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इमरान खान की पार्टी ने इस्लामाबाद में विरोध प्रदर्शन रोका, बीती रात कार्रवाई में 4 लोगों की मौत

हमें फॉलो करें इमरान खान की पार्टी ने इस्लामाबाद में विरोध प्रदर्शन रोका, बीती रात कार्रवाई में 4 लोगों की मौत

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

इस्लामाबाद , बुधवार, 27 नवंबर 2024 (14:37 IST)
Anti-PTI protests in Pakistan: जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) की पार्टी ने बुधवार को औपचारिक रूप से अपना विरोध प्रदर्शन रोक दिया और इसके लिए आधी रात को की गई अधिकारियों की कार्रवाई को जिम्मेदार ठहराया जिसमें कम से कम 4 लोगों की मौत हो गई जबकि 50 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इससे पहले खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने दावा किया था कि सुरक्षा कर्मियों के साथ हुईं हिंसक झड़पों में सैकड़ों लोगों की मौत हुई है।
 
इस्लामाबाद तक मार्च का नेतृत्व करने वालीं खान की पत्नी बुशरा बीबी और खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर के ठिकाने के बारे में चिंताओं के बीच पार्टी ने कहा कि वे दोनों खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के एबटाबाद के पास मनसेहरा शहर में हैं।ALSO READ: पाकिस्तान में गृह युद्ध जैसे हालात, सेना से भिड़े इमरान खान के समर्थक, 6 की मौत, 100 से अधिक घायल
 
अधिकारियों ने सड़कें फिर से खोलनी शुरू कर दीं : अधिकारियों ने सड़कें फिर से खोलनी शुरू कर दीं और उन स्थानों की सफाई शुरू कर दी है, जहां पीटीआई के 3 दिन के विरोध प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़ हुई थी। आधी रात को हुई कार्रवाई के बाद खान के समर्थकों को राजधानी के डी-चौक और उसके आसपास के इलाकों को खाली करके जाना पड़ा। पीटीआई ने इस कार्रवाई को 'फासीवादी सैन्य शासन' के तहत 'नरसंहार' करार दिया जबकि पुलिस सूत्रों ने कहा कि कार्रवाई के दौरान लगभग 450 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया।
 
पीटीआई ने अपने आधिकारिक 'एक्स' हैंडल पर साझा की गई एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि सरकार की क्रूरता और राजधानी को निहत्थे लोगों के लिए बूचड़खाने में तब्दील करने की सरकार की योजना को देखते हुए, (हम) कुछ समय के लिए शांतिपूर्ण विरोध निलंबित करने की घोषणा करते हैं। पार्टी ने कहा कि खान के निर्देशों के आधार पर अगला कदम उठाया जाएगा।ALSO READ: इमरान खान की रिहाई के लिए हजारों कार्यकर्ता पाकिस्तान की सड़कों पर, बेगम बुशरा कर रहीं अगुवाई
 
इससे पहले मंगलवार शाम को, पीटीआई समर्थकों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारियों से झड़प हुई जिसके बाद वे रविवार को शुरू हुए इस्लामाबाद मार्च के तहत डी-चौक पर धरना देने में सफल रहे। पुलिस के साथ समर्थकों की झड़प में छह सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गये।
 
बुशरा बीबी की खान को जेल से रिहा करने की मांग : खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर के साथ पेशावर से इस्लामाबाद तक मार्च का नेतृत्व करने वालीं खान की पत्नी बुशरा बीबी ने कहा कि प्रदर्शनकारी तब तक नहीं हटेंगे जब तक खान को जेल से रिहा नहीं किया जाता। हालांकि सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें क्षेत्र से हटाने के अपने प्रयास जारी रखे।
 
डी-चौक के आसपास राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय, संसद और उच्चतम न्यायालय स्थित हैं। आधी रात के आसपास, पुलिस और रेंजर्स ने ब्लू एरिया व्यापार क्षेत्र को खाली करने के लिए एक अभियान चलाया। पीटीआई ने कार्रवाई पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सरकार पर हिंसा का इस्तेमाल करने और उसके सैकड़ों कार्यकर्ताओं की हत्या के प्रयास का आरोप लगाया।
 
पीटीआई ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि शहबाज-जरदारी-आसिम गठबंधन के नेतृत्व वाले क्रूर, फासीवादी सैन्य शासन के तहत सुरक्षा बलों के हाथों पाकिस्तान में नरसंहार का प्रयास किया गया। देश में खून-खराबा हो रहा है। इस बीच, पीटीआई के वरिष्ठ नेता तैमूर सलीम खान ने मीडिया को बताया कि बीबी, गंडापुर और नेशनल असेंबली में नेता प्रतिपक्ष उमर अयूब खान खैबर-पख्तूनख्वा के मनसेहरा शहर में प्रांत के विधानसभा अध्यक्ष बाबर सलीम स्वाति के आवास पर ठहरे हुए हैं।ALSO READ: आतंकी हमले से दहला पाकिस्तान, 50 की मौत, 20 घायल
 
देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के लिए 'अंतिम आह्वान' : पिछले वर्ष अगस्त से जेल में बंद 72 वर्षीय पूर्व प्रधानमंत्री ने 24 नवंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के लिए 'अंतिम आह्वान' किया था। यह आह्वान उन्होंने 13 नवंबर को किया था। खान ने कथित तौर पर जनादेश की चोरी, लोगों की अन्यायपूर्ण गिरफ्तारी और संविधान के 26वें संशोधन के पारित होने की निंदा की थी।ALSO READ: संयुक्त राष्ट्र में भारत बोला, पाकिस्तान के साथ बातचीत में पहला मुद्दा आतंकवाद
 
संविधान के 26वें संशोधन पर उन्होंने कहा था कि इसने 'तानाशाही शासन' को मजबूत करने का काम किया है। खान पिछले साल से रावलपिंडी की अदियाला जेल में बंद हैं और उनकी पार्टी के अनुसार उन पर 200 से अधिक मामले दर्ज हैं।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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