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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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माइकल फेराडे

जिसकी रुचि विज्ञान में थी...

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माइकल फेराडे एक अनाथ बालक था। वह लंदन के एक घुड़साल में रहता था। कभी उसने पेट भरने के लिए अखबार बेचे, कभी तरह-तरह के दूसरे कामों में वक्त लगाया। जब वह अखबार बेचता था उसी दौरान उसको पढ़ने का शौक लग गया। फिर 13 साल की उम्र में फेराडे एक जिल्दसाज के यहाँ नौकरी करने लगा।

फेराडे में पढ़ने की बड़ी ललक थी। एक दिन 'इनसइक्लोपीडिया' पर जिल्द चढ़ाते समय उसकी नजर बिजली के बारे में एक लेख पर पड़ी। उसने उस लेख को कई बार पढ़ा और छोटी-छोटी चीजें चुराकर प्रयोग करने प्रारंभ कर‍ दिए।

एक दिन एक सज्जन ने इस बच्चे को इस तरह प्रयोग करता देखा तो वे उसे सर हम्फ्री डेवी का भाषण सुनने लगे। फेराडे ने डेवी के भाषणों के नोट्‍स लिए, फिर उन पर अपनी टिप्पणियाँ लिखीं। उसके बाद उसने उन्हें सर डेवी के पास भेज दिया।

सर डेवी फेराडे की टिप्पणियों से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने फेराडे को बुलाकर अपने यंत्रों की देखभाल करने के लिए ‍रख लिया। फेराडे सर डेवी के प्रयोग देखता और धीरे-धीरे विज्ञान में पारंगत होने लगा। आगे चलकर विज्ञान में अपनी रुचि के चलते ही वह एक बड़ी अकादमी में अध्यापक नियुक्त किया गया। इन्हीं फेराडे महाशय ने आगे चलकर विज्ञान की दुनिया में कई चमत्कार किए।

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