कहते हैं पूत के पाँव पालने में ही नजर आते हैं। वैसे ही नमन ओझा की प्रतिभा तभी से उसका जुनून बन गई थी, जब वो महज तीसरी-चौथी कक्षा में ही पढ़ता था। नमन के दादाजी के हाथ में उनके जमाने में क्रिकेट खेलते हुए क्रिकेटर का एक की-चैन हुआ करता था। जिसे वो हमेशा अपने पास रखते थे। उस वक्त कोई नहीं जानता था कि उनके उस की-चैन वाला क्रिकेटर आगे चलकर नमन ओझा ही होगा। जो देश और दुनिया में अपने परिवार का नाम रोशन करेगा।
हमने नमन के क्रिकेट के इस सफर के बारे में कुछ खास बातें की नमन के पिता श्री विनय ओझा से, जो इस वक्त कैलिफोर्निया में हैं।
प्रश्न : आमतौर पर बचपन में बच्चे शौकिया तौर पर क्रिकेट खेलते हैं? आपको कब ऐसा लगा कि नमन को क्रिकेट का विधिवत प्रशिक्षण दिलाया जाना चाहिए?
उत्तर : नमन को लेकर मुझे बहुत डर था क्योंकि कुछ लोग मुझे कहते थे कि इस खेल से आपके बच्चे का भविष्य नहीं बनेगा। आप तो इसे पढ़ाओं लिखाओं परंतु मेरे एक मित्र गोस्वामी जी, जोकि वर्तमान में बैंक ऑफ महाराष्ट्र, धार में पदस्थ हैं। उन्होंने उस वक्त मेरा बहुत हौसला बढ़ाया और मुझे कहा कि आप अपने बेटे की प्रतिभा को मत कैद करो। एक दिन वो बहुत बड़ा क्रिकेटर बनेगा। उस वक्त यदि गोस्वामी जी मुझे नहीं समझाते, तो शायद आज नमन के लिए क्रिकेट में अपना भविष्य बना पाना बहुत ही मुश्किल होता।
प्रश्न : नमन के बचपन के बारे में कुछ बताएँ।
उत्तर : नमन बचपन से ही बहुत सीधा-सादा लड़का था। जब वह तीसरी-चौथी क्लास में पढ़ता था। तब अकसर बारिश के मौसम में भी वो मैदान पर क्रिकेट खेलता था और अपने कपड़े कीचड़ में गंदे करके आता था। उस वक्त नमन को बहुत डॉट पड़ती थी। नमन को क्रिकेट के साथ ही पतंग उड़ाने का भी बहुत शौक था। नमन का बचपन रतलाम में बीता तथा उसकी हाईस्कूल तक की पढ़ाई सेंट्रल स्कूल, रतलाम में हुई। नमन की माँ भी उस वक्त उसी स्कूल में पढ़ाती थी। रतलाम में नमन ने आशुतोष क्रिकेट क्लब के लिए खेला।
प्रश्न : नमन का एकेडमिक रिकार्ड कैसा रहा?
उत्तर : नमन का एकेडमिक रिकार्ड बहुत ही अच्छा रहा। शुरू से ही नमन का रिजल्ट अच्छा रहा है। नमन ने ग्यारहवी कक्षा से इंदौर के एमराल्ड स्कूल में प्रवेश लिया तथा बारहवी कक्षा में उसने अच्छे अंकों के साथ माइक्रो इकोनॉमिक्स में डिस्टिक्शन भी पाई। उसके बाद तो नमन पर क्रिकेट का जुनून इस तरह छा गया कि वो आगे की पढ़ाई भी पूरी नहीं कर पाया।
प्रश्न : नमन ने किस वक्त से क्रिकेट को अपने करियर के रूप में चुनने का फैसला लिया?
उत्तर : जब नमन इंदौर के कैंप में सिलेक्ट हुआ था तब उसने 10वीं कक्षा की परीक्षा दी थी और छुट्टियों में वो इंदौर आया था। चूँकि नमन उस वक्त बहुत छोटा था। इस कारण नमन की माँ उसके लिए बहुत चिंतित रहती थी। अक्सर वो मैचेस के दौरान नमन के साथ कानपुर, ग्वालियर आदि जगह गई। मैं तो यहीं कहूँगा कि वर्ष 1993-94 के बाद से ही नमन को क्रिकेट में सफलता के पायदान को छूना शुरू कर दिया था और उसके बाद आज का समय है। नमन ने अब तक उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा है।
प्रश्न : नमन के आईपीएल टी-20 में प्रदर्शन के बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?
उत्तर : मुझे नमन को आईपीएल टी-20 में खेलते देखकर बहुत अधिक खुशी हुई। सच कहूँ तो आज मुझे अपने बेटे पर फक्र है।
प्रश्न : आपने कब नमन को रतलाम से इंदौर भेजने का फैसला लिया? नमन को रणजी टीम में सिलेक्ट होने का सुनहरा मौका कैसे मिला?
उत्तर : वर्ष 1996-97 में जब इंदौर में 'बैंक ऑफ इंडिया' का स्पोर्टस कैंप लगा था जब मेरे मित्रों के कहने पर मैंने नमन को इंदौर भेजा था। उस वक्त जब यहाँ नमन की क्रिकेट प्रतिभा को कोच संजय जगदाले ने देखा तब उन्होंने मुझे कहाँ आप इस बच्चे को क्रिकेट खेलने से मत रोको। यह बहुत ही प्रतिभावान बच्चा है। फिर मैंने जगदाले जी के ही कहने पर नमन को इंदौर भेजने का निर्णय लिया। इसी के साथ मेरी पत्नी का ट्रांसफर भी मैंने रतलाम से इंदौर कराया। यही नहीं केवल नमन ही नहीं बल्कि मेरे परिवार के लिए भी जगदाले जी ने बहुत कुछ किया। मैं इसके लिए आज मैं उनका बहुत अधिक शुक्रगुजार हूँ।
प्रश्न : एक मध्यमवर्गीय परिवार के लिए अपने बेटे के सपने को पूरा कर पाना कितना मुश्किल होता है?
उत्तर : एक मध्यमवर्गीय परिवार के लिए अपने बेटे के सपने को पूरा करना बहुत ही मुश्किल है लेकिन हमें जीवन में कभी न कभी रिस्क तो लेनी ही पड़ती है।
प्रश्न : आप अभी कैलिफोर्निया में हैं। क्या आपने नमन का आईपीएल का कोई लाईव मैच देखा है?
उत्तर : मैंने नमन के आईपीएल के दो मैच देखे हैं। मैंने जीवन में यह ठान रखी थी कि मैं नमन के सभी मैच केवल टीवी पर ही देखूँगा पर ईश्वर की दुआ से संयोगवश यह मेरा पहला मौका था, जब मैंने अपने बेटे के दो मैच लाईव स्टेडियम में बैठकर देखे।
प्रश्न : नमन ने कहा है कि वो देश के सर्वश्रेष्ठ 5 विकेटकीपरों में से एक है। क्या आप उसकी इस बात से सहमत हैं?
उत्तर : मैं नमन की इस बात से पूर्णत: सहमत हूँ कि वो देश के 5 सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपरों में से एक है। जब कुछ साल पहले कैलिफोर्निया में 'इंडिया 'ए' की टीम से कुछ चुनिंदा खिलाड़ी भारत से चुने गए थे तो उनमें पहला धोनी, दूसरा कार्तिक और तीसरा नमन था।
प्रश्न : आपके परिवार में क्या कोई स्पोर्टसमैन रहा है?
उत्तर : मेरे पिताजी सीतामऊ स्टेट में थे। वो भी बहुत अच्छे स्पोर्टसमैन थे। उन्हें घुड़सवारी, बॉलीबाल आदि का बहुत शौक था। मुझे याद है उस जमाने में हमेशा उनके हाथ में एक की-चैन हुआ करता था, जिसमें एक क्रिकेटर बल्ले को घुमा रहा है। आज मुझे लगता है कि अपने दादा के उस की-चैन में खेलते हुए क्रिकेटर के सपने को नमन साकार कर रहा है।