भारत में कुत्ते इंसानों के कंपेनियन हैं। उनके वफादार, दोस्त और साथी भी। यहां तक कि भारत में कई जगहों पर घर में बनी पहली रोटी कुत्तों और गाय के लिए निकाली जाती है। यानी भारत में कुत्ते फॉर्म एनिमल नहीं कंपेनियन एनिमल हैं। लेकिन कोरोना वायरस जैसी त्रासदी दुनिया को देने वाले चीन में ऐसा बिल्कुल नहीं है। वहां कुत्तों को बेरहमी से मारा-काटा जाता है और फिर स्वाद के लिए थाली में परोसकर खाया जाता है।
चीनियों की ये बेरहमी और सनक हर साल करोड़ों कुत्तों की जान ले लेती है। लेकिन गर्मियां आते ही यह बेरहमी चीख-चीखकर अपनी चित्कार भरी कहानी सुनाती है। दरअसल चीन में हर साल गर्मियों में युलिन डॉग मीट फेस्टिवल मनाया जाता है। जिसमें हजारों कुत्तों को मार-काट और जलाकर लोगों की थाली में परोसा जाता है। इन बेजुबान जानवरों के प्रति अमानवीयता की पराकाष्ठा अगर कहीं है तो वो सिर्फ चीन में है।
युलिन फेस्टिवल…!
दरअसल, यूलिन दक्षिणी चीन का एक शहर है। इस शहर में हर साल ‘यूलिन डॉग ईटिंग फेस्टिवल’ मनाया जाता है। यह आयोजन चीनी लोगों के सिवा कोई और नहीं करता। नाम से जाहिर है कि यह एक ‘डॉग ईटिंग फेस्टिवल’ है। यानी यह खास तौर पर कुत्तों का मांस खाने के लिए आयोजित किया जाता है। इस फेस्टिवल को लेकर यहां के लोगों में अलग किस्म की दीवानगी देखने को मिलती है। हफ्ते भर में हज़ारों कुत्ते इस त्यौहार की भेंट चढ़ जाते हैं। पूरी दुनिया में इस फेस्टिवल की आलोचना होती है लेकिन चीन को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है।
आमतौर पर ऐसे किसी आयोजन के पीछे कोई रिवाज होता है लेकिन चीन में इसे लेकर कोई रिवाज नहीं है। यह बस शौकिया मनाया जाता है। साल 2010 में पहली बार इसकी शुरुआत की गई। इसकी शुरुआत के पीछे कुत्तों का मीट बेचने वालों का हाथ था। मीट बेचने वालों का धंधा गर्मियों में नहीं चलता है। इसलिए उन्होंने जान बूझकर इसकी शुरुआत की। पूरा चीन इस साजिश का शिकार हुआ और फिर यह एक फेस्टिवल बन गया।
तो हर साल बचेगी 1 करोड़ कुत्तों की जान
हालांकि हाल ही में चाइना ने कुत्ते के मीट को प्रतिबंध करने के संकेत किए दिए हैं। कुत्ते को लाइवस्टॉक एनिमल की जगह कंपेनियन एनिमल माना गया है। कंपेनियन यानि जिससे इंसानों का गहरा रिश्ता हो। कुत्तों को अब वहां फार्म एनिमल की जगह कंपेनियन ऐनिमल के तौर पर क्लासिफाई करते हुए निर्देश जारी कर दिया गया है। चीन के कृषि मंत्रालय ने देश में कुत्तों को लेकर चली आ रहीं परंपराओं को बदलने की मांग की है और जोर दिया है कि वे साथी होते हैं, रेस्क्यू का काम करते हैं और सर्विस ऐनिमल होते हैं। दरअसल कुछ ही हफ्तों में युलिन डॉग मीट फेस्टिवल शुरू होने वाला है। ऐसे में अगर यह नियम लागू हो जाता है तो हजारों कुत्तों को बेरहमी से मरने से बचाया जा सकता है।
अब तक चीन का कृषि मंत्रालय कुत्तों को लाइवस्टॉक या पोल्ट्री का जानवर नहीं मानता था। इसे लेकर नए निर्देश जारी किए गए हैं। अगर ऐसा होता है तो कम से कम 1 करोड़ कुत्तों की जान हर साल बचाई जा सकती है।
नोट: इस लेख में व्यक्त विचार लेखक की निजी अभिव्यक्ति है। वेबदुनिया का इससे कोई संबंध नहीं है।