भगवान शांतिनाथ की जयंती और मोक्ष कल्याणक दिवस, जानिए रोचक बातें

अनिरुद्ध जोशी
मंगलवार, 16 मई 2023 (17:18 IST)
Shantinath Jayanti : ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान शांतिनाथ की जयंती रहती है। इसी दिन उनका मोक्ष कल्याणक दिवस भी रहता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार उनकी जयंती 18 मई 2023 को मनाई जाएगी। कौन थे भगवान शांतिनाथ? क्या है उनकी कथा? आओ जानते हैं मुख्य रोचक बातें।
 
  1. जैन धर्म के 16वें तीर्थंकर शांतिनाथ जी का जन्म हस्तीनापुर नगर में हुआ था। उनके जन्म से ही चारों ओर शांति का राज कायम हो गया था।
  2. शांतिनाथ के पिता हस्तीनापुर के राजा विश्वसेन थे और माता का नाम अचीरा (ऐरा) था। उनके भाई का नाम चक्रायुध था। उनके पुत्र का नाम नारायण था।
  3. शांतिनाथ अवतारी थे। शांतिनाथ पांचवें चक्रवर्ती राजा और बारहवें कामदेव थे। वे शांति, अहिंसा, करूणा और अनुशासन के शिक्षक थे।
  4. जातिस्मरण से और दपर्ण में अपने मुख के दो प्रतिबिम्ब देखकर उन्हें वैराग्य भाव उत्पन्न हुआ था।
  5. वैराग्य के बाद उन्होंने ज्येष्ठ कृष्णा चतुर्दशी को आम्रवन में दीक्षा ग्रहण की। पौष शुक्ला दशमी को केवलज्ञान की प्राप्ति हुई। उन्होंने ज्येष्ठ कृष्णा चौदस को श्री सम्मेद शिखर जी से मोक्ष प्राप्त किया था।
  6. बचपन में ही शिशु शांतिनाथ कामदेव के समान सुंदर थे। कहा जाता है उनका मनोहारी रूप देखने के लिए देवराज इन्द्र-इन्द्राणी सहित उपस्थित हुए थे।
  7. शांतिनाथ के शरीर की आभा स्वर्ण के समान दिखाई देती थी। उनके शरीर पर सूर्य, चन्द्र, ध्वजा, शंख, चक्र और तोरण के शुभ मंगल चिह्न अंकित थे। जन्म से ही उनकी जिह्वा पर मां सरस्वती देवी विराजमान थीं।
  8. जब शांतिनाथ युवावस्‍था में पहुंचे तो राजा विश्वसेन ने उनका विवाह कराया एवं स्वयं राजा ने मुनि-दीक्षा ले ली। 
  9. राजा बने शांतिनाथ के शरीर पर जन्म से ही शुभ चिह्न थे। उनके प्रताप से वे शीघ्र ही चक्रवर्ती राजा बन गए।
 
वैराग्य : इस अकूत संपदा के मालिक रहे राजा शांतिनाथ ने सैकड़ों वर्षों तक पूरी पृथ्वी पर न्यायपूर्वक शासन किया। तभी एक दिन वे दर्पण में अपना मुख देख रहे थे तभी उनकी किशोरावस्था का एक और मुख दर्पण में दिखाई पड़ने लगा, मानो वह उन्हें कुछ संकेत कर रहा था। उस संकेत देख वे समझ गए कि वे पहले किशोर थे फिर युवा हुए और अब प्रौढ़। इसी प्रकार सारा जीवन बीत जाएगा। लेकिन उन्हें इस जीवन-मरण के चक्र से छुटकारा पाना है। यही उनके जीवन का उद्देश्य भी है।...और उसी पल उन्होंने अपने पुत्र नारायण का राज्याभिषेक किया और स्वयं दीक्षा लेकर दिगंबर मुनि का वेश धारण कर लिया। मुनि बनने के बाद लगातार सोलह वर्षों तक विभिन्न वनों में रहकर घोर तप करने के पश्चात अंतत: पौष शुक्ल दशमी को उन्हें केवल्यज्ञान की प्राप्ति हुई और वे तीर्थंकर कहलाएं।
 
 
जैसे बनें शांतिनाथ जी तीर्थंकर : 

Related News

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

पढ़ाई में सफलता के दरवाजे खोल देगा ये रत्न, पहनने से पहले जानें ये जरूरी नियम

Yearly Horoscope 2025: नए वर्ष 2025 की सबसे शक्तिशाली राशि कौन सी है?

Astrology 2025: वर्ष 2025 में इन 4 राशियों का सितारा रहेगा बुलंदी पर, जानिए अचूक उपाय

बुध वृश्चिक में वक्री: 3 राशियों के बिगड़ जाएंगे आर्थिक हालात, नुकसान से बचकर रहें

ज्योतिष की नजर में क्यों है 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

सभी देखें

धर्म संसार

Dhanu Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: धनु राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

विवाह के बाद गृह प्रवेश के दौरान नई दुल्हन पैर से क्यों गिराती है चावल से भरा कलश? जानिए क्या है इस रस्म के पीछे का कारण

सिखों के 9वें गुरु, गुरु तेग बहादुर सिंह का शहीदी दिवस

अगर आपके घर में भी अक्सर रहती है धन की तंगी तो धारण करें ये चमत्कारी रत्न, दूर हो जाएंगी सारी आर्थिक परेशानी

Love Life Horoscope 2025: वर्ष 2025 में 12 राशियों की कैसी रहेगी लव लाइफ, जानें डिटेल्स में

अगला लेख
More