बहुत पुरानी एक कहानी
हाथी बहुत बड़ा था
जब चलता था कभी सड़क पर
एक सड़क पर इक दर्जी था
कपड़े था वह सीता
हाथ रोज निकलता था जब
दर्जी लड्डू देता ...2
सूंड सिरे पर रख लड्डू को
उसको चट खा जाता
उठा सूंड सलामी देता
फिर आगे बढ़ जाता ...3
गुस्से में दर्जी था इक दिन
दिया न लड्डू उसको
और चुभो दी नोंक सुई की
हाथी सूंड नरम को ...4
दु:खी हुआ था हाथी मन में
बोला कुछ ना उसको
नहीं सलामी दी फिर उस दिन
पहुंचा सरवर तट को ...5
खूब नहाया जल में घुसकर
हाथी उस दिन मन से
और भरा कीचड़ का पानी
खींच सूंड में चट से ...6
निकला हाथी उसी सड़क से
पहुंचा दर्जी के घर
फेंका गंदा पानी उसने
अपनी सूंड उठाकर ...7
नए सिले कपड़े लटके थे
घर की दीवारों पर
मैले पानी की धारा से
बिगड़े गंदे होकर ...8
बदला लेकर खुश था मन में
वह हाथी था न्यारा
दु:खी हुआ दर्जी घटना से