प्यारे बच्चों,
तुम्हारी छुट्टियाँ कैसी बीत रही हैं? कोई ढंग का काम सूझा कि नहीं? या यूँ ही समय बिताते जा रहे हो? तुम भी कहोगे कि दीदी इतने सवाल क्यों कर रही हो? अरे सवाल इसलिए कर रही हूँ कि हमारे चिंटूजी तो बहुत ही व्यस्त हो गए हैं और बहुत ही अच्छा काम कर रहे हैं। इतनी बढ़िया क्ले की मूर्तियाँ उन्होंने बनाई कि बस पूछो मत।
इसीलिए मैंने तुमसे भी पूछा कि तुम भी कुछ ऐसी ही नायाब चीजें बना रहे हो कि नहीं? और सब तुम्हारी तारीफ कर रहे हैं कि नहीं। चिंटूजी तो खूब तारीफ पा रहे हैं। कुछ दिनों बाद एक छोटे से कम्युनिटी हॉल में उनकी बनाई मूर्तियों की प्रदर्शनी भी लगने वाली है। वो तो बहुत खुश हैं। तुम भी कुछ इस तरह करोगे तो तुम्हें भी खुशी मिलेगी। कुछ काम करके मिलने वाली खुशी का तुम भी मजा लो।
तुम्हारी दीदी
सीमा