हिन्दी बाल कविता : चलो बनाएं रेल

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
सारे मित्रों और सखाओं,
चलो बनाएं रेल।
रेल बनाकर साथ चले तो,
बढ़ जाएगा मेल।
 
मुन्ना बन जाएगा इंजन,
रिया गार्ड का डिब्बा।
डिब्बा बनकर जुड़ जाएंगे,
रमजानी के अब्बा।
आगे बढ़कर सिखलाएंगे,
हमें रेल का खेल। 
 
शयन यान बनकर जुड़ जाएं,
नीना, मीना, झब्बू। 
ए.सी. वन, टू, थ्री बन जाएं,
शीला, नीता, तब्बू।
स्टेशन-स्टेशन होगी,
भारी रेलम पेल।  
 
चेक करेंगे टिकट रेल में,
मोटे छन्नू भाई।  
बिना टिकट वालों की भैया,
समझो शामत आई।   
पुलिस रेल की उन्हें पकड़कर,
भिजवा देगी जेल।

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