Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

संयुक्त राष्ट्र की चिंता, तालिबान सरकार के कई नाम प्रतिबंधित सूची में

हमें फॉलो करें संयुक्त राष्ट्र की चिंता, तालिबान सरकार के कई नाम प्रतिबंधित सूची में
, शनिवार, 11 सितम्बर 2021 (00:08 IST)
संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र की एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि अफगानिस्तान में प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री समेत तालिबान प्रशासन के अनेक सदस्यों के नाम संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध सूची में शामिल हैं और सुरक्षा परिषद को प्रतिबंधों की सूची पर कदमों को लेकर फैसला करने की जरूरत है। अधिकारी ने चेतावनी दी कि आईएसआईएल-के सक्रिय बना हुआ है और फिर से मुंह उठा सकता है।
 
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस की अफगानिस्तान के लिए विशेष प्रतिनिधि और अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन की प्रमुख देबोरा लियोन्स ने कहा कि हमारे सामने दो दिन पहले तालिबान द्वारा घोषित प्रशासन है।
 
उन्होंने कहा कि सबको साथ लेकर चलने की उम्मीद करने वाले निराश होंगे क्योंकि सूची में किसी महिला का नाम नहीं है तथा कोई गैर-तालिबान सदस्य नहीं हैं, पिछली सरकार से कोई नहीं है और न ही अल्पसंख्यक समूह का कोई नेता है।
 
लियोन्स ने बृहस्पतिवार को अफगानिस्तान पर सुरक्षा परिषद की चर्चा में कहा कि मौजूदा शासन में 1996 से 2001 के बीच तालिबान नेतृत्व में शामिल रहे कई लोग हैं।
 
उन्होंने कहा कि यहां बैठे लोगों के लिए उन 33 नामों का तात्कालिक और व्यावहारिक महत्व क्या है जिनमें से अधिकतर संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध सूची में हैं और इनमें वहां के प्रधानमंत्री, दो उपप्रधानमंत्री तथा विदेश मंत्री भी हैं। आप सभी को फैसला लेना होगा कि पाबंदी सूची के संबंध में क्या कदम उठाने हैं और भविष्य की साझेदारी पर क्या असर होगा।
 
तालिबान ने अपनी प्रभावशाली ‘रहबरी शूरा’ के प्रमुख मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद के नेतृत्व में कट्टरपंथी अंतरिम सरकार की घोषणा की है।
 
संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी सिराजुद्दीन हक्कानी भी अंतरिम तालिबान सरकार में शामिल है। हक्कानी नेटवर्क को बनाने वाले जलालुद्दीन हक्कानी का बेटा और वैश्विक रूप से घोषित आतंकवादी सिराजुद्दीन हक्कानी को तालिबान सरकार में नया कार्यवाहक गृह मंत्री बनाया गया है।
 
लियोन्स ने कहा कि नई हकीकत यह है कि लाखों अफगानों की जिंदगी इस बात पर निर्भर करेगी कि तालिबान किस तरह शासन चलाना पसंद करेगा। उन्होंने आगाह किया कि अफगानिस्तान के हालिया घटनाक्रम का असर उसकी सीमाओं के परे भी महसूस किया जाता है।
 
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के कई पड़ोसी देशों को डर है कि तालिबान के शासन से उनकी खुद की सुरक्षा किस तरह प्रभावित होगी। उन्हें एक विस्तारित इस्लामिक स्टेट के असर को लेकर आशंकाए हैं जिसे तालिबान नियंत्रित नहीं कर सकता। उन्हें उनकी सीमाओं पर बड़ी संख्या में शरणार्थियों के आने की आशंका है। उन्हें अफगानिस्तान में बड़ी संख्या में हथियार छूटने के नतीजों को लेकर डर है।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

अमेरिका-चीन तनाव के बीच बाइडन और जिनपिंग की 90 मिनट तक बातचीत