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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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घोड़े पर बाईं ओर से क्यों चढ़ा जाता है?

हमें फॉलो करें घोड़े पर बाईं ओर से क्यों चढ़ा जाता है?
घोड़े पर इसकी बाईं तरफ से चढ़ने और उतरने की प्रथा शायद बहुत पुराने समय से ही चली आ रही है। उस समय से जब योद्धा के रूप में पुरुषों की कमर से इनके बाएँ पैर की तरफ धातु की भारी तलवार लटकती थी।

ऐसी स्थिति में जब एक ओर शरीर पर इतनी वजनी चीज लटकी हो तो स्वाभाविक था कि इसके दूसरी ओर के पैर का उपयोग हमेशा बेहतर रहता था। अन्यथा बाएँ पैर को उठाकर घोड़े की पीठ पर चढ़ते समय तलवार का बीच में अटकाव बहुत स्वाभाविक था जिससे असुविधा ही नहीं, दुर्घटना भी घट सकती थी।

आज भी प्रशिक्षण के दौरान घुड़सवारी सिखाते समय जो पहला पाठ पढ़ाया जाता है, वह है घोड़े पर हमेशा बाईं ओर से चढ़ना। यही कारण है कि अधिकतर घोड़े भी इस रिवाज के आदी हो जाते हैं और जब कभी कोई सवार इस प्रथा को तोड़कर दाईं ओर से चढ़ने का प्रयासकरता है तो घोड़ा बौखला जाता है।

क्या होता है बाईस कैरेट गोल्ड?
सोना काफी नरम धातु होती है, इतनी नरम कि गहने बनाने के लिए शुद्ध रूप से यह पूरी तरह उपयुक्त नहीं रहती। इसलिए जब स्वर्णाभूषण तैयार किए जाते हैं तो सोने में चाँदी या ताँबे जैसी दूसरी कोई कठोर धातु मिला दी जाती है। इस मिश्रधातु में सोने की मौजूदगी का प्रतिशत दर्शाने के लिए ही 'कैरेट' शब्द प्रयोग में लाया जाता है।

प्रायः 24 कैरेट की बात आपने सुनी होगी। यह सोने का शुद्ध रूप है यानी 100 प्रतिशत सोना। जैसे-जैसे इसमें दूसरी धातु मिलाई जाती है वैसे-वैसे इसका कैरेट स्तर घटता जाता है। इस आधार पर 22 कैरेट गोल्ड का अर्थ होता है ऐसा सोना जिसमें 22 भाग सोना हो और बाकी 2 भाग मिलाई गई दूसरी धातु।

व्हाइट गोल्ड निकल और जिंक को सोने के साथ मिलाकर बनाई गई मिश्रधातु है। सोने को कॉपर के साथ मिलाकर इसे बनाया जाए तो यह कहलाती है रेड गोल्ड और जब चाँदी के साथ सोने के मिश्रण से इसे तैयार किया जाता है तो यह कहलाती है ग्रीन गोल्ड।

सैलेरी शब्द कैसे प्रचलन में आया?
प्राचीनकाल में रोमन सैनिकों को वेतन के साथ भत्ते के रूप में अलग से धनराशि दी जाती थी ताकि वे नमक खरीद सकें। उस समय नमक महँगा भी होता था। वेतन का यह भाग 'सेलेरियम' कहलाता था जिसका अर्थ होता था- साल्ट मनी। धीरे-धीरे सेलेरियम का अर्थ पूरे वेतन से लगाया जाने लगा और फिर इसी शब्द का बिगड़ा हुआ रूप 'सैलेरी' बन गया। आज अगर नमक से मतलब भोजन जुटाने से लगाया जाए तो सैलेरी का अर्थ आज भी नहीं बदला है।

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