लंदन। प्रधानमंत्री थेरेसा मे की सरकार को ब्रेक्जिट मुद्दे पर संसद में हार का सामना करना पड़ा है। संसद में बुधवार को हुए मतदान में हुई हार मे के लिए जोरदार झटके के समान है।
वह पहले से ही गत जून के चुनाव में अपनी कंजर्वेटिव पार्टी के बहुमत खोने के बाद से कमजोर हो चुकी हैं। जब अधिकांश सांसद सरकार पर ब्रेक्जिट ब्लूप्रिंट में बदलाव के लिए दवाब डाल रहे थे तो मंत्री दलील दे रहे थे कि इससे यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के अलग होने पर खतरा हो सकता है।
छह सौ पचास सदस्यीय संसद में 305 सांसदों ने यरोपीय संघ से अंतिम निकास समझौते के संशोधन के पक्ष में मतदान किया जबकि 309 इसके विरोध में रहे।
मे सरकार की टीम अपनी पार्टी के सांसदों को मांग छोड़ देने के लिए समझाते रहे और मुश्किल भरी ब्रेक्जिट बातचीत में आपना पक्ष कमजोर होने की आशंका को लेकर उन्हें सरकार का साथ देने की कोशिश करते रहे। एक सरकारी प्रवक्ता ने संसद में हुए मतदान को निराशाजनक करार दिया।
यूरोपीय संघ से वापसी संबंधी विधेयक पर गत एक सप्ताह से संसद में प्राय: कड़वी बहस होती रही। ब्रेक्जिट के मुद्दे पर केवल संसद ही नहीं बल्कि सत्तारुढ़ कंजर्वेटिव के साथ-साथ मुख्य विपक्षी लेबर पार्टी और पूरे देश में गहरा विभाजन है। इसने सुश्री मे की कमजोरी को भी उजागर किया है। (वार्ता)