरी 2009 के बाद की सबसे तेज गिरावट है। इसके साथ ही नोटबंदी के बाद पहली बार सूचकांक 50 से नीचे उतरा है। निक्केई माह दर माह आधार पर आंकड़े जारी करता है।
रिपोर्ट की लेखिका और मार्किट इकोनॉमिक्स की अर्थशास्त्री पालियानी डी. लीमा ने कहा कि जुलाई में भारत के विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि रुक गई। पीएमआई लगभग साढ़े आठ साल के निचले स्तर पर आ गया। खबरें आ रही हैं कि वस्तु एवं सेवा कर लागू होने से इस क्षेत्र पर काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। उत्पादन, नए ऑर्डर और कंपनियों द्वारा कच्चे माल की खरीद, तीनों में 2009 के आरंभ के बाद की सबसे तेज गिरावट दर्ज की गई है।
लीमा ने कहा कि विनिर्माण के सभी उपक्षेत्रों में गिरावट दर्ज की गई है। उनका कहना है कि कमजोर मांग, तुलनात्मक रूप से लागत मुद्रास्फीति में कम बढ़ोतरी तथा कंपनियों से निकलने वाले उत्पाद की कम कीमत के कारण रिजर्व बैंक के पास ब्याज दरों में कटौती का मौका है जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक के मौद्रिक नीति समिति की दो दिवसीय बैठक बुधवार को समाप्त हो रही है जिसमें मुख्य नीतिगत दरों में कटौती की उम्मीद है। (वार्ता)