India in UNSC : भारत समेत दुनिया के कई देशों की लंबी समय से चल रही मांग के बाद भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधारों पर कोई भी कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पा रही है। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद बने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में अब भी 5 स्थायी सदस्यों ('अमेरिका', 'चीन', 'रूस', 'फ्रांस' और 'ब्रिटेन') का ही दबदबा है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अस्थायी सदस्यों को तवज्जो न देने पर खूब सुनाई।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में व्यापक सुधार की आवश्यकता पर जोर देते हुए सवाल किया कि इस शक्तिशाली अंतरराष्ट्रीय निकाय के 5 स्थायी सदस्यों की इच्छा वैश्विक संगठन के 188 सदस्य देशों की सामूहिक आवाज को कब तक कुचलती रहेगी।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने सुरक्षा परिषद में सुधार पर अंतर-सरकारी वार्ता में शुक्रवार को इस बात पर जोर दिया कि 15 देशों वाले संयुक्त राष्ट्र निकाय में सुधार के वैश्विक प्रयासों की आधारशिला समदृष्टि होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि समदृष्टि तभी सुनिश्चित हो सकती है यदि प्रत्येक राष्ट्र को, चाहे उसका आकार या ताकत कुछ भी हो, उसे वैश्विक निर्णय लेने की प्रक्रिया को आकार देने का समान अवसर दिया जाए। इसलिए हमारा सवाल यह है कि पांच सदस्यों की इच्छा 188 सदस्य देशों की सामूहिक आवाज पर कब तक हावी होती रहेगी?
कंबोज ने कहा कि यूएनएससी सुधार पर चर्चा के लिए कई बुनियादी मुद्दे हैं लेकिन यह सवाल सबसे बुनियादी है। हम सभी इस बात पर सहमत हुए हैं कि यह स्थायी श्रेणी समाप्त नहीं होने वाली तो क्या हम इन पांच स्थायी सदस्यों को 188 सदस्य देशों की सामूहिक आवाज को हमेशा के लिए कुचलने की इजाजत दे सकते हैं? उन्होंने कहा कि इसे बदलना होगा।
चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य हैं। उनके पास विशिष्ट वीटो अधिकार है और वे सुरक्षा परिषद में निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्रभावित करने की शक्ति रखते हैं। कंबोज ने सदियों से हो रहे इस अन्याय को दूर करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।
कंबोज ने बदलाव के लिए जरूरी साहसी नेतृत्व का उदाहरण देने के लिए भारत का जिक्र किया और जी-20 की भारत की अध्यक्षता के दौरान समूह में अफ्रीकी संघ को शामिल किए जाने का हवाला दिया।
उन्होंने कहा कि भारत सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए वर्षों से जारी प्रयासों में सबसे आगे रहा है और वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किए जाने का उचित हकदार है। एजेंसियां