जलवायु को बचाने में भारत सबसे आगे, मोदी बोले- यूज एंड थ्रो की मानसिकता घातक

Webdunia
बुधवार, 4 मई 2022 (01:09 IST)
कोपनहेगन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि पृथ्वी के दोहन में भारत की कोई भूमिका नहीं है, लेकिन यह इसे बचाने के प्रयासों में सबसे आगे है, जो देश के हर व्यक्ति द्वारा किए गए प्रयासों से समर्थित है।
 
मोदी ने यहां भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए अक्षय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों, ग्लासगो में सीओपी-26 जलवायु शिखर सम्मेलन में भारत द्वारा जताई गई प्रतिबद्धताओं के बारे में विस्तार से बात की।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अपने जलवायु कार्यों को पूरा करने में सक्षम रहा है, क्योंकि अन्य देशों के विपरीत, जो ग्रह को बचाने की सारी जिम्मेदारी बहुपक्षीय संगठनों पर डालते हैं, हम इसे प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी के रूप में देखते हैं कि वह दुनिया को बचाने के लिए अपना योगदान दे।
 
यहां बेल्ला सेंटर में भारतीय प्रवासियों को संबोधित करने के लिए मोदी को आमंत्रित करने से पहले डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने उनका परिचय एक ‘मित्र’ के रूप में कराया। डेनमार्क में भारतीय समुदाय के 1,000 से अधिक सदस्यों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया जिनमें छात्र, शोधकर्ता, पेशेवर और व्यवसायी शामिल थे।
 
चलो इंडिया का नारा : मोदी ने प्रवासी भारतीयों को वहां भारत का राजदूत बताया और उनमें से प्रत्येक से कम से कम पांच गैर-भारतीय मित्रों को भारत की यात्रा करने के लिए प्रोत्साहित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हमें अपने पर्यटन क्षेत्र को फिर से जीवंत करना होगा। आपके प्रयासों से, जब आप अपने 5 गैर-भारतीय मित्रों को हमारे देश का दौरा करने में मदद करेंगे, तो कुछ वर्षों में, केवल एक ही गंतव्य होगा, वह है 'चलो इंडिया'।’
 
जलवायु कार्रवाई पर, मोदी ने कहा कि भारत ने 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन हासिल करने का लक्ष्य रखा है और वह उन कुछ देशों में से एक है जो अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में सक्षम हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत ने 2030 तक अपनी ऊर्जा जरूरतों का 40 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ईंधन से प्राप्त करने की प्रतिबद्धता जताई थी। हमने 9 साल पहले उस लक्ष्य को हासिल कर लिया है।
 
उन्होंने कहा कि भारत 2.5 रुपए प्रति यूनिट की दर से सस्ती सौर ऊर्जा का उत्पादन कर रहा है और लागत को और कम करने के प्रयास कर रहा है। मोदी ने कहा कि दुनिया को पृथ्वी को बचाने के लिए जवाब और समाधान खोजने के लिए भारत आना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं अपने डेनिश दोस्तों से कहना चाहता हूं कि वे संयुक्त रूप से भारत आएं और पृथ्वी की समस्याओं का जवाब तलाशें।
 
प्रधानमंत्री ने दुनिया से उपभोग उन्मुख दृष्टिकोण से बाहर निकलने का आग्रह किया जो ग्रह के लिए हानिकारक है। मोदी ने कहा कि समय की सबसे बड़ी मांग एलआईएफई – यानी ‘लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट’ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) को बढ़ावा देना है। उपभोग उन्मुख दृष्टिकोण से बाहर निकलना बहुत महत्वपूर्ण है। 'यूज एंड थ्रो' (इस्तेमाल करो और फेंक दो) मानसिकता धरती के लिए नकारात्मक है।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि श्वेत क्रांति में डेनमार्क भारत के साथ रहा है और अब देश के हरित भविष्य में एक मजबूत भागीदार बन रहा है। मोदी ने कहा कि दोनों देशों के लिए इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, ग्रीन हाइड्रोजन, वेस्ट-टू-वेल्थ, सतत शहरीकरण, हरित नौवहन, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, नवोन्मेष के क्षेत्रों में बड़े अवसर हैं।
 
सभागार में 'मोदी, मोदी' और 'मोदी है तो मुमकिन है' के नारों के बीच, प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि एक भारतीय, दुनिया में जहां भी जाता है, कर्मभूमि के लिए ईमानदारी से योगदान देता है। मोदी ने कहा कि भारत और डेनमार्क के बीच हरित रणनीतिक साझेदारी डेनमार्क की प्रधानमंत्री फ्रेडरिक्सन की व्यक्तिगत प्राथमिकताओं द्वारा निर्देशित है। उन्होंने कहा कि आज मैंने उनके साथ जो चर्चा की, वह दोनों देशों के संबंधों को नई ताकत, नई ऊर्जा देगी। मोदी ने दुनिया की मेडिकल और टीके आपूर्ति प्रणाली में भारत के स्थान की भी सराहना की।
 
उन्होंने कहा कि भारत ने मुश्किल समय में 'दुनिया की फार्मेसी' के रूप में पूरी दुनिया का समर्थन किया और कई देशों को दवाएं भेजीं। दुनिया पर प्रभाव की कल्पना करने की कोशिश करें अगर हम भारत के हर घर में टीकाकरण नहीं कर पाते। मोदी ने कहा कि अगर भारत में सस्ती और प्रभावी मेड-इन-इंडिया टीकों का उत्पादन बड़े पैमाने पर नहीं किया जाता, तो अन्य देशों की क्या स्थिति होती।
 
डेनमार्क की महारानी से मिले : डेनमार्क की महारानी मार्ग्रेट द्वितीय ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यहां गर्मजोशी से स्वागत किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्विटर पर बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने महारानी के शासनकाल के 50 साल पूरे होने पर उन्हें बधाई दी। गौरतलब है कि 82 वर्षीय महारानी मार्ग्रेट द्वितीय 1972 से डेनमार्क की शासिका हैं। डेनमार्क की राजशाही दुनिया में सबसे पुरानी में एक है।

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