लाल किताब के अनुसार शनि हमारे जीवन में अच्छे कर्म का पुरस्कार और बुरे कर्म के दंड देने वाले हैं। लाल किताब कुंडली में शनि ग्रह अगर पहले, चौथे, सातवें या दसवें भाव में हो तो अशुभ फल देते हैं। शनि को पसंद नहीं है जुआ-सट्टा खेलना, शराब पीना, ब्याजखोरी करना, परस्त्री गमन करना, अप्राकृतिक रूप से संभोग करना, झूठी गवाही देना, निर्दोष लोगों को सताना, किसी के पीठ पीछे उसके खिलाफ कोई कार्य करना, चाचा-चाची, माता-पिता, सेवकों और गुरु का अपमान करना, ईश्वर के खिलाफ होना, दांतों को गंदा रखना, तहखाने की कैद हवा को मुक्त करना, भैंस या भैसों को मारना, सांप, कुत्ते और कौवों को सताना।
शनि ग्रह के बुरे प्रभाव को दूर करने के लिए अक्सर छाया दान के बारे में कहा जाता है। शनि की साढ़ेसाती, शनि की ढैया या शनि की किसी भी प्रकार की पीड़ा सा बचने के लिए कई उपायों में छाया दान भी एक उपाय बताया जाता है। आओ जानते हैं कि क्या होता है छाया दान। हालांकि लाल किताब में शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैया का कोई खास महत्व नहीं माना गया है। लाल किताब के अनुसार बुरे कर्मों की सजा शनि देता है।
कैसे करें छाया दान : छाया दान का अर्थ होता है अपनी छाया का दान करना। शनिवार को एक कांसे की कटोरी में सरसों का तेल और सिक्का (रुपया-पैसा) डालकर उसमें अपनी परछाई देखें और तेल मांगने वाले को दे दें या किसी शनि मंदिर में शनिवार के दिन कटोरी सहित तेल रखकर आ जाएं। यह उपाय आप कम से कम पांच शनिवार करेंगे तो आपकी शनि की पीड़ा शांत हो जाएगी और शनिदेव की कृपा शुरू हो जाएगी।