पाकिस्तान की पंजाब प्रांत की सरकार ने मंगलवार को अल-अजीजिया मामले में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की 7 साल की सजा को निलंबित कर दिया, जबकि दो अलग-अलग अदालतों ने भ्रष्टाचार के तीन अलग-अलग मामलों में उनकी जमानत मंजूर की।
इन फैसलों से पूर्व प्रधानमंत्री को बड़ी कानूनी राहत मिली। चार साल के स्व-निर्वासन के बाद लंदन से शनिवार को वतन लौटे शरीफ पहली बार मंगलवार को इस्लामाबाद जवाबदेही अदालत के सामने पेश हुए।
तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के सुप्रीमो शरीफ (73) ने न्यायाधीश मुहम्मद बशीर की जवाबदेही अदालत में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। जवाबदेही अदालत ने पिछले सप्ताह तोशाखाना मामले में उनकी गिरफ्तारी के आदेश को निलंबित कर दिया था।
यह पेशी यह दिखाने के लिए महत्वपूर्ण थी कि उन्होंने अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है। न्यायाधीश द्वारा अदालत कक्ष में शरीफ की उपस्थिति देखने के बाद उन्हें जाने की अनुमति दी गई।
सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) के अभियोजक ने दलील दी कि शरीफ ने आत्मसमर्पण कर दिया है, इसलिए उनकी गिरफ्तारी वारंट रद्द किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर वारंट रद्द कर दिया जाए तो मुकदमा आगे बढ़ सकता है।
बाद में न्यायाधीश ने 10 लाख रुपए के मुचलके पर मामले में शरीफ की जमानत मंजूर की। मामले की सुनवाई 20 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई।
यह मामला इस आरोप पर आधारित है कि शरीफ, पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को तोशाखाना से लक्जरी वाहन और उपहार मिले थे।
एक अन्य महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, पंजाब प्रांत की कार्यवाहक सरकार ने अल-अजीजिया भ्रष्टाचार मामले में सात साल की उनकी सजा को मंगलवार को निलंबित कर दिया।
मुख्यमंत्री मोहसिन नकवी के नेतृत्व वाली पंजाब की कार्यवाहक सरकार को पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज सरकार का विस्तार माना जाता है। सरकार का फैसला ऐसे वक्त आया है, जब शरीफ अल-अजीजिया मामले में जमानत के लिए इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में पेश हुए।
पंजाब सरकार ने कहा कि प्रांतीय कैबिनेट की मंजूरी के बाद पूर्व प्रधानमंत्री की सजा को निलंबित कर दिया गया है। यह निर्णय उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में लिया गया है, जिसने पंजाब सरकार को चिकित्सा आधार पर अल-अजीजिया मामले में नवाज शरीफ की सजा को निलंबित करने की अनुमति दी थी।
शरीफ को अल-अजीजिया इस्पात मिल भ्रष्टाचार मामले में दोषी ठहराया गया था और दिसंबर 2018 में सात साल जेल की सजा सुनाई गई थी।
न्यायाधीश ने आदेश में कहा था कि अल-अजीजिया मामले में पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ ठोस सबूत थे और वह 2001 में सऊदी अरब में अल-अजीजिया इस्पात मिल और हिल मेटल प्रतिष्ठान स्थापित करने के लिए इस्तेमाल किए गए धन का विवरण देने में नाकाम रहे।
पंजाब के कार्यवाहक सूचना मंत्री अमीर मीर ने कहा कि अल-अजीजिया मामले में शरीफ की सजा को पंजाब सरकार ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 401 के तहत निलंबित कर दिया है।
इस बीच, इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने एवेनफील्ड और अल-अजीजिया भ्रष्टाचार मामलों में शरीफ की जमानत 26 अक्टूबर तक बढ़ा दी, जब एनएबी ने कहा कि उसे पूर्व प्रधानमंत्री द्वारा दायर याचिका पर कोई आपत्ति नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूक और न्यायमूर्ति मियांगुल हसन औरंगजेब की पीठ ने मामलों में जमानत की मांग और दोषसिद्धि के खिलाफ अपील को बहाल करने के अनुरोध वाली शरीफ की याचिकाओं पर आदेश जारी किया।
शरीफ अपने भाई और पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और पार्टी के कई नेताओं के साथ अदालत कक्ष में मौजूद थे। उनकी उपस्थिति अदालत में उनके आत्मसमर्पण के बराबर थी जिसने कई चेतावनियों के बावजूद अपील करने में विफल रहने के कारण उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया था।
शरीफ के 21 अक्टूबर को आगमन से पहले, उनकी कानूनी टीम ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय का रुख किया था, जिसने उन्हें एवेनफील्ड और अल-अजीजिया भ्रष्टाचार मामलों में 24 अक्टूबर तक सुरक्षात्मक जमानत दे दी थी।
शरीफ को 2017 में अयोग्य ठहराया गया था और बाद में 2018 में भ्रष्टाचार के दो मामलों में दोषी ठहराया गया था। भाषा