कुछ वर्षों पहले आईआईटी टॉपर्स आईआईटी कानपुर में पढ़ाई करने के लिए उत्सुक रहते थे। आईआईटी के टॉपर्स कानपुर के संस्थान में पढ़ाई करना पंसद करते थे लेकिन अब टॉपर्स का मन बदलने लगा है और वे आईआईटी बॉम्बे की तरफ रुख करने लगे हैं।
टॉपर्स अब देश के दूसरे सबसे पुराने बॉम्बे आईआईटी में प्रवेश लेना चाहते हैं। इस साल आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में टॉप करने वाले 100 में से 86 टॉपर्स ने बॉम्बे आईआईटी को अपनी पहली पसंद बताया है।
आखिर क्या कारण हैं कि सर्वेक्षण में पहला स्थान पाना वाला दिल्ली आईआईटी टॉपर्स की पसंद नहीं बन पाया। बॉम्बे आईआईटी में वे कौन सी खूबियां हैं जिनके कारण टॉपर्स इसमें पढ़ाई करना चाहते हैं। इसकी वजह को अगर जाना जाए तो अनेक खूबियां हैं जिनके कारण टॉपर्स मुबंई की ओर खिंचे चले आते हैं।
बॉम्बे आईआईटी के पास पूर्व छात्रों का मजबूत आधार है जो प्लेसमेंट में सहायक होता है। आंकड़ों के अनुसार सत्र 2010-11 में बॉम्बे आईआईटी में 280 कंपनियां इंटरव्यू के लिए कैंपस में आई थीं। सत्र 2011-12 के दौरान दिसंबर 2011 में पहला चरण खत्म होते 60 प्रतिशत स्टूडेंट्स को प्लेसमेंट मिला था। कोचिंग संस्थानों ने ऐसी धारणा बना रखी है कि आईआईटी बॉम्बे सबसे अच्छा है।
स्टूडेंट्स मुंबई शहर एक सुरक्षित शहर के रूप में भी देखते हैं। आईआईटी बॉम्बे के पूर्व छात्रों के अनुसार मुंबई कभी न सोने वाला शहर है। इसका माहौल बड़ा ही जीवंत है। यहां छात्रों को बहुमुखी विकास का मौका मिलता है।
बॉम्बे आईआईटी में पढ़ाई के अलावा अन्य गतिविधियां भी स्टूडेंट्स की पसंद का कारण है। इंस्टिट्यूट में एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टीविटीज पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। भागीदारी और आयोजनों की संख्या के लिहाज से इस संस्थान का सांस्कृतिक समारोह एशिया में सबसे बड़ा समारोह है।
वर्ष 2012 जेईई के टॉपर्स 100 की पंसद को देखा जाए तो 86 छात्र आईआईटी बॉम्बे, 12 आईआईटी दिल्ली, 1 छात्र कानपुर और 1 छात्र ने मद्रास आईआईटी को चुना है। मुंबई के इंस्टीट्यूट के पक्ष में एक और बात आती है। पिछले कुछ वर्षों से जेईई में टॉप 100 में आने वाले छात्रों में अधिकतर दक्षिण भारत के होते हैं।
उनकी पहली पंसद उनके नजदीक का आईआईटी बॉम्बे ही रहता है। आईआईटी संस्थानों में पढ़ रहे स्टूडेंट्स के अनुसार युवा इस उम्र में करियर के विकल्प सलाह पर चुनते हैं न कि खोजबीन कर।
दूसरी तरफ लगातार विवादों में रहने के कारण भी आईआईटी कानपुर की साख प्रभावित हुई है। टेक्निकल एजुकेशन एक्सपर्ट्स कहते हैं कि कभी एचआर मिनिस्ट्री से होने वाले विवादों के कारण आईआईटी कानपुर चर्चाओं में रहा तो कभी स्टडी प्रेशर के कारण होने वाली स्टूडेंट्स की आत्महत्याओं की घटनाओं के कारण। इन कारणों से पसंद को लेकर आईआईटी कानपुर को लेकर स्टूडेंट्स का नजरिया बदला।
जब स्टूडेंट्स आईआईटी में प्रवेश लेते हैं चाहे वह दिल्ली का संस्थान हो या मुंबई का, तब उन्हें यह आभास होता है कि वहां मिलने वाली शिक्षा की गुणवत्ता में कोई अंतर नहीं है।