इस तरह शुरू हुआ WWW

Webdunia
मंगलवार, 23 अगस्त 2016 (13:57 IST)
आज ही के दिन यानी 23 अगस्त, 1991 को वर्ल्ड वाइड वेब यानी WWW को आम यूजर्स के लिए खोला गया था। इसे इंटरनॉट डे के नाम से भी जाना जाता है। इसमें इंटर का मतलब इंटरनेट और नॉट का मतलब ग्रीक (यूनानी) भाषा में सेलर होता था। WWW की खोज 1989 में ब्रिटिश वैज्ञानिक टिम बर्नर्स-ली की थी, लेकिन अगस्त 1991 में इसे आम यूजर्स के लिए खोल दिया गया। ...और यहीं से हुआ इंटरनेट क्रांति का सूत्रपात। 
इंटरनेट के माध्यम से सूचना और संचार की दुनिया मात्र कुछेक क्लिक्स से हमसे दूर रहती है। वैसे आज का महत्व इस कारण से है कि आज के दिन से वेब सुविधा को दुनिया से जुड़े 25 वर्ष पूर्ण हो गए हैं। उल्लेखनीय है कि प्रत्येक वर्ष 29 अक्टूबर को इंटरनेट डे मनाया जाता है। इंटरनेट के जन्मदाताओं में तीन लोगों का अहम योगदान है। इनमें से पहले हैं वेनवर बुश जिन्होंने सूचना तकनीक के युगांतरकारी विवरण का निर्माण किया था।
 
इस सूची का दूसरा नाम नॉरबर्ट वीनर का है जोकि साइबरनेटिक्स क्षेत्र के जनक के तौर पर जाने जाते हैं। इस क्षेत्र में तकनीक के विकास और शोध को निरंतर बनाए रखने और इस प्रगति को मानवीय क्षमताओं का विस्तार देने वाली तकनीक के तौर पर बढ़ाया जाता है। तीसरा नाम है कनाडा के मार्शल मैकलुहान का जिन्होंने इस विचार को आकार दिया था कि एक इलेक्ट्रॉनिक नर्वस सिस्टम की मदद से एक आपस में गुंथे और सहायता पाने वाली एक संस्कृति को मूर्त रूप दिया जा सकता है। इसके बाद वर्ष 1956 में डार्टमाउथ में हुई आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस कॉन्फ्रेंस ने सबसे पहले तय किया कि इस विचार को कैसे उन्नत और तकनीक को अधिकाधिक बेहतर बनाया जा सकता है।   
 
तेजी से बढ़ती डिजिटल दुनिया में हम डिजिटल स्पेस या वेब या इंटरनेट के लिए तरह-तरह के लफ्ज इस्तेमाल करते हैं। नब्बे के दशक में साइबर शब्द का बहुत चलन था। साइबर दुनिया, साइबर अपराध, साइबर कल्चर आदि। 1998 में 'साइबर' शब्द को लेकर न्यूयॉर्क टाइम्स ने भविष्यवाणी की थी कि ये शब्द बहुत जल्द चलन से बाहर हो जाएगा। एक तरीके से हुआ भी यही।
 
आज हम इंटरनेट या कंप्यूटर से जुड़ी बातों के लिए साइबर शब्द का इस्तेमाल कम करते हैं। मगर, ऐसा नहीं है कि इसका इस्तेमाल पूरी तरह खत्म हो गया है। आज साइबर-अपराध या साइबर अटैक जैसे शब्द आज भी खूब इस्तेमाल हो रहे हैं। इंटरनेट की दुनिया में जो कुछ भी गलत हो रहा है उसके लिए साइबर शब्द का प्रयोग हो रहा है। कहने का मतलब ये की 'साइबर' का मतलब कुछ गलत या आपराधिक हो गया है।
 
वैसे इंटरनेट के लिए हम तमाम तरह के शब्द इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन जानकार कहते हैं कि आज हम इंटरनेट या वेब शब्द का खुलकर इस्तेमाल नहीं करते हैं। आज इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले, हर बात के लिए ऑनलाइन शब्द का इस्तेमाल करते हैं। मसलन, मैंने ऑनलाइन शॉपिंग,  ऑनलाइन चैटिंग, ऑनलाइन टिकट बुकिंग आदि। आज लोग यह कहते हुए मिलेंगे कि वे अमुक समय पर ऑनलाइन थे। 
 
एक अमेरिकी एक्सपर्ट नाओमी बैरन कहती हैं कि आज इंटरनेट या वेब इस्तेमाल करने वाले 'ऑनलाइन' शब्द का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। स्मार्टफोन का चलन बढ़ने के साथ ही इंटरनेट के बारे में बोलने के शब्द भी बदल गए हैं। नाओमी बैरन कहती हैं कि जब कोई किसी से रेस्टोरेंट बारे में पूछता है तो उसका साथी जवाब देता है कि वह अपना फोन देखकर बता सकता है। जबकि फोन में वह इंटरनेट चेक करके रेस्टोरेंट का पता लगाएगा। कहने का अर्थ है कि आज इंटरनेट के लिए स्मार्टफोन या मोबाइल जैसे शब्द आ गए हैं।
 
बुनियादी तौर पर इंटरनेट ने सूचना को सभी के लिए तुरंत ही उपलब्ध बनाने का काम किया। संचार और सोशल नेटवर्किंग ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सर्वाधिक आसान और जन सामान्य के लिए उपलब्ध पहुंच बना दी है। लगभग बिना किसी बात को संज्ञान में लिए लोग बातचीत करते हैं, अपने अनुभव साझा करते हैं और इंटरनेट के जरिए डेटा का आदान प्रदान करते हैं। इस प्रक्रिया का सबसे सुंदर पहलू यह है कि आप इसका उपयोग दुनिया के किसी भी कोने से कर सकते हैं।
 
इंटरनेट के जरिए हम एक दूसरे से जुड़े रहते हैं और वैश्वीकरण के विकास को बढ़ावा देते हैं। एक मास कनेक्शन के तौर पर यह ऑन लॉइन रिसर्च, संचार, सोशल नेटवर्किंग और मनोरंजन को सहज उपलब्ध बना सकते हैं। यदि आपको किसी चीज के बारे में जानना है तो कोई भी चीज खोजने में  गूगल आपका सबसे बड़ा मददगार होता है। आज दूसरे सर्च इंजिन भी आ गए हैं। पहले लोग कहते थे कि गूगलिंग करके पता कर लेते हैं। 
 
इसी तरह इंटरनेट के जरिए लोग संदेश भेजते समय अलग-अलग शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। मसलन, कोई कहेगा कि 'मैं तुम्हें फेसबुक करूंगा'। ट्विटर इस्तेमाल करने वाले कहते हैं, 'मैं डीएम करूंगा'। इसी तरह व्हाट्सएप करने वाले, उस मैसेंजर का नाम लेंगे। जबकि असल में तो सबके सब इंटरनेट के जरिए एक-दूसरे से जुड़ रहे होते हैं। 
 
यहां इंटरनेट शब्द को फेसबुक, व्हाट्सएप या ट्विटर शब्दों ने हटा दिया है। कनाडा की भाषा विशेषज्ञ ग्रेशेन मैक्कुलो कहती हैं कि इंटरनेट का जिक्र करते समय औपचारिकता की सीमाएं अब टूट रही हैं। पहले ई-मेल लिखा जाता था, अब ईमेल लिखते हैं। कहने का अर्थ है कि शब्दों को लिखने का पुराना तरीका अब लोग नहीं इस्तेमाल कर रहे हैं और इसके स्थान पर नए नए शब्दों को ला रहे हैं।
 
इंटरनेट या वेब इस्तेमाल करने वाले ज्यादातर लोग इसकी तकनीक से परिचित नहीं होते हैं। फिर भी वे आसानी बोलचाल के लिए नए शब्द गढ़ लेते हैं। इंटरनेट के किसी भी माध्यम से बात करने वालों की भाषा ही अलग हो गई है। यहां सरल, छोटे शब्दों का इस्तेमाल अधिक हो रहा है और भाषा को लेकर कोई नियम नहीं माना जाता। हिंदी-अंग्रेजी, उर्दू, जिस भी जुबान में कोई बात आसानी से कही जा सकती है, वही इंटरनेट पर इस्तेमाल हो रही है।
 
जानकार कहते हैं कि इंटरनेट ने जुबान के बदलाव की रफ्तार को तेज कर दिया है। जैसे ऑनलाइन ट्रेंड तेजी से बदल रहे हैं, वैसे ही इंटरनेट की भाषा में बदलाव की रफ्तार भी बहुत तेज हो गई है। ऑनलाइन या इंटरनेट के ज्यादा इस्तेमाल से ये बदलाव बहुत तेजी से दूर तक फैल जाता है, अधिक लोगों तक बात पहुंच जाती है। हम इंटरनेट के बारे में किस तरह बात करते हैं, यह तरीका हमेशा बदलता रहा है। मगर इंटरनेट का हमारी जबान पर, हमारे शब्दों पर कैसा असर पड़ा है, ये देखने वाली बात है। इसका सीधा संबंध इस बात से है कि हमने किसी भी नई तकनीक को किस तरह अपनाया है, उसी हिसाब से उसको लेकर शब्द भी बदले हैं।
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