इस्लामाबाद। इमरान खान विपक्ष में रहकर सरकार के जिन फैसलों का विरोध करते थे, अब प्रधानमंत्री के रूप वे फैसले लेकर विवादों में हैं। ऐसा ही एक फैसला है सोन चिरैया के शिकार को मंजूरी देना। इमरान जब विपक्ष में थे, तब उन्होंने इनके शिकार को मंजूरी देने को राष्ट्रीय शर्म करार दिया था।
पाकिस्तान में इमरान सरकार ने सिर्फ 2 करोड़ रुपए के लिए बहरीन के राजा को सोन चिरैया के शिकार की मंजूरी दे दी। शाही परिवार के 7 सदस्यों को 100-100 पक्षियों के शिकार की मंजूरी दी गई है। पाकिस्तान में संरक्षित पक्षी हाऊबारा बस्टर्ड (सोन चिरैया को) को लुप्तप्राय माना जाता है। पाकिस्तान में सोन चिरैया को तलोरा कहा जाता है। स्थानीय लोग इसे नायाब परिंदा भी कहते हैं। इसे सिर्फ सर्दियों में दूसरे देशों से प्रवासी पक्षी के तौर पर जाना जाता है। इसके शिकार पर पाबंदी है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने सिंध, बलूचिस्तान और पंजाब प्रांत की सरकारों को शाही मेहमानों की आवभगत के लिए विशेष दिशा-निर्देश जारी किए और परमिट जारी किए हैं। राज्य सरकारों को कहा गया है कि शाही परिवारों के सदस्यों को हर तरह की सुख-सुविधाएं दी जाएं।
सोन चिरैया के शौकीन शाही परिवार : अरब देशों के शाही परिवार के लोग सोन चिरैया के शिकार के शौकीन होते हैं। अरब के लोग सोन चिरैया को सेहत के लिए फायदेमंद मानते हैं। सोन चिरैया के शिकार के लिए शाही परिवार के लोग हर साल बलूचिस्तान आते हैं।
होता रहा है विरोध : लुप्तप्राय होने की कगार पर पहुंच चुका सोन चिरैया अंतरराष्ट्रीय संधि (बॉन संधि) के तहत संरक्षित है। वन्य जीव संरक्षण कानूनों के तहत इसके शिकार की छूट नहीं है। फिर भी पाकिस्तानी सरकार वर्षों से अरब देशों से अपने हितों को साधने के लिए इन पक्षियों के शिकार की विशेष अनुमति देती आई है।
बताते हैं विदेश नीति का अहम हिस्सा : 2017 में लाहौर हाईकोर्ट ने सोन चिरैया के शिकार पर सख्ती से रोक लगाने को कहा था। तत्कालीन नवाज सरकार मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गई और तर्क दिया कि शाही परिवारों को शिकार की अनुमति देना विदेश नीति का अहम हिस्सा है। सुप्रीम कोर्ट ने रोक को हटा लिया। इमरान सरकार ने भी यही तर्क दिया है।