भारत-रूस के बीच परमाणु इकाइयों के लिए हुआ करार

Webdunia
गुरुवार, 1 जून 2017 (22:52 IST)
सेंट पीटर्सबर्ग। भारत और रूस ने तमिलनाडु में मॉस्को की मदद से कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र की अंतिम दो इकाइयों को लगाने के लिए एक बहुप्रतीक्षित समझौते को गुरुवार को शुरुआती अवरोधों से उबरते हुए अंतिम रूप दिया।
 
कुडनकुलम परमाणु संयंत्र की इकाइयों 5 और 6 के लिए जनरल फ्रेमवर्क एग्रीमेंट (जीएफए) और ॠण सहायता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन की वार्षिक शिखर-वार्ता का सबसे प्रमुख परिणाम माना जा रहा है।
 
मोदी-पुतिन की वार्ता के बाद जारी विजन डॉक्यूमेंट के अनुसार, हम कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र की इकाई 5 और 6 के लिए जनरल फ्रेमवर्क एग्रीमेंट और क्रेडिट प्रोटोकॉल को अंतिम रूप दिए जाने का स्वागत करते हैं। 
 
रिएक्टरों का निर्माण भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल) और रूस के परमाणु संस्थानों की नियामक इकाई रोसाटॉम की सहायक कंपनी एस्टोमस्ट्रॉए एक्सपोर्ट करेंगे। दोनों इकाइयों की उत्पादन क्षमता एक-एक हजार मेगावॉट है।
 
‘ए विजन फॉर द ट्वंटी फर्स्ट सेंचुरी’ शीषर्क वाले दस्तावेज में कहा गया है कि भारत और रूस की अर्थव्यवस्थाएं ऊर्जा के क्षेत्र में एक-दूसरे की पूरक हैं और दोनों देश एक ‘ऊर्जा सेतु’ बनाने की दिशा में काम करेंगे। इसमें कहा गया है कि परमाणु ऊर्जा, परमाणु ईंधन चक्र और परमाणु विज्ञान और प्रौद्योगिकी समेत व्यापक परिप्रेक्ष्य में भारत-रूस सहयोग का भविष्य उज्ज्वल है।
 
इसके अनुसार, हम अपने बीच एक ऊर्जा सेतु के निर्माण के लिए काम करेंगे और उर्जा सहयोग के सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों का विस्तार करेंगे जिनमें परमाणु, हाइड्रोकार्बन, जलविद्युत और अक्षय ऊर्जा के स्रोत शामिल हैं। 
 
घोषणा पत्र में कहा गया कि भारत और रूस के बीच परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में बढ़ती साझेदारी ने भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पहल की तर्ज पर भारत में आधुनिक परमाणु उत्पादन क्षमताओं के विकास के अवसर खोले हैं।
 
इसके अनुसार, भारत और रूस यह प्रतिबद्धता रखते हैं कि 24 दिसंबर 2015 को हुए ‘प्रोग्राम ऑफ एक्शन फॉर लोकलाइजेशन इन इंडिया’ को दृढ़तापूर्वक लागू किया जाएगा और परमाणु उद्योगों को आपस में मजबूत साझेदारी के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

भारत में सभी 22 परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों की मौजूदा परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता 6780 मेगावॉट है। अक्टूबर 2015 में मोदी और पुतिन के एक संयुक्त वक्तव्य में परमाणु इकाइयों पर जीएफए पर दिसंबर 2016 तक दस्तखत करने का वादा किया गया था।
 
अंतर-मंत्रालयी समूह की मंजूरी मिलने के बाद इसे प्रधानमंत्री कार्यालय में स्वीकृति के लिए भेजा गया था, लेकिन सूत्रों के अनुसार, रूस द्वारा दी जाने वाली ॠण सहायता (क्रेडिट प्रोटोकॉल) अवरोध साबित हुई थी। (भाषा)
 
Show comments

जरूर पढ़ें

Bomb threat : 50 उड़ानों में बम की धमकी मिली, 9 दिन में कंपनियों को 600 करोड़ का नुकसान

महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी के बीच सीटों का फॉर्मूला तय

गुरमीत राम रहीम पर चलेगा मुकदमा, सीएम मान ने दी अभियोजन को मंजूरी

Gold Silver Price Today : चांदी 1 लाख रुपए के पार, सोना 81000 के नए रिकॉर्ड स्तर पर

दो स्‍टेट और 2 मुख्‍यमंत्री, क्‍यों कह रहे हैं बच्‍चे पैदा करो, क्‍या ये सामाजिक मुद्दा है या कोई पॉलिटिकल गेम?

सभी देखें

नवीनतम

ब्रिक्स सम्मेलन पर यूक्रेन युद्ध का साया

ओडिशा, बंगाल में चक्रवात दाना की दहशत, 150 से ज्यादा ट्रेनें रद्द, जानिए कैसी है सरकार की तैयारी?

जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में दिवाली सेलिब्रेशन के दौरान बवाल

Maharashtra Assembly Elections 2024 : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए शिवसेना ने 45 नामों का किया ऐलान , कोपरी-पाचपाखाडी से शिंदे उम्मीदवार

झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए RJD ने 6 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की

अगला लेख
More