लंदन। इंग्लैंड में विभिन्न धार्मिक संगठनों और स्थलों में बाल यौन शोषण को लेकर पड़ताल करने वाली एक जांच में बृहस्पतिवार को चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। जांच में पाया गया कि कई धार्मिक संगठन शोषण के आरोपों से निपटने में नाकाम रहे। साथ ही पीड़ितों के आरोपों को दबाने के लिए धार्मिक नेताओं ने शक्ति का दुरुपयोग किया।
बाल यौन शोषण की स्वतंत्र जांच ने इंग्लैंड और वेल्स में 38 धार्मिक संगठनों में बाल संरक्षण की जांच की, जिसमें बैपटिस्ट, मेथोडिस्ट, इस्लाम, यहूदी, हिंदू, सिख और गैर ईसाई संप्रदाय शामिल रहे। इसने इस साल की शुरुआत में हुई दो सप्ताह की जन सुनवाई के जरिए साक्ष्य एकत्र किए।
स्वतंत्र जांच में आंकड़ों के हवाले से दिखाया गया कि 2015 से 2020 के दौरान सभी ज्ञात संस्थानों में जहां दुर्व्यवहार की सूचना मिली थी, उनमें से 11 फीसदी धार्मिक संगठन या स्थल के भीतर हुए जबकि करीब 10 फीसदी संदिग्ध या तो कर्मचारी थे या फिर एक धार्मिक संगठन से जुड़े थे।
हालांकि, स्वत्रंत जांच का कहना है कि ऐसा संभव है कि और मामलों को दबाया गया हो और 'उसके द्वारा सुने गए साक्ष्यों से इसमें कोई शक नहीं है कि अधिकतर धार्मिक स्थलों या संगठनों में बाल यौन शोषण किया गया।'
इसने पाया कि कुछ धार्मिक स्थलों पर बाल यौन शोषण से संरक्षण देने के लिए कोई नीति ही लागू नहीं है, ऐसे में बच्चों को ऐसे स्थानों पर बेहद कम सुरक्षा प्राप्त होती है।
रिपोर्ट में कहा गया कि धार्मिक आस्था वालों के लिए यह स्वीकार करना मुश्किल हो सकता है कि उनके धर्म के सदस्य या धार्मिक नेता दुर्व्यवहार कर सकते हैं।