आत्मविश्वास और अति-आत्मविश्वास के बीच नजर नहीं आने वाला महीन फर्क होता है। यह फर्क अति-आत्मविश्वास से लबरेज दिल्ली कैपिटल्स को मैच के बाद एक तरफा पराजय के रूप में नजर आया।
टॉस के रूप में सिक्के की उछाल श्रेयस अय्यर के पक्ष में आते ही उन्होंने खुशी-खुशी क्षेत्ररक्षण फैला दिया। शुभमन गिल और राहुल त्रिपाठी के रूप में एनरिच ने और थकेले कार्तिक के रूप में रबाडा ने शुरुआती झटके देकर केकेआर की शुरुआत बिगाड़ दी।
मोर्गन ने उद्घाटक बल्लेबाज के रूप में नितीश राणा और बाद में खुद के स्थान पर सुनील नारायण को ऊपर भेज कर तुक्के लगाए लेकिन इन दोनों ने कप्तान के फैसले को तीर साबित करते हुए तूफानी अंदाज में शतकीय साझेदारी करते हुए गेंदबाजों का जुलूस निकाल दिया।
रबाडा (2-33), और एनरिच (2-27) ने अवश्य प्रभावित किया लेकिन दो शिकार करने के बावजूद स्टोइनिस महंगे साबित हुए। राणा-नारायण के तूफान को झेलने की क्षमता किसी भी गेंदबाज में नजर नहीं आई। विशेष रुप से बेहद अनुभवी अश्विन और तुषार देशपांडे ऐसी आरती उतारी कि उन्हें टप्पा ही भुला दिया। नितीश राणा 81 (13 चौके 1 छक्का) और नारायण 64 (6 चौके, 4 छक्के) ने वास्तव में जो पारी खेली वो अद्भुत थी। मोर्गन 17 (9) ने अंत में स्कोर बोर्ड को 194 का डरावना चेहरा प्रदान कर दिया।
विशेष रुप से इन दोनों ने न केवल गेंदबाजों की कमजोरी का पूरा फायदा उठाया बल्कि छोटी सीमा रेखा को निशाना बनाते हुए भरपल्ले रन भी बटोरे। इन दोनों के बीच मात्र 47 गेंदों में हुई शतकीय साझेदारी ने मैच का रुख ही बदल दिया।
बड़े मैदान पर यह लक्ष निश्चित ही जान मारी का काम था, जिसे कमिंस ने पहली गेंद पर अजिंक्य रहाणे को पगबाधा कर संकेत दे दिए। साथ ही डबल शतकधारी शिखर धवन का ऑफ स्टम्प उड़ाकर उन्हें दोहरा झटका दे दिया। श्रेयस अय्यर (47) एवं ऋषभ पंत (27) के जाते ही दिल्ली ने वास्तव में हथियार डाल दिए। इसके बाद तो गेंद उछाल दो और कैच पकड़ने की स्पर्धा प्रारंभ हो गई। खुद अय्यर सहित अक्षर पटेल, स्टोइनिस और रबाडा गेंद उछालकर चलते बने।
वास्तव में इस दुर्दशा के लिए वरुण चक्रवर्ती पूरी तरह जिम्मेदार रहे। उनके अबूझ स्पिन का कहर दिल्ली को पूरी तरह बरबाद कर गया। इस आईपीएल में सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी करते हुए चक्रवर्ती ने 4 ओवर में मात्र 20 रन देकर 5 विकेट चटकाए और राणा-नारायण को चक्रवर्ती ब्याज वसूलने का स्वर्णिम अवसर प्रदान किया।
195 के दुर्गम लक्ष्य के सामने दिल्ली के झुके हुए कंधे एक बार भी उठ नहीं पाए। वरुण के स्पिन चक्र ने निश्चित ही केकेआर के हौसलों को बुलंद कर दिया। ऐसा कहते हैं कि रण क्षेत्र में जिसने एक बार पीठ दिखाई, वह कभी भी पलटवार नहीं कर सकता। इसे दिल्ली ने साबित कर दिखाया।