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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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आइंस्टाइन का ड्राइवर

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अल्बर्ट आइंस्टाइन जब भी लेक्चर देने के लिए कहीं बुलाए जाते थे तो वे कार में अपने ड्राइवर के साथ जाते। लेक्चर के दौरान हॉल में पीछे की सीट पर बैठकर ड्राइवर भी लेक्चर सुनता था। सालों तक यह सिलसिला चलता रहा। यहाँ तक कि कार ड्राइवर को आइंस्टाइन के लेक्चर याद हो गए।

एक दिन आइंस्टाइन ने अपने ड्राइवर से कहा कि आज हम जहाँ जा रहे हैं वहाँ मुझे कोई पहचानता नहीं है। एक काम करते हैं कि मैं ड्राइवर बनकर हॉल में पिछली सीट पर बैठूँगा और तुम मेरी जगह लेक्चर देना। ड्राइवर ने बात मान ली और बिल्कुल आइंस्टाइन के अंदाज में लेक्चर दिया। लोगों ने तालियाँ बजाईं।

लेक्चर के बाद जैसे ही आइंस्टाइन बना ड्राइवर चलने को हुआ तो एक व्यक्ति ने खड़े होकर किसी कठिन विषय पर सवाल पूछ लिया। ड्राइवर ‍आखिर ‍इतने दिनों तक आइंस्टाइन की संगत में था तो उसने तुरंत कहा - 'आपका सवाल बहुत मामूली है। मैं नहीं समझता कि इस पर मुझे समय खराब करना चाहिए क्योंकि इसका जवाब तो हॉल में पीछे बैठा मेरा ड्राइवर भी दे सकता है। बेहतर होगा आप उसी से पूछ लें। धन्यवाद।'

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