विदेशी खिलाड़ियों से सहवाग नाराज़, जमकर लताड़ लगाई

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पुणे। किंग्स इलेवन पंजाब के निदेशक (क्रिकेट संचालन) और पूर्व दिग्गज क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग ने टीम के निराशाजनक ढंग से आईपीएल प्लेऑफ से बाहर हो जाने पर नाराजगी जताई है और कप्तान ग्लेन मैक्सवेल सहित अपने सभी विदेशी खिलाड़ियों को जमकर लताड़ा है।  
        
पंजाब ने प्लेऑफ में जगह बनाने के लिए सबसे अहम आखिरी लीग मैच में ही निराशाजनक खेल दिखाया और पुणे के हाथों 48 गेंदे शेष रहते वह नौ विकेट से मैच हारकर बाहर हो गई। इस मैच में पंजाब की पूरी टीम 73 रन पर ही ढेर हो गई थी तथा कप्तान मैक्सवेल शून्य पर पैवेलियन लौट गए। आईपीएल में यह पंजाब का अब तक का सबसे कम स्कोर भी रहा।
 
* किंग्स इलेवन पंजाब के प्रदर्शन से वीरेंद्र सहवाग बेहद निराश
* किसी भी विदेशी बल्लेबाज ने मैच में अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई 
* धीमें पिच को लेकर खिलाड़ियों को शिकायत बिल्कुल नहीं करनी चाहिए      
* अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढालने की कला होनी चाहिए
* मैक्सवेल, शॉन मार्श, मार्टिन गुप्तिल और इयोन मोर्गन ने बहुत निराश किया
* इस सत्र में पहली बार मैक्सवेल को कप्तान बनाया गया था और उनका प्रदर्शन निराशजनक रहा 
* मैक्सवेल ने 13 पारियों में 31 के औसत से 310 रन बनाए, जिसमें 47 टॉप स्कोर था
         
सहवाग ने कहा गुप्तिल की भूमिका पावरप्ले में रन बनाने की थी और रिद्धिमान साहा को उनके साथ बल्लेबाजी करनी थी। जब तक उन्हें पता है कि वह क्या कर रहे हैं मुझे फर्क नहीं पड़ता कि वह पहली या दूसरी गेंद पर आउट हो जाएं। उन्हें फिर इसके लिए दोष देने का मतलब नहीं है। वहीं मार्श को 10 से 12 ओवर खेलने थे लेकिन वह जिस तरह आउट हुए वह निराश करने वाला था। इसके बाद मैक्सवेल और मोर्गन भी सस्ते में चल दिए।
          
उन्होंने कहा, ये सभी अनुभवी खिलाड़ी हैं उन्हें यदि विकेट का पता है तो कम से कम दूसरे बल्लेबाज को बता दें कि यह धीमी विकेट है और उस पर कैसे खेलना है। यदि आप आसानी से अपना विकेट गंवा देते हैं तो साफ है कि आप खेल को लेकर गंभीर नहीं हैं।
        
सहवाग ने कप्तान मैक्सवेल को भी जमकर लताड़ते हुए कहा, हमें पता था कि वह बड़े हिटर हैं और मैच जीता सकते हैं लेकिन उन्होंने आठ नौ मैचों में कुछ नहीं किया। यह निराशाजनक है क्योंकि वह अनुभवी खिलाड़ी हैं और ऑस्ट्रेलिया  की टेस्ट और वनडे टीम में खेलते हैं। उन्होंने न तो कप्तान के तौर पर जिम्मेदारी निभाई न ही पंजाब के लिए अच्छा प्रदर्शन किया। 
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