मैं स्मार्ट हूं, मेरी तारीफ करनी चाहिए, जयशंकर की बात पर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी भी मुस्कुरा दिए

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
सोमवार, 19 फ़रवरी 2024 (09:46 IST)
I am smart, I should be praised syas Jaishankar : विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, 'अगर कि मैं इतना स्मार्ट हूं कि अमेरिका और रूस समेत वैश्विक रिश्तों को बढ़ावा दे सकता हूं तो इसके लिए मेरी प्रशंसा होनी चाहिए। जय शंकर की इस बात पर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी भी मुस्कुरा दिए।

दरअसल, म्युनिख सुरक्षा सम्मेलन में पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बावजूद रूस से तेल खरीदने के सवाल पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि अगर भारत में अमेरिका और रूस समेत वैश्विक रिश्तों को बढ़ावा देने की क्षमता है तो इसके लिए उसकी प्रशंसा करनी चाहिए। उनकी यह हाजिरजवाबी सुनकर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक मुस्कुराने लगे।

बता दें कि मंगलवार को म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में एस. जयशंकर, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक एक साथ मौजूद थे। इस दौरान पत्रकारों ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर को रूस के मामले में घेरने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने इतने स्मार्ट तरीके से जवाब दिया कि वहां मौजूद सभी लोग मुस्कुराने लगे।

क्यों हंस पड़े एंटनी ब्लिंकन : सम्मेलन के दौरान एक महिला पत्रकार ने एस. जयशंकर से पूछा कि भारत अभी भी रूस से तेल खरीद रहा है तो क्या इससे अमेरिका के साथ उसके रिश्तों पर असर नहीं पड़ेगा। क्या इससे अमेरिका को कई दिक्कत नहीं है कि आप मनचाहे फैसले कर रहे हैं। पत्रकार को जवाब देते हुए विदेश मंत्री ने कहा, 'आपका सवाल था कि क्या हमारे पास कई विकल्प हैं तो जी हां हमारे पास कई विकल्प हैं। क्या इसमें कोई दिक्कत है? इससे किसी को क्या दिक्कत होनी चाहिए, अगर मैं इतना स्मार्ट हूं कि मेरे पास कई विकल्प हैं तो आपको मेरी प्रशंसा करनी चाहिए, हमारी आलोचना क्यों कर रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि इससे किसी को कोई दिक्कत हो सकती है। खास तौर से अमेरिका को'

विवाद का हल निकालने पर जोर : विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि हम रूस-यूक्रेन युद्ध पर अपना रुख स्पष्ट कर चुके हैं और बार-बार भारत ने कूटनीति के जरिए विवाद का हल निकालने पर जोर दिया है। हमने कहा है कि युद्ध और हिंसा से कोई हल नहीं निकलेगा. रूस और अमेरिका के साथ रिश्तों पर उन्होंने कहा, 'अलग-अलग देशों का अलग-अलग इतिहास है। हम बिना भावनाओं के लेन-देन करने वालों में नहीं हैं। मैं नहीं चाहता कि आप अनजाने में यह आभास दें कि बिना भावनाओं के हम लेन-देन करते हैं. हम ऐसे नहीं हैं'
Edited by navin rangiyal

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