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भले ही केन्या गरीब हो, लेकिन भारत से लेकर अमेरिका तक की मदद कर चुका है ऐसे

हमें फॉलो करें भले ही केन्या गरीब हो, लेकिन भारत से लेकर अमेरिका तक की मदद कर चुका है ऐसे
, बुधवार, 2 जून 2021 (12:04 IST)
कोरोना संक्रमण एक भीषण वैश्विक समस्या बन चुकी है। ऐसे समय में कई देश एक दूसरे की मदद कर रहें है। भारत को भी अमेरिका से लेकर मॉरिशस तक कई देशों ने मदद का हाथ बढ़ाया है। चाहे मदद ऑक्सीजन सिलेंडर से हो, दवाओं से हो या फिर वेंटिलेटर से हो। 
 
ऐसे में अफ्रीकी देश केन्या ने भी भारत को मदद पहुंचाई है। कुल 12 टन चाय, कॉफी और मूंगफली के दाने का एक बड़ा पैकेट केन्या द्वारा भारत को दिया गया। केन्या के उच्चायुक्त विली बेट के मुताबिक यह दान भारत के कोरोना वॉरियर्स यानि कि चिकित्साकर्मियों के लिए केन्या की ओर से भेंट स्वरूप है।
उन्होंने लिखा कि इस मदद से ऐसे लोगों को तरोताजा ब्रेक मिलेगा जो इस महासंकट की घड़ी में लोगों की जान बचाने में जुटे हुए हैं। इसकी फोटो भी कई  सोशल मीडिया पेज पर वायरल हुई है। 
 
हालांकि कुछ अशिष्ट भारतीय नागरिकों ने इस मदद का उपहास भी उड़ाया है। उन्होंने कहा कि यह गरीब देश है और 12 टल मूंगफली और चाय भेज रहा है जो भारत में बहुतायत में पाया जाता है। वहीं इसको हथियार बनाकर कई लोग मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए भी देखे गए कि अब भारत जैसे देश की मदद केन्या जैसा गरीब देश कर रहा है। 
हालांकि कई लोगों को पता नहीं है कि केन्या एक गरीब जनजाति बहुल देश होने के बाद भी अपने से विकसित देशों की मदद करता तब पाया गया है जब कोई विपत्ति उनके सिर पर आन पड़ी हो। 
 
9/11 के हमले के बाद दान की थी गायें
 
ऐसा एक उदाहरण 9/11 के हमले के बाद देखा गया था। अलकायदा द्वारा अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर को विमानों से ध्वस्त करने के बाद अमेरिका से सहानुभूति दिखाने वाले देश जैसे ऑस्ट्रेलिया ने अफगानिस्तान में अपनी सेना तैनात कर दी थी।
 
यह खबर केन्या में रहने वाले मसाई प्रजाति के पास में हफ्तों बाद पहुंची क्योंकि वहां बिजली और टेलीफोन नहीं थे। इस प्रजाति के लोग तो इस बात को भी आश्चर्य से सुन रहे थे कि वर्ल्ड ट्रेड सेंटर जैसी बड़ी इमारत भी हो सकती है। पूरा घटना क्रम सुनने के बाद मसाई जाति के लोगों ने अमेरिका की मदद करने की ठानी।
 
मसाई जनजाति के लिए सबसे अनमोल होती हैं उनकी गायें जो उनको दूध देती हैं। मसाई लोगों ने अपना सबसे अनमोल तोहफा अमेरिका को दान में देने का निर्णय किया। लेकिन अमेरिका ने इस भेंट को अपने मखौल के तौर पर नहीं देखा।
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उल्टा अमेरिकी दूतावास के तत्‍कालीन उप प्रमुख विलियम ब्रानकिक खुद यह भेंट लेने तंजानिया की सीमा पर स्थित केन्या के गांव पहुंचे थे। उन्होंने कहा था कि यह दान मसाई लोगों द्वारा अमेरिका के लोगों के प्रति सर्वोच्च पर्वाह और सहानुभूति का प्रदर्शन है। 
 
यही नहीं अमेरिका ने इस दान का कितना सम्मान किया इस बात का अंदाजा इस ही बात से लगाया जा सकता है। हालांकि इन गायों को अमेरिका नहीं ले जाया गया और स्थानिय बाजारों में बेच दिया गया। इस पैसे से मसाई लोगों की कलाकृतियां खरीदी गई जो न्यूयॉर्क में दर्शकों के लिए रखी गई। 
 
यह बात जब अमेरिका के जनमानस तक पहुंची तो लोग भाव विहोर हो उठे। उन्होंने न केवल उनको धन्यवाद दिया बल्कि यह भी मागं की कि उन्हें वह गायें ही चाहिए जो केन्या के लोगों ने उन्हें दान में दी थी। 
 
ज्यादातर अमेरिकियों का मानना था कि मसाई के लोग चाहते तो यह कलाकृति या ज्वेलरी दे सकते थे लेकिन उन्हें गाय दी, ऐसा उपहार किसी देश से नहीं आया है। जब गाय यहां आती और वह प्रजनन करती तो उनके बच्चों को एक रिटर्न गिफ्ट के तौर पर केन्या की मसाई जाति को दिया जा सकता था। 
 
भारत देश से भी बढ़ रहे हैं प्रगाढ रिश्ते
 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2016 में केन्या यात्रा पर गये थे जिसके बाद केन्या के राष्ट्रपति 2017 में भारत आये थे। दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में क्षमता निर्माण, आतंकवाद रोधी अभियानों , संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों , चिकित्सा स्वास्थ्य देखभाल और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग है।(वेबदुनिया डेस्क)

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