नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल के कर्मचारियों ने तीसरी वेतन समीक्षा समिति द्वारा वेतन नहीं बढ़ाए जाने के कारण 27 जून को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। समिति ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के प्रदर्शन के आधार पर वृद्धि की सिफारिश की है।
बीएसएनएल कर्मचारी यूनियन के संयोजक पी अभिमन्यु ने एक बयान में कहा, ‘बीएसएनएल घाटे में चलने वाली कंपनी बन गई है। इसका कारण कर्मचारी नहीं बल्कि सरकार की बीएसएनएल विरोधी नीतियां और उपाय हैं। बीएसएनएल को 2006 से 2012 तक अपने मोबाइल नेटवर्क विस्तार के लिए उपकरण खरीद की अनुमति नहीं दी गई।’
तीसरी वेतन समीक्षा समिति की सिफारिश को मंत्रिमंडल ने 19 जुलाई को मंजूरी दे दी। सिफारिशों के तहत केवल उन्हीं सार्वजनिक उपक्रमों को अपने कर्मचारियों के वेतन संशोधन की अनुमति दी गई है, जिन्होंने पिछली तीन तिमाही में मुनाफा कमाया।
बयान के अनुसार, ‘बीएसएनएल के अधिकारी और कर्मचारी 27 जुलाई 2017 को एक दिन की हड़ताल पर जा रहे हैं। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के सभी कर्मचारियों के वेतन में एक जनवरी 2017 से वृद्धि होनी है।’
अभिमन्यु ने आरोप लगाया कि मोबाइल उपकरण खरीदने के लिए बीएसएनएल की निविदाओं को सरकार ने बार-बार रद्द किया जिसका मकसद निजी दूरसंचार कंपनियों को लाभ पहुंचाना था। इसके कारण मोबाइल क्षेत्र में जो उल्लेखनीय वृद्धि हुई, कंपनी उसका लाभ नहीं उठा सकी।
कंपनी प्रबंधन ने 2013 से उपकरणों की खरीद शुरू की और उसके बाद बीएसएनएल की सेवा गुणवत्ता में काफी सुधार आया। बीएसएनएल को 2013-14 में 691 करोड़ रुपए का परिचालन घाटा हुआ जबकि 2014-15 तथा 2015-16 में क्रमश: 672 करोड़ रुपए और 3,854 करोड़ रुपए का परिचालन लाभ हुआ। (वार्ता)